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किसान की जमीन पर कब्जे का मामला, हाईकोर्ट ने कैथोलिक डायोसिस और राज्य सरकार पर लगाया 10 लाख का हर्जाना - Allahabad High Court

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 11, 2024, 10:12 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ग्रामीण की भूमि पर गलत तरीके से कब्जा (farmer land Capture in Prayagraj) करने पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने यह हर्जाना कैथोलिक डायोसिस ऑफ गोरखपुर और राज्य सरकार पर लगाया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo credit: ETV Bharat)

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजस्व दस्तावेजों में जालसाजी कर एक किसान की जमीन कब्जाने के मामले में कैथोलिक डायोसिस ऑफ गोरखपुर और राज्य सरकार पर 10 लाख रुपए हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने सरकार और डायोसिस को बराबर रकम कार्यदायी अदालत के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि चाहे आसमान ही क्यों न गिर जाए, न्याय अवश्य होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि यह कहावत इस विश्वास को दर्शाती है कि परिणामों की परवाह किए बिना न्याय दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि राज्य और अपीलकर्ता संस्था ने एक साथ मिलकर वादी की भूमि पर कब्जा किया. उसे अपनी जमीन के लिए 32 वर्ष तक अदालतों में मुकदमा लड़ना पड़ा. जिला और सचिवालय स्तर पर सरकारी मशीनरी की मदद से दस्तावेजों में हेराफेरी करके वादी और उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी अचल संपत्ति के उपयोग से वंचित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में 32 साल बाद यह अदालत राज्य व कैथोलिक डायोसीज पर हर्जाना लगाना उचित समझती है. न्यायमूर्ति ​​क्षितिज शैलेंद्र ने अध्यक्ष कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर की द्वितीय अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया.

यह था मामला : गोरखपुर के गांव जंगल सालिकराम में भूखंड संख्या 26 रकबा 93 डिसमिल पर वादी भोला की भूमिधारी जमीन थी. कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर की ओर से इस जमीन पर राज्य सरकार से पट्टा प्राप्त करने का दावा करते हुए चहारदीवारी बनाई जाने लगी. इसके विरोध में भोला ने सिविल वाद दा​खिल कर दिया. ट्रायल कोर्ट से राहत न मिलने पर भोला ने प्रथम अपील दा​खिल की. कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए दर्शाई गई भूमि पर चारदीवारी को हटाने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि वादी के कब्जे में कोई हस्तक्षेप न करें. इसके साथ ही उप रजिस्ट्रार-प्रथम, गोरखपुर के समक्ष 13 जनवरी 1993 को पंजीकृत पट्टा विलेख शून्य और अप्रभावी घोषित कर दिया.

प्रथम अपील के विरोध में कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर के अध्यक्ष की ओर से हाईकोर्ट में सेकेंड अपील दाखिल की गई. कोर्ट ने तथ्यों का अवलोकन करने व दलीलों को सुनने के बाद कहा कि प्रथम अपीलीय न्यायालय के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है. सिवाय इसके कि अपीलकर्ता और राज्य पर भारी हर्जाना लगाया जाना चाहिए था. हाईकोर्ट ने भोला के पक्ष में डिक्री जारी करने वाले न्यायालय को हर्जाने की रकम भोला के विधिक उत्तराधिकारियों के पक्ष में निर्गत करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो जिम्मेदार अधिकारियों से रकम वसूल सकती है.

यह भी पढ़ें : फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विवाह को लेकर हाईकोर्ट सख्त, आर्य समाज संस्थाओं की जांच का आदेश - Allahabad High Court Order

यह भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP ट्रांसजेंडर नीति पर केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालयों से मांगा जवाब - UP transgender policy Court Hearing

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजस्व दस्तावेजों में जालसाजी कर एक किसान की जमीन कब्जाने के मामले में कैथोलिक डायोसिस ऑफ गोरखपुर और राज्य सरकार पर 10 लाख रुपए हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने सरकार और डायोसिस को बराबर रकम कार्यदायी अदालत के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि चाहे आसमान ही क्यों न गिर जाए, न्याय अवश्य होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि यह कहावत इस विश्वास को दर्शाती है कि परिणामों की परवाह किए बिना न्याय दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि राज्य और अपीलकर्ता संस्था ने एक साथ मिलकर वादी की भूमि पर कब्जा किया. उसे अपनी जमीन के लिए 32 वर्ष तक अदालतों में मुकदमा लड़ना पड़ा. जिला और सचिवालय स्तर पर सरकारी मशीनरी की मदद से दस्तावेजों में हेराफेरी करके वादी और उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी अचल संपत्ति के उपयोग से वंचित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे में 32 साल बाद यह अदालत राज्य व कैथोलिक डायोसीज पर हर्जाना लगाना उचित समझती है. न्यायमूर्ति ​​क्षितिज शैलेंद्र ने अध्यक्ष कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर की द्वितीय अपील खारिज करते हुए यह आदेश दिया.

यह था मामला : गोरखपुर के गांव जंगल सालिकराम में भूखंड संख्या 26 रकबा 93 डिसमिल पर वादी भोला की भूमिधारी जमीन थी. कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर की ओर से इस जमीन पर राज्य सरकार से पट्टा प्राप्त करने का दावा करते हुए चहारदीवारी बनाई जाने लगी. इसके विरोध में भोला ने सिविल वाद दा​खिल कर दिया. ट्रायल कोर्ट से राहत न मिलने पर भोला ने प्रथम अपील दा​खिल की. कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए दर्शाई गई भूमि पर चारदीवारी को हटाने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि वादी के कब्जे में कोई हस्तक्षेप न करें. इसके साथ ही उप रजिस्ट्रार-प्रथम, गोरखपुर के समक्ष 13 जनवरी 1993 को पंजीकृत पट्टा विलेख शून्य और अप्रभावी घोषित कर दिया.

प्रथम अपील के विरोध में कैथोलिक डायोसीज ऑफ गोरखपुर के अध्यक्ष की ओर से हाईकोर्ट में सेकेंड अपील दाखिल की गई. कोर्ट ने तथ्यों का अवलोकन करने व दलीलों को सुनने के बाद कहा कि प्रथम अपीलीय न्यायालय के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है. सिवाय इसके कि अपीलकर्ता और राज्य पर भारी हर्जाना लगाया जाना चाहिए था. हाईकोर्ट ने भोला के पक्ष में डिक्री जारी करने वाले न्यायालय को हर्जाने की रकम भोला के विधिक उत्तराधिकारियों के पक्ष में निर्गत करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो जिम्मेदार अधिकारियों से रकम वसूल सकती है.

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