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शिष्या से दुष्कर्म के अपराध में आजीवन सजा काट रहे फलाहारी बाबा को पैरोल - Parole to Falahari Baba

हाईकोर्ट ने शिष्या के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में सजा काट रहे फलाहारी बाबा को 20 दिन के पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिया है.

Parole to Falahari Baba
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 26, 2024, 8:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने अलवर स्थित आश्रम में शिष्या के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे फलाहारी बाबा को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य उर्फ फलाहारी की पैरोल याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने गत 29 जनवरी की पैरोल कमेटी के आदेश को भी रद्द कर दिया है, जिसमें कमेटी ने अभियुक्त बाबा को पैरोल नहीं देने की सिफारिश की थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त सात साल से जेल में बंद है. ऐसे में वह पैरोल नियमों के तहत पैरोल लेने का अधिकारी है. इसके अलावा जेल में उसका आचरण भी संतोषजनक मिला है. इसलिए उसे पैरोल पर रिहा किया जाना उचित है.

याचिका में अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सात साल से अधिक की अवधि से जेल में बंद है. ऐसे में वह 20 दिन के प्रथम नियमित पैरोल का अधिकारी है, लेकिन पुलिस अधीक्षक की विपरीत रिपोर्ट के चलते पैरोल कमेटी ने उसके पैरोल आवेदन को निरस्त कर दिया, जबकि याचिकाकर्ता को लेकर केन्द्रीय कारागार के जेल अधीक्षक और सामाजिक न्याय विभाग की रिपोर्ट संतोषजनक है. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ रिपोर्ट दी है. इसके अलावा वह गंभीर अपराध में सजा काट रहा है. यदि उसे पैरोल पर रिहा किया गया तो समाज और पीड़िता पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

इसे भी पढ़ें-राजस्थान हाईकोर्ट का पॉक्सो के दोषी के पैरोल को लेकर बड़ा फैसला, गांव से दूर रहने का दिया आदेश

2018 में हुई थी सजा : दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त याचिकाकर्ता को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि 21 वर्षीय लॉ स्टूडेंट ने सितंबर 2017 को एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि अभियुक्त ने सात अगस्त, 2017 को अलवर स्थित आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म किया था. मामले में 26 सितंबर, 2018 को एडीजे कोर्ट ने अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने अलवर स्थित आश्रम में शिष्या के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे फलाहारी बाबा को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य उर्फ फलाहारी की पैरोल याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने गत 29 जनवरी की पैरोल कमेटी के आदेश को भी रद्द कर दिया है, जिसमें कमेटी ने अभियुक्त बाबा को पैरोल नहीं देने की सिफारिश की थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त सात साल से जेल में बंद है. ऐसे में वह पैरोल नियमों के तहत पैरोल लेने का अधिकारी है. इसके अलावा जेल में उसका आचरण भी संतोषजनक मिला है. इसलिए उसे पैरोल पर रिहा किया जाना उचित है.

याचिका में अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सात साल से अधिक की अवधि से जेल में बंद है. ऐसे में वह 20 दिन के प्रथम नियमित पैरोल का अधिकारी है, लेकिन पुलिस अधीक्षक की विपरीत रिपोर्ट के चलते पैरोल कमेटी ने उसके पैरोल आवेदन को निरस्त कर दिया, जबकि याचिकाकर्ता को लेकर केन्द्रीय कारागार के जेल अधीक्षक और सामाजिक न्याय विभाग की रिपोर्ट संतोषजनक है. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ रिपोर्ट दी है. इसके अलावा वह गंभीर अपराध में सजा काट रहा है. यदि उसे पैरोल पर रिहा किया गया तो समाज और पीड़िता पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

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2018 में हुई थी सजा : दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त याचिकाकर्ता को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि 21 वर्षीय लॉ स्टूडेंट ने सितंबर 2017 को एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि अभियुक्त ने सात अगस्त, 2017 को अलवर स्थित आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म किया था. मामले में 26 सितंबर, 2018 को एडीजे कोर्ट ने अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

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