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नैनीताल जेल में अव्यवस्था मामले पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने सरकार से पूछे ये सवाल - Nainital Jail Conditions

High Court on Nainital Jail Condition 'नैनीताल जेल को शिफ्ट किया जाए या इसका सुधारीकरण किया जाए?' यह सवाल हाईकोर्ट ने नैनीताल जेल की स्थिति पर सरकार से पूछे. साथ ही 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 15, 2024, 6:22 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल जेल में फैली अव्यवस्थाओं और जेल के जर्जर भवन का स्वतः संज्ञान वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि जेल को शिफ्ट किया जाए या इसका सुधारीकरण किया जाए? 10 दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट करें. साथ ही कोर्ट ने अधिवक्ता श्रुति जोशी को इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है.

नैनीताल हाईकोर्ट ने अधिवक्ता श्रुति जोशी से कहा है कि वो जेल का निरीक्षण करें. कैदियों से मिलने के बाद उनकी समस्याओं से कोर्ट को अवगत कराएं. ताकि, जेल में बंद कैदी समाज भी मुख्यधारा से जुड़ सकें. उन्हें रोजगारपरक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था पर सुझाव देने को भी कहा. जिससे वो जेल से बाहर आने के बाद बेहतर जीवन जी सके.

बता दें कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नैनीताल जेल के निरीक्षण के दौरान पाया था कि साल 1906 में बना जेल का भवन काफी पुराना हो चुका है, जो जर्जर हालत में पहुंच चुका है. जेल में क्षमता से ज्यादा कैदियों को रखा गया है. जेल में बंद कैदियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. जेल भवन मुख्य सड़क से काफी दूरी पर स्थित है.

इसके अलावा कैदियों के बीमार पड़ने पर उन्हें समय पर अस्पताल तक पहुंचाने में काफी दिक्कतें होती है. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नैनीताल जेल भवन भूगर्भीय दृष्टि से भी संवेदनशील है. जो कभी भी भूस्खलन की जद में आ सकता है. जिसका नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. अब मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं. साथ ही न्यायमित्र नियुक्त कर दिया है.

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नैनीताल हाईकोर्ट ने अधिवक्ता श्रुति जोशी से कहा है कि वो जेल का निरीक्षण करें. कैदियों से मिलने के बाद उनकी समस्याओं से कोर्ट को अवगत कराएं. ताकि, जेल में बंद कैदी समाज भी मुख्यधारा से जुड़ सकें. उन्हें रोजगारपरक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था पर सुझाव देने को भी कहा. जिससे वो जेल से बाहर आने के बाद बेहतर जीवन जी सके.

बता दें कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नैनीताल जेल के निरीक्षण के दौरान पाया था कि साल 1906 में बना जेल का भवन काफी पुराना हो चुका है, जो जर्जर हालत में पहुंच चुका है. जेल में क्षमता से ज्यादा कैदियों को रखा गया है. जेल में बंद कैदियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. जेल भवन मुख्य सड़क से काफी दूरी पर स्थित है.

इसके अलावा कैदियों के बीमार पड़ने पर उन्हें समय पर अस्पताल तक पहुंचाने में काफी दिक्कतें होती है. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नैनीताल जेल भवन भूगर्भीय दृष्टि से भी संवेदनशील है. जो कभी भी भूस्खलन की जद में आ सकता है. जिसका नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. अब मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं. साथ ही न्यायमित्र नियुक्त कर दिया है.

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