जयपुर. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शहर के पीआरएन (पृथ्वीराज नगर) योजना की 214 गैर अनुमोदित कॉलोनियों के करीब 25 हजार सोसायटी पट्टा धारकों को राहत देते हुए उनके मकानों पर बिजली कनेक्शन मुहैया कराने की मंजूरी दी है. खंडपीठ ने हाईकोर्ट के ही 5 जुलाई 2013 के आदेश से पीआरएन में सोसायटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन देने पर लगाई रोक को भी हटा दिया है. हाईकोर्ट की एकलपीठ के 11 नवंबर 2023 के उस आदेश को भी रद्द कर दिया गया, जिसमें प्रार्थियों को बिजली कनेक्शन देने से मना करते हुए उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं थी.
जस्टिस पंकज भंडारी व शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश शकुंतला शर्मा व बाबूलाल सहित अन्य की विशेष अपील याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए दिया. खंडपीठ ने कहा कि एकलपीठ का पीआरएन (पृथ्वीराज नगर) में सोसायटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन पर रोक लगाने का 2013 का आदेश बिजली अधिनियम 2003 की धारा 43 के प्रावधानों का उल्लंघन है. हाईकोर्ट के इस आदेश से पीआरएन में सोसायटी पट्टा कब्जाधारकों को 11 साल बाद बिजली कनेक्शन मिल सकेगा. विशेष अपील याचिकाओं में एकलपीठ के 11 नवंबर 2023 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने प्रार्थियों को कब्जाधारक की श्रेणी में नहीं मानकर उन्हें बिजली कनेक्शन देने से इंकार करते हुए उनकी याचिकाएं खारिज की थी.
प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने कहा कि उन्होंने सोसायटी पट्टों के जरिए पीआरएन में जमीन खरीद कर मकान बनाए थे. वे बिजली अधिनियम की धारा 43 के तहत कब्जाधारी की परिभाषा में आते हैं. किसी भी न्यायालय का आदेश यदि नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ होगा तो वह लागू नहीं किया जाएगा. ऐसे में हाईकोर्ट का 5 जुलाई 2013 का सोसायटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन नहीं देने का आदेश अधिनियम की धारा 43 का उल्लंघन है. वहीं एकलपीठ का 11 नवंबर 2023 का याचिकाएं खारिज करने वाला आदेश भी गलत है, इसलिए एकलपीठ का आदेश रद्द कर सोसायटी पट्टा धारकों को भी बिजली कनेक्शन की मंजूरी दी जाए.