प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2025 में आयोजित महाकुंभ में श्रद्धालुओं और संतों को स्वच्छ और पर्याप्त गंगाजल उपलब्ध की मांग को लेकर लगाई गई जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव और प्रियंका श्रीवास्तव ने आदेश की जानकारी देते हुए बताया कि, हाईकोर्ट ने इस संबंध में कार्ययोजना की जानकारी मांगी है.
मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने एडवोकेट सुनीता शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी योगेंद्र कुमार पांडेय और पूर्व पार्षद कमलेश सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. साथ ही याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख लगाई है. याचिका में कहा गया है कि, प्रदेश शासन और प्रशासन ने देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और संतों को स्वच्छ और पर्याप्त गंगाजल उपलब्ध कराने पर अब तक कोई विचार नहीं किया है.
एडवोकेट विजय चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक जनहित याचिका में कहा गया है कि, देश विदेश से लाखों श्रद्धालु, गंगा भक्त और संत प्रयागराज आते हैं. कुम्भ मेला के लिए शासन और प्रशासन की तैयारी भी जोरों से चल रही है. सरकार की ओर से काफी बजट भी स्वीकृत हुआ है लेकिन शासन प्रशासन ने अब तक इस संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लिया है कि महाकुम्भ के अवसर पर श्रद्धालुओं, संतों और गंगा भक्तों को कैसे पर्याप्त और स्वच्छ गंगाजल उपलब्ध कराएगी, इस पर कोई विचार मंथन भी नहीं किया गया है.
विजय चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि, महाकुम्भ में स्नान और पूजन के लिए पर्याप्त और स्वच्छ गंगाजल तभी संभव हो सकेगा जब कानपुर की ट्रेनरी का पानी रोकने, गंगा में लगातार प्रतिदिन 4000 क्यूसेक पानी छोड़ने, गंगा और यमुना में गिरने वाले गंदे नाले बंद करने, गंगा किनारे उच्चतम बाढ़ बिन्दु से 500 मीटर निर्माण पर रोक, एसटीपी के सुचारू संचालन के आदेश का पालन पूर्णतः नहीं कराया जाएगा.
उच्च न्यायालय में लगाई गई याचिका में प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव, प्रयागराज के कमिश्नर और डीएम, मेला प्राधिकारण, प्रयागराज विकास प्राधिकारण और नगर निगम को पक्षकार बनाया गया है, ताकि महाकुम्भ में स्वच्छ और पर्याप्त गंगा जल उपलब्ध कराने में इन विभागों की जिम्मदारी सुनिश्चित की जा सके.