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हाईकोर्ट का आदेश- विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को सिर्फ केंद्र की अनुमति जरूरी

मेरठ की युवती की अमेरिका में मौत की सीबीआई करेगी जांच, हाईकोर्ट का आदेश

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी भारतीय नागरिक द्वारा विदेश में किए गए अपराध की जांच करने के लिए सीबीआई को राज्य सरकारों की अनुमति की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई नोडल एजेंसी है और उसे जांच के लिए सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है. कोर्ट ने मेरठ की युवती की अमेरिका में हुई संदिग्ध मौत की जांच करने का सीबीआई को निर्देश दिया है. मेरठ की कल्पना माहेश्वरी की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिरला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने दिया.

याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची की पुत्री अंशु माहेश्वरी की शादी सुमित बियानी के साथ हुई थी. शादी के बाद दोनों अमेरिका चले गए. जहां अंशु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. याची ने दहेज हत्या की आशंका जताते हुए 28 सितंबर 2023 को मेरठ में प्राथमिक की दर्ज कराई. मेरठ पुलिस ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को रेफर कर दिया. मगर सीबीआई ने इसमें कुछ नहीं किया.

कोर्ट में उपस्थित सीबीआई के अधिवक्ता का कहना था कि प्राथमिकी उत्तर प्रदेश राज्य में दर्ज़ है और मृतका यहीं की रहने वाली थी. इसलिए सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक है. जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता का तर्क था कि सीआरपीसी की धारा 188 के तहत विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है.

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत विदेश में रह रहे भारतीय नागरिक द्वारा किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता है. कोर्ट ने मई 2016 में डिपार्मेंट आफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग द्वारा जारी अधिसूचना का हवाला देकर कहा कि विदेशों में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को नोडल एजेंसी बनाया गया है. इसका अर्थ है कि भारत से बाहर किए गए अपराध की जांच सिर्फ सीबीआई कर सकती है. सीआरपीसी की धारा 188 यह प्रावधान करती है कि यदि भारत के बाहर कोई अपराध किया जाता है तो उसकी जांच और ट्रायल भारत में केंद्र सरकार की अनुमति से हो सकता है.

कोर्ट ने सीबीआई की दलील को खारिज करते हुए उसे अंशु माहेश्वरी की मौत की जांच करने का निर्देश दिया है. हालांकि इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि उसने अपनी तरफ से सीबीआई को जांच की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने फैसले की प्रति मिलने के 15 दिन के भीतर सीबीआई को प्रकरण की जांच शुरू करने का निर्देश दिया.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट ने कहा- नवरात्र की वजह से उर्स मनाने से नहीं कर सकते मना - Allahabad High Court

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी भारतीय नागरिक द्वारा विदेश में किए गए अपराध की जांच करने के लिए सीबीआई को राज्य सरकारों की अनुमति की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने कहा कि विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई नोडल एजेंसी है और उसे जांच के लिए सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है. कोर्ट ने मेरठ की युवती की अमेरिका में हुई संदिग्ध मौत की जांच करने का सीबीआई को निर्देश दिया है. मेरठ की कल्पना माहेश्वरी की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिरला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने दिया.

याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची की पुत्री अंशु माहेश्वरी की शादी सुमित बियानी के साथ हुई थी. शादी के बाद दोनों अमेरिका चले गए. जहां अंशु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. याची ने दहेज हत्या की आशंका जताते हुए 28 सितंबर 2023 को मेरठ में प्राथमिक की दर्ज कराई. मेरठ पुलिस ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को रेफर कर दिया. मगर सीबीआई ने इसमें कुछ नहीं किया.

कोर्ट में उपस्थित सीबीआई के अधिवक्ता का कहना था कि प्राथमिकी उत्तर प्रदेश राज्य में दर्ज़ है और मृतका यहीं की रहने वाली थी. इसलिए सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक है. जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता का तर्क था कि सीआरपीसी की धारा 188 के तहत विदेश में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है.

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत विदेश में रह रहे भारतीय नागरिक द्वारा किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को सिर्फ केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता है. कोर्ट ने मई 2016 में डिपार्मेंट आफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग द्वारा जारी अधिसूचना का हवाला देकर कहा कि विदेशों में किए गए अपराध की जांच के लिए सीबीआई को नोडल एजेंसी बनाया गया है. इसका अर्थ है कि भारत से बाहर किए गए अपराध की जांच सिर्फ सीबीआई कर सकती है. सीआरपीसी की धारा 188 यह प्रावधान करती है कि यदि भारत के बाहर कोई अपराध किया जाता है तो उसकी जांच और ट्रायल भारत में केंद्र सरकार की अनुमति से हो सकता है.

कोर्ट ने सीबीआई की दलील को खारिज करते हुए उसे अंशु माहेश्वरी की मौत की जांच करने का निर्देश दिया है. हालांकि इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि उसने अपनी तरफ से सीबीआई को जांच की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने फैसले की प्रति मिलने के 15 दिन के भीतर सीबीआई को प्रकरण की जांच शुरू करने का निर्देश दिया.

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