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फोरेंसिक रिपोर्ट का अंतहीन इंतजार नहीं कर सकते, हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकारा, जानें पूरा मामला

2020 Delhi Riots Case: दिल्ली दंगे के दौरान राष्ट्रगान गाने के लिए पांच युवकों की पिटाई के मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकारा. कोर्ट ने कहा कि पिछले 10 महीने से फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. आखिर ये इंतजार कब खत्म होगा?

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 7, 2024, 10:29 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने का दबाव बनाने के लिए पांच युवकों की पिटाई करने के मामले में दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि वो फोरेंसिक रिपोर्ट के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकती है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने अगली सुनवाई 3 अप्रैल को इन-चैंबर करने का आदेश दिया.

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि नेशनल फोरेंसिक सायंस यूनिवर्सिटी गुजरात के यहां से कुछ वीडियो फुटेज की फोरेंसिक रिपोर्ट आने बाकी हैं. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट गुजरात में चल रही फोरेंसिक जांच पर रोक लगा सकती है. रिपोर्ट के लिए अंतहीन इंतजार नहीं कर सकती है. इसके लिए कुछ समय तय होना चाहिए. फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार पिछले दस महीने से किया जा रहा है, आखिर ये इंतजार कब खत्म होगा? पहले दिल्ली से फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था और अब गुजरात से.

लचर जांच के लिए भी लग चुकी है फटकारः इसके पहले कोर्ट ने युवकों की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान कर जांच करने के मामले में लचर जांच पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि युवक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोट की संख्या हिरासत में लिए जाते समय बने एमएलसी में दर्ज चोट की संख्या से कैसे बढ़ गए. इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट न तो कोर्ट में दाखिल की गई है और न ही पुलिस के पास है.

कोर्ट ने कहा था कि पुलिस जांच रिपोर्ट में कई गड़बड़ियां है. पांच युवकों में एक की मौत हो गई, लेकिन चार तो जिंदा हैं. क्या जिंदा बचे युवकों से उन पुलिसकर्मियों की पहचान कराई गई. आप पूरी दुनिया की जांच करेंगे, लेकिन चश्मदीद गवाह से कोई पूछताछ नहीं करेंगे. आपने उन चार युवकों का बयान दर्ज करने की जहमत तक नहीं उठाई. ये किस किस्म की जांच है?

यह भी पढ़ेंः हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा- 2020 दंगे की जांच पूरी हुई या पूरक चार्जशीट दाखिल किया जाना है बाकी?

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था वीडियोः दरअसल, सोशल मीडिया पर जन-गण-मन नामक एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पांच युवकों को पुलिसकर्मी घेरे हुए हैं और उनसे राष्ट्रगान गाने के लिए दबाव बना रहे हैं. ये युवक जमीन पर असहाय रूप से लेटे हैं और पुलिस उनके साथ मारपीट कर रही है. फैजान नामक युवक को 24 फरवरी 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसे 25 फरवरी 2020 को काफी नाजुक स्थिति में छोड़ा था. उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उसकी 26 फरवरी 2020 को मौत हो गई. याचिका फैजान की मां ने दायर किया है.

याचिका में कहा गया है कि 25-26 फरवरी 2020 की दरम्यानी रात को फैजान ने मां किस्मातुन को बताया था कि उसे पुलिस ने प्रताड़ित किया था और उसकी खूब पिटाई की गई थी. फैजान को ज्योति नगर पुलिस थाने में गैरकानूनी हिरासत में रखा गया था और उसे इलाज उपलब्ध करने से इनकार कर दिया गया था. जब उसकी स्थिति खराब होने लगी और पुलिस को लगा कि वह नहीं बच पाएगा तो उसे छोड़ा गया.

