शिमला: हिमाचल प्रदेश में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने राजस्व प्राप्ति के लिए जल आयोग (वाटर कमीशन) की स्थापना की थी. जिससे 6 महीने में जल उपकर (वाटर सेस) के रूप में 34 करोड़ 75 लाख 48 हजार 906 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. वहीं, जल आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों समेत उनके वेतन, भत्तों के साथ कार्यालयों और गाड़ियों पर 1 करोड़ 09 लाख 91 हजार 664 रुपए खर्च हुए हैं.
ये जानकारी विधानसभा के बजट सत्र में उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने श्री नैना देवी के विधायक रणधीर शर्मा की ओर से पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी. उन्होंने बताया कि पिछले 6 माह में, जब से जल विद्युत उत्पादन पर जल उपकर के लिए राज्य आयोग की स्थापना हुई है, इस पर करीब 1.10 करोड़ का खर्च हुआ है. जिसमें से 70 लाख रुपए का वन टाइम खर्च कार्यालय भवन के नवीनीकरण पर किया गया है. वहीं, करीब 40 लाख रुपए अन्य मदों पर खर्च हुआ है.
किस पर खर्च हुई कितनी राशि
हिमाचल प्रदेश में जल आयोग की स्थापना करीब 6 माह पहले राजस्व प्राप्ति के लिए की गई थी.
- इस अवधि में भवन के नवीनीकरण पर एक बार में 70 लाख रुपए खर्च हुआ है.
- गाड़ियों के किराये पर 7,71,987 रुपए का खर्च आया है.
- टेलीफोन सेवा पर 24,920 रुपए का खर्च हुआ है.
- ऑफिस के खरीदे किए गए विभिन्न उपकरण पर 1,95,497 रुपए खर्च हुआ है.
- आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन पर 3,56,430 रुपए खर्च किया गया.
- आयोग के अध्यक्ष के वेतन पर 6,93,450 रुपए खर्च हुआ है.
- आयोग के तीन सदस्यों के वेतन पर 19,49,380 रुपए खर्च किए गए हैं.
- ऐसे में अभी तक कुल 1,09,91,664 रुपए का व्यय हुआ है.
- वहीं, 6 महीनों में वाटर सेस के रूप में 34,75,48,906 रुपए प्राप्त हुए हैं.
23 प्रोजेक्टों से प्राप्त हुए 34 करोड़ से अधिक:
हिमाचल प्रदेश में जल आयोग को 23 प्रोजेक्टों एवं एजेंसियों से 34,75,48,906 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. सभी प्रोजेक्टों का ये आंकड़ा 15 जनवरी 2024 तक का है. इसमें सबसे अधिक 15,14,56, 938 रुपए का राजस्व एचपीएसईबीएल (HPSEBL) से इकट्ठा हुआ है. इसी तरह से जिला शिमला में एचपीपीसीएल (HPPCL) की हाट कोटी में सवार कुडू 111 मेगावाट के प्रोजेक्ट से 10,08,62,118 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है.