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अर्थहीन अवमानना याचिका दाखिल करने पर हाईकोर्ट ने लगाया 50 हजार हर्जाना - HIGH COURT NEWS

हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने कहा, किसी पर दबाव डालने या परेशान करने के इरादे से नहीं दाखिल होनी चाहिए अवमानना याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 12, 2025, 8:41 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अर्थहीन अवमानना याचिका दाखिल करने वाले याची पर 50 हज़ार रुपये हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अवमानना याचिका किसी पर दबाव डालने या परेशान करने के लिए नहीं दाखिल की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा ऐसा लगता है कि याची ने भूखंडों पर काबिज लोगों को परेशान करने के लिए यह याचिका दा​खिल की है. यह टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने याची शिव शंकर पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया.

प्रयागराज के शिवशंकर ने अवमानना याचिका दाखिल कर आरोप लगाया कि ग्राम सभा ने कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अतिक्रमण नहीं हटाया. लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विचाराधीन भूखंड जल निकासी के लिए हैं. लेकिन गलत तरीके से दर्ज किए गए और रिकॉर्ड में सुधार की सिफारिश की. इस रिपोर्ट के आधार पर यह दलील दी गई कि विपक्षियों ने हाईकोर्ट के आदेश और लेखपाल की सिफारिशों के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया.

कोर्ट ने कहा कि याची के पास अतिक्रमण हटाने के लिए अन्य उपाय थे. उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 38 के तहत राजस्व प्रविष्टियों को सही करने के बाद ही अतिक्रमण हटाया जा सकता है. ऐसे मामलों में न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती.

इसे भी पढ़ें-महाकुंभ में लाउडस्पीकर पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अर्थहीन अवमानना याचिका दाखिल करने वाले याची पर 50 हज़ार रुपये हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अवमानना याचिका किसी पर दबाव डालने या परेशान करने के लिए नहीं दाखिल की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा ऐसा लगता है कि याची ने भूखंडों पर काबिज लोगों को परेशान करने के लिए यह याचिका दा​खिल की है. यह टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने याची शिव शंकर पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया.

प्रयागराज के शिवशंकर ने अवमानना याचिका दाखिल कर आरोप लगाया कि ग्राम सभा ने कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अतिक्रमण नहीं हटाया. लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विचाराधीन भूखंड जल निकासी के लिए हैं. लेकिन गलत तरीके से दर्ज किए गए और रिकॉर्ड में सुधार की सिफारिश की. इस रिपोर्ट के आधार पर यह दलील दी गई कि विपक्षियों ने हाईकोर्ट के आदेश और लेखपाल की सिफारिशों के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया.

कोर्ट ने कहा कि याची के पास अतिक्रमण हटाने के लिए अन्य उपाय थे. उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 38 के तहत राजस्व प्रविष्टियों को सही करने के बाद ही अतिक्रमण हटाया जा सकता है. ऐसे मामलों में न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती.

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