याचिका में कहा गया है कि इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया, लेकिन जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में की जाए. इसके लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष टीम गठित की जाए, जो फैजान की हिरासत में मौत की जांच करे. इस जांच की समय-समय पर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का दिशानिर्देश जारी किया जाए.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली दंगा मामले में सरकारी वकील पर झूठे आरोप लगाने पर कोर्ट ने की वकील महमूद प्राचा की आलोचना

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के दौरान राष्ट्रगान गाने का दबाव बनाने के लिए पांच युवकों की पिटाई करने के मामले में दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि वो फोरेंसिक रिपोर्ट के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकती है. जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने अगली सुनवाई 3 अप्रैल को इन-चैंबर करने का आदेश दिया.

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि नेशनल फोरेंसिक सायंस यूनिवर्सिटी गुजरात के यहां से कुछ वीडियो फुटेज की फोरेंसिक रिपोर्ट आने बाकी हैं. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट गुजरात में चल रही फोरेंसिक जांच पर रोक लगा सकती है. रिपोर्ट के लिए अंतहीन इंतजार नहीं कर सकती है. इसके लिए कुछ समय तय होना चाहिए. फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार पिछले दस महीने से किया जा रहा है, आखिर ये इंतजार कब खत्म होगा? पहले दिल्ली से फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा था और अब गुजरात से.

लचर जांच के लिए भी लग चुकी है फटकारः इसके पहले कोर्ट ने युवकों की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान कर जांच करने के मामले में लचर जांच पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था कि युवक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोट की संख्या हिरासत में लिए जाते समय बने एमएलसी में दर्ज चोट की संख्या से कैसे बढ़ गए. इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट न तो कोर्ट में दाखिल की गई है और न ही पुलिस के पास है.

कोर्ट ने कहा था कि पुलिस जांच रिपोर्ट में कई गड़बड़ियां है. पांच युवकों में एक की मौत हो गई, लेकिन चार तो जिंदा हैं. क्या जिंदा बचे युवकों से उन पुलिसकर्मियों की पहचान कराई गई. आप पूरी दुनिया की जांच करेंगे, लेकिन चश्मदीद गवाह से कोई पूछताछ नहीं करेंगे. आपने उन चार युवकों का बयान दर्ज करने की जहमत तक नहीं उठाई. ये किस किस्म की जांच है?

यह भी पढ़ेंः हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा- 2020 दंगे की जांच पूरी हुई या पूरक चार्जशीट दाखिल किया जाना है बाकी?

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था वीडियोः दरअसल, सोशल मीडिया पर जन-गण-मन नामक एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पांच युवकों को पुलिसकर्मी घेरे हुए हैं और उनसे राष्ट्रगान गाने के लिए दबाव बना रहे हैं. ये युवक जमीन पर असहाय रूप से लेटे हैं और पुलिस उनके साथ मारपीट कर रही है. फैजान नामक युवक को 24 फरवरी 2020 को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसे 25 फरवरी 2020 को काफी नाजुक स्थिति में छोड़ा था. उसे एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उसकी 26 फरवरी 2020 को मौत हो गई. याचिका फैजान की मां ने दायर किया है.

याचिका में कहा गया है कि 25-26 फरवरी 2020 की दरम्यानी रात को फैजान ने मां किस्मातुन को बताया था कि उसे पुलिस ने प्रताड़ित किया था और उसकी खूब पिटाई की गई थी. फैजान को ज्योति नगर पुलिस थाने में गैरकानूनी हिरासत में रखा गया था और उसे इलाज उपलब्ध करने से इनकार कर दिया गया था. जब उसकी स्थिति खराब होने लगी और पुलिस को लगा कि वह नहीं बच पाएगा तो उसे छोड़ा गया.

याचिका में कहा गया है कि इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया, लेकिन जांच में पुलिसकर्मियों को बचाने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में की जाए. इसके लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष टीम गठित की जाए, जो फैजान की हिरासत में मौत की जांच करे. इस जांच की समय-समय पर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का दिशानिर्देश जारी किया जाए.

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