भरतपुर. राज्य सरकार प्रदेश भर में सड़क हादसों और मौतों में कमी लाने के लिए हर वर्ष सड़क सुरक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन हादसों और मौतों में कमी आने के बजाय लगातार वृद्धि हो ही रही है. दुर्भाग्य की बात यह है कि बीते वर्ष प्रदेश में सड़क हादसों में सर्वाधिक मौतें भरतपुर जिले के सेवर थाना क्षेत्र में हुईं. इतना ही नहीं, भरतपुर का प्रमुख सारस चौराहा तो मानो हादसों का चौराहा बन गया. अकेले सारस चौराहे पर एक साल में दुर्घटना में 33 लोगों ने जान गंवाई है. अब जिला प्रशासन व पुलिस महकमा मिलकर हादसों में कमी लाने के लिए जुट गया है.
सर्वाधिक 60 मौतें सेवर क्षेत्र में : पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने बताया कि हाल ही में इंटीग्रेटेड रोड ऐक्सिडेंट डाटाबेस (आईआरएडी) के आंकड़े सामने आए हैं. आंकड़ों से पता चला है कि प्रदेशभर में सबसे ज्यादा सड़क हादसे और उनमें सर्वाधिक 60 मौतें जिले के सेवर थाना क्षेत्र में हुई हैं. यह बहुत ही चौंकाने वाले तथ्य हैं. सेवर थाना क्षेत्र में ही सर्वाधिक ब्लैकस्पॉट भी हैं.
एसपी कच्छावा ने बताया कि सेवर तिराहा, सेवर बाइपास तिराहा, शीशम तिराहा, सारस चौराहा, बरसो तिराहा, ऊंचा नगला तिराहा आदि प्रमुख ब्लैकस्पॉट हैं. इन स्थानों पर काफी सड़क हादसे होते हैं. अकेले सारस चौराहे पर वर्ष 2023 में सड़क हादसों में 33 लोगों की मौत हुई है.
ये हैं हादसों की वजह : एसपी कच्छावा ने बताया कि हादसों के पीछे के कई कारण हैं. रोड इंजीनियरिंग की तकनीकी खामियां, हाईवे पर रोड लाइट की कमी, वाहन चालकों की ओर से यातायात नियमों की पालना नहीं करना, गलत तरीके से तिराहे व चौराहे पार करना प्रमुख कारण हैं.
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ऐसे लाएंगे कमी : सड़क हादसों में कमी लाने के लिए हाल ही में जिला कलेक्टर ने पुलिस, परिवहन, हाईवे अथॉरिटी समेत अन्य संबंधित विभागों के साथ बैठक की. रोड इंजीनियरिंग की कमी को दूर करने के लिए हाईवे अथॉरिटी को भी कहा गया है. रोड पर तेज गति से वाहन चलाने वालों पर, सीट बेल्ट नहीं लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. रोड साइड से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करना शुरू कर दिया गया है.
गौरतलब है कि वर्ष 2023 में प्रदेशभर में कुल 24,705 सड़क हादसे हुए. इनमें कुल 11,762 लोगों की जान गई. प्रदेश सरकार हर वर्ष सड़क सुरक्षा पर करीब 40 करोड़ रुपये खर्च करती है, ताकि सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों में कमी लाई जा सके. ताज्जुब की बात है कि वर्ष 2022 (हादसे 23,614 व मौतें 11,104) की तुलना में न केवल प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि इनमें होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ी है.