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बारिश में टापू बना छत्तीसगढ़ का ये गांव, लोग जानलेवा कदम उठाने को मजबूर, कब जागेगा सिस्टम ? - Heavy rain havoc in Kanker

भारत को आजाद हुए 76 साल से ज्यादा का समय बीत गया है. बावजूद इसके देश के कई गांवों अब भी बुनियादी विकास की सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. छत्तीसगढ़ के कांकेर के झूलनातेंदू गांव की यही कहानी है. हर साल बारिश में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है.

HEAVY RAIN HAVOC IN KANKER
भारत में मॉनसून शबाब पर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 21, 2024, 4:34 PM IST

कांकेर का यह गांव बारिश में बना टापू (ETV BHARAT)

कांकेर: भारत में मॉनसून शबाब पर है. छत्तीसगढ़ में भी झमाझम बारिश का दौर जारी है. कांकेर जिले में भी लगातार बारिश हो रही है. इस बारिश में कांकेर के झूलनातेंदू गांव के लोग सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं. यहां के ग्रामीण यह परेशानी बीते 70 साल से भी ज्यादा समय से हर बारिश में फेस करते हैं. हर साल बारिश में यह गांव टापू में तब्दील हो जाता है. क्योंकि गांव में पक्की सड़कें और पुल पुलिया नहीं है. जिसकी वजह से गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट जाता है.

झूलनातेंदू गांव के लोग जानलेवा कदम उठाने को मजबूर: भारी बारिश में पुल पुलिया नहीं होने की वजह से झूलनातेंदू गांव के लोगों को आवागमन की समस्याओं से जूझना पड़ता है. कांकेर जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर यह गांव स्थित है. इस गांव की आबादी 300 के करीब है और लोगों के बाहर जाने का रास्ता एक ही है. इस रास्ते के बीच में एक नाला पड़ता है जो बारिश के दिनों में नदी का रूप ले लेता है. इस नाले पर कोई पुल नहीं है जिससे लोगों को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. हर साल बारिश में यह गांव एक टापू में तब्दील हो जाता है.

"पुल का निर्माण नहीं होने के कारण संजीवनी 108 और महतारी 102 एक्सप्रेस की सुविधा गांव वालों को नहीं मिल पाती है. बारिश के दिनों में यहां के स्कूली बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है. कई बार जन प्रतिनिधियों की ओर से ग्राम सुराद में आवेदन दिया गया है. इन आवेदनों और हमारी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है": ग्रामीण, झूलनातेंदू गांव

ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस गांव के पास जाकर स्थिति का मुआयना किया. बारिश की वजह से झूलनातेंदू गांव के लोगों की समस्या खत्म हो जाती अगर यहां पर एक पुल बना होता.

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झूलनातेंदू गांव के लोग जानलेवा कदम उठाने को मजबूर: भारी बारिश में पुल पुलिया नहीं होने की वजह से झूलनातेंदू गांव के लोगों को आवागमन की समस्याओं से जूझना पड़ता है. कांकेर जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर यह गांव स्थित है. इस गांव की आबादी 300 के करीब है और लोगों के बाहर जाने का रास्ता एक ही है. इस रास्ते के बीच में एक नाला पड़ता है जो बारिश के दिनों में नदी का रूप ले लेता है. इस नाले पर कोई पुल नहीं है जिससे लोगों को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. हर साल बारिश में यह गांव एक टापू में तब्दील हो जाता है.

"पुल का निर्माण नहीं होने के कारण संजीवनी 108 और महतारी 102 एक्सप्रेस की सुविधा गांव वालों को नहीं मिल पाती है. बारिश के दिनों में यहां के स्कूली बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है. कई बार जन प्रतिनिधियों की ओर से ग्राम सुराद में आवेदन दिया गया है. इन आवेदनों और हमारी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है": ग्रामीण, झूलनातेंदू गांव

ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस गांव के पास जाकर स्थिति का मुआयना किया. बारिश की वजह से झूलनातेंदू गांव के लोगों की समस्या खत्म हो जाती अगर यहां पर एक पुल बना होता.

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