रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शनिवार को फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा मोरहाबादी के आर्यभट्ट सभागार में आयोजित 'सृजन' स्टार्टअप कॉन्क्लेव में शामिल हुए. यह राज्य का पदभार संभालने के बाद उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था. अपने संबोधन में उन्होंने सभागार में मौजूद चेंबर के सदस्यों को भरोसा दिलाया कि सरकार राज्य में निवेश और उद्योग को बढ़ावा देने के पक्ष में है ताकि युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिल सके.
उन्होंने अपने संबोधन में उद्योगपतियों को राज्य की परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड में नए स्टार्टअप और उद्योग से लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक है और इसके लिए हर संभव मदद करने के लिए तैयार है. सीएम ने कहा कि सरकार की नई स्टार्टअप पॉलिसी युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खोलने में मदद करेगी.
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राज्य में कई उद्योग काफी पुराने है, जिनसे लोग कई पीढ़ियों से जुड़े रहे हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मानते हैं कि राज्य में स्टार्टअप को जितना बढ़ावा मिलना चाहिए था उतना नहीं मिल पाया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश के नीति-निर्धारकों ने इस राज्य की अहमियत को समझा था. राज्य के प्रति उनकी संवेदनाएं भी रही होंगी, यही वजह है कि हमारे राज्य में कई बड़े उद्योग स्थापित हुए.
टाटा और बिड़ला जैसे कई उद्योग समूहों ने अपने उद्योग लगाए. इसी राज्य में कोल इंडिया की सबसे ज्यादा गतिविधियां संचालित हुई. देश का पहला फर्टिलाइजर इंडस्ट्री, माइनिंग इंस्टीट्यूट और उद्योग जगत की जननी नाम से मशहूर 'हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड' (एचईसी) भी झारखंड राज्य में ही स्थापित हुआ.
बाद के दिनों में जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया और परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती गई कि यहां के कई बड़े-बड़े उद्योग सिकुड़ते चले गए, उद्योग-धंधे बंद होते गए. जिन उद्योगों का विस्तार होना था, वे सिमटते गए. इस वजह से लोग बेरोजगार भी हुए. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार उद्योगों की ऐसी बुनियाद डालना चाहती है, जिसका लाभ लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी मिल सके. इसके लिए झारखंड चेंबर का जो भी सुझाव होगा, उस पर सकारात्मक अमल करते हुए सरकार पूरा सहयोग करेगी.
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