लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बार-बार समय प्रदान करने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से एक मुकदमे में जवाब न आने पर सख्त रुख अपनाया है. न्यायालय ने महानिदेशक, परिवार कल्याण को 13 मार्च को कोर्ट के समक्ष हाजिर होने का आदेश दिया है. न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि वह मुकदमे से संबधित समस्त रिकॉर्ड भी अपने साथ लाएं. यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने अमेठी अल्ट्रासाउंड सेंटर, कावा रेाड, अमेठी की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया.
पत्र भेजने के बाद भी जवाब न आना बेहद खेदजनकः कोर्ट ने कहा कि मुख्य स्थायी अधिवक्ता के कार्यालय से बार-बार पत्र भेजने के बाद भी जवाब न आना खेदजनक है. इन हालातों में महानिदेशक को तलब करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. न्यायालय ने महानिदेशक को व्यक्तिगत हलफ़नामा दाखिल कर यह भी बताने को कहा है कि जिन अधिकारियों के कारण मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय के पत्रों के उत्तर में जवाब नहीं दिया गया, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी है?
मुख्य स्थायी अधिवक्ता के बार-बार पत्र भेजने के बावजूद नहीं आया जवाबः मामले में याची का लाइसेंस 25 सितम्बर 2023 को खारिज कर दिया गया. उक्त आदेश के विरुद्ध याची की अपील खारिज हो गई. इसके बाद याची ने हाईकोर्ट की शरण ली. याचिका पर 22 जनवरी को सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सरकारी वकील से लाइसेंस खारिज किए जाने के आधार के संबंध में जवाब देने को कहा था. इस पर सरकारी वकील ने सम्बंधित अधिकारियों से जवाब प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह का समय देने की मांग की, जिसे कोर्ट ने प्रदान कर दिया. इसके बाद की सुनवाइयों जवाब नहीं आया तो न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि अगली सुनवाई तक जवाब नहीं आया तो महानिदेशक को तलब किया जाएगा. मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने न्यायालय को बताया कि जवाब के लिए सम्बंधित अधिकारियों को मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय से पत्र 23 फरवरी को ही भेज दिया गया था लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.