नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD), दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) के पब्लिक टॉयलेट-पब्लिक यूटिलिटी का केंद्र सरकार के मान्यता प्राप्त ऑडिटर से आडिट कराने का आदेश दिया है. मंगलवार को सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया. अगली सुनवाई 1 मई को होगी.
दरअसल, सुनवाई के दौरान एमसीडी, डीडीए और एनडीएमसी की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि उनकी ओर से संचालित पब्लिक टॉयलेट-पब्लिक यूटिलिटी अच्छे हालत में हैं. तब कोर्ट ने कहा कि ऐसी ही कुछ दूसरी याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित हैं, जिसमें एमसीडी के टॉयलेट की दयनीय स्थिति के बारे में बताया गया है, जबकि प्राधिकार सब कुछ ठीक बताता है. ऐसे में थर्ड पार्टी ऑडिट जरूरी है.
कोर्ट ने एमसीडी, डीडीए और एनडीएमसी को निर्देश दिया कि वे इस बात का हलफनामा दें कि उनके यहां पब्लिक टॉयलेट-पब्लिक यूटिलिटी की साफ-सफाई संबंधी शिकायतों के निवारण का तंत्र ठीक से काम कर रहा है कि नहीं. इसके पहले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सभी प्राधिकारों को निर्देश दिया था कि वे शौचालयों को साफ करवाएं और स्टेटस रिपोर्ट दायर करें.
यह भी पढ़ेंः EWS कैटेगरी के लिए ड्रॉ में निकले परिणाम स्कूलों को मानना होगाः दिल्ली हाईकोर्ट
याचिका जनसेवा वेलफेयर सोसायटी ने दायर किया है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली के पब्लिक टॉयलेट और पब्लिक यूटिलिटी की साफ-सफाई और स्वच्छता की स्थिति काफी खराब है. इनकी साफ सफाई का जिम्मा नगर निगमों और राज्य सरकार की एजेंसियों की है. याचिका में कहा गया है कि पब्लिक टॉयलेट और पब्लिक यूटिलिटी में साफ सफाई न होना संविधान के खंड तीन और धारा 21 का उल्लंघन है. संविधान की धारा 47 के तहत लोक स्वास्थ्य में सुधार की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली में और पब्लिक टॉयलेट और पब्लिक यूटिलिटी का निर्माण किया जाना चाहिए.
यह भी पढ़ेंः नर्सिंग कर्मियों ने स्थायी करने की मांग को लेकर दिल्ली सचिवालय का घेराव किया