प्रयागराज: फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में हुई सजा के खिलाफ पूर्व मंत्री आजम खान के बेटे अब्दुल्ला और पत्नी तंजीम फातिमा की पुनरीक्षण याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है. इस मामले में महाधिवक्ता अजय मिश्र ने सरकार का पक्ष रखा. याचिका पर न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह सुनवाई कर रहे हैं.
कोर्ट ने महाधिवक्ता से सवाल किया कि जब इस मामले में अपराधिक साजिश की धारा 120 बी को जोड़ा गया तो साक्ष्य क्यों नहीं जुटाए गए. मामले में अग्रिम विवेचना आदेश क्यों नहीं दिया गया. कोर्ट ने पूछा कि जन्म प्रमाणपत्र जारी करने वाली संस्था नगर निगम के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की गई।. क्या जन्म प्रमाणपत्र एक मूल्यवान दस्तावेज है. इसके जवाब में कहा गया कि इसी जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर कई मूल्यवान दस्तावेज़ तैयार किए गए. महाधिवक्ता सरकार का पक्ष रखने के लिए अदालत से और समय चाहते थे. लेकिन कोर्ट इस पर सहमत नहीं हुई. आजम खान के वकील पहले ही अपनी बहस पूरी कर चुके हैं. कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है.
उल्लेखनीय है कि आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे को रामपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात -सात साल कैद की सजा सुनाई है. इसी सजा के खिलाफ आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर हाईकोर्ट में दाख़िल की गई है. याचिका के तहत अर्जी देकर जमानत मांगी गई है.
बता दें कि विधानसभा चुनाव 2017 में अब्दुल्ला खान स्वार से विधायक चुने गए थे. प्रतिद्वंदी प्रत्याशी नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां तथा बाद में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पर अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने की शिकायत की थी. इस पर हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला का चुनाव रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. अब्दुल्ला आजम के शैक्षिक प्रमाण पत्र में उनकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दर्ज है और नगर निगम लखनऊ से जारी प्रमाणपत्र में 30 सितंबर 1990 दर्ज है. आजम खान सहित तीनों के खिलाफ फर्जी जन्म प्रमाणपत्र तैयार करने के आरोप में केस दर्ज किया गया था.