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रिकॉर्ड बनाने से चूके हेमंत: झारखंड में रघुवर को छोड़कर किसी मुख्यमंत्री ने नहीं पूरा किया कार्यकाल - मुख्यमंत्री का कार्यकाल

Tenure of Chief Minister. हेमंत सोरेन भी मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. अब तक राज्य में कुल 11 सीएम बने, जिसमें से केवल एक रघुवर दास ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके हैं.

tenure of Chief Minister
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 1, 2024, 1:44 PM IST

रांचीः हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सियासी हलचल तेज है. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के द्वारा एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए राजभवन के समक्ष विधायकों के समर्थन से संबंधित पत्र सौंपा जा चुका है. हालांकि इस पर राजभवन की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इन सबके बीच झारखंड के 23 वर्षों के राजनीतिक सफर को देखें तो अब तक राज्य में 11 मुख्यमंत्री बने जिसमें रघुवर दास को छोड़कर किसी ने 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.

रघुवर दास के नाम झारखंड के प्रथम गैरआदिवासी मुख्यमंत्री बनने का भी रिकॉर्ड है. वो राज्य की गद्दी पर 28 दिसंबर 2014 से 29 दिसंबर 2019 तक बने रहे. रघुवर दास के बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि हेमंत सोरेन आदिवासी मुख्यमंत्री के रुप में पहले व्यक्ति होंगे जो पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे. 2019 में पूर्ण बहुमत के साथ जिस तरह से जनता का समर्थन महागठबंधन को मिला उसके बाद सभी के जुबान पर यही बातें आ रही थीं. शुरुआती दौर में सरकार कोरोना से जुझती रही और जैसे ही स्थितियां सामान्य होने लगी भ्रष्टाचार सरकार के अंदर हावी होता चला गया. ईडी की कार्रवाई इतनी तेज हुई कि अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक इसके लपेटे में आ गए.

झारखंड के मुख्यमंत्री का कार्यकालः

tenure of Chief Minister
झारखंड के मुख्यमंत्री का कार्यकाल
आरोप प्रत्यारोप का चलता रहा खेलः झारखंड की गद्दी पर दूसरी बार बतौर मुख्यमंत्री के रुप में काबिज हुए हेमंत सोरेन का कार्यकाल विवादों में रहा. भ्रष्टाचार और प्रशासनिक खामियों की वजह से सरकार हमेशा घिरती रही. सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जारी आरोप प्रत्यारोप न्यायालय तक पहुंचता रहा. सरकार कई मौकों पर अपने फैसले वापस लेती रही, जिस वजह से विपक्ष को हमला बोलने का मौका मिलता रहा. राजभवन और सरकार के बीच दूरियां बढ़ी और खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कई मौके पर राजभवन पर टिप्पणी करते दिखे. पूर्व और वर्तमान दोनों राज्यपाल के द्वारा सरकार के कामकाज और विधि व्यवस्था पर सवाल उठाया जाता रहा. इन सबके बीच ईडी के समन ने आग में घी डालने का काम किया. आखिरकार जो आशंका जताई जा रही थी वही हुआ और गिरफ्तारी की वजह से हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा.

रांचीः हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सियासी हलचल तेज है. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के द्वारा एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए राजभवन के समक्ष विधायकों के समर्थन से संबंधित पत्र सौंपा जा चुका है. हालांकि इस पर राजभवन की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इन सबके बीच झारखंड के 23 वर्षों के राजनीतिक सफर को देखें तो अब तक राज्य में 11 मुख्यमंत्री बने जिसमें रघुवर दास को छोड़कर किसी ने 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.

रघुवर दास के नाम झारखंड के प्रथम गैरआदिवासी मुख्यमंत्री बनने का भी रिकॉर्ड है. वो राज्य की गद्दी पर 28 दिसंबर 2014 से 29 दिसंबर 2019 तक बने रहे. रघुवर दास के बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि हेमंत सोरेन आदिवासी मुख्यमंत्री के रुप में पहले व्यक्ति होंगे जो पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे. 2019 में पूर्ण बहुमत के साथ जिस तरह से जनता का समर्थन महागठबंधन को मिला उसके बाद सभी के जुबान पर यही बातें आ रही थीं. शुरुआती दौर में सरकार कोरोना से जुझती रही और जैसे ही स्थितियां सामान्य होने लगी भ्रष्टाचार सरकार के अंदर हावी होता चला गया. ईडी की कार्रवाई इतनी तेज हुई कि अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक इसके लपेटे में आ गए.

झारखंड के मुख्यमंत्री का कार्यकालः

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झारखंड के मुख्यमंत्री का कार्यकाल
आरोप प्रत्यारोप का चलता रहा खेलः झारखंड की गद्दी पर दूसरी बार बतौर मुख्यमंत्री के रुप में काबिज हुए हेमंत सोरेन का कार्यकाल विवादों में रहा. भ्रष्टाचार और प्रशासनिक खामियों की वजह से सरकार हमेशा घिरती रही. सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जारी आरोप प्रत्यारोप न्यायालय तक पहुंचता रहा. सरकार कई मौकों पर अपने फैसले वापस लेती रही, जिस वजह से विपक्ष को हमला बोलने का मौका मिलता रहा. राजभवन और सरकार के बीच दूरियां बढ़ी और खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कई मौके पर राजभवन पर टिप्पणी करते दिखे. पूर्व और वर्तमान दोनों राज्यपाल के द्वारा सरकार के कामकाज और विधि व्यवस्था पर सवाल उठाया जाता रहा. इन सबके बीच ईडी के समन ने आग में घी डालने का काम किया. आखिरकार जो आशंका जताई जा रही थी वही हुआ और गिरफ्तारी की वजह से हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा.
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