जयपुर: लाल डूंगरी क्षेत्र में 14 अगस्त को बारिश के साथ बहकर आई मिट्टी 3 दिन बीत जाने के बाद भी हटाई नहीं जा सकी है. यहां रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों के रोजगार के साधन ई-रिक्शे अभी भी जमींदोज हैं. बरसों से पाई-पाई जोड़ कर बसाया घरौंदों में मिट्टी भर गई. लोग अभी भी अपने घरों की मिट्टी निकाल रहे हैं. और तो और सभी दरवाजे बंद होने के बाद जहां लोग अपनी फरियाद लेकर पहुंचते हैं. भगवान का वो दर भी मिट्टी से भर गया है. वहीं, अब लोगों को यही चिंता सता रही है कि अगर इसी तरह की बारिश रात में आई तो क्या होगा.
ई-रिक्शा चालक छुट्टन यादव बीते 3 दिन से बेरोजगारों की तरह घूम रहा है, क्योंकि उसके रोजगार का साधन ई-रिक्शा, जिससे उसके घर का गुजर-बसर होता है वो मिट्टी में दफन है. यहीं रहने वाले मोहम्मद शमीम भी अपने काम पर नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि उनकी बाइक भी आज ही मिट्टी से बाहर निकाल कर सर्विस सेंटर भेजी गई है. छुट्टन और शमीम जैसे न जाने कितने लोग 14 अगस्त को आई बारिश और बारिश के पानी के साथ बहकर आई मिट्टी के सैलाब से परेशान हैं. गलता की पहाड़ियों की तराई में बसे लाल डूंगरी क्षेत्र पर 14 अगस्त को बारिश का कहर बरपा था.
इस इलाके में चार कॉलोनी जलमग्न होने के साथ ही मिट्टी में दब गई. यहां दूसरे राज्यों से आए लोग बसे हुए हैं, इनमें कोई ई-रिक्शा चलाता है, तो कोई लोडिंग टेम्पो के जरिए अपनी जिंदगी की गाड़ी खींचते हैं. लेकिन अब ये बस्ती इनके रोजगार की की कब्रगाह सी नजर आती है. लाल डूंगरी की गणेशपुरी बस्ती में जब ईटीवी भारत पहुंचा तो यहां हेरिटेज निगम की टीम बुलडोजर के जरिए आम रास्ते की मिट्टी हटाने में जुटी थी. रास्ते पर दो से तीन फीट मिट्टी अब भी जमा है. करीब 10 घर ऐसे हैं, जिनमें मिट्टी ने तांडव मचाया. यहां लोगों का सामान भी खराब हो गया. वहीं, आस्था का केंद्र गंगेश्वर महादेव मंदिर भी 8 फीट मिट्टी में दब गया. यहां अब मंदिर के बाहर लगी पट्टिका और जालियों में से दिखती घंटी से ही सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये एक शिवालय है. बाकी सभी प्रतिमाएं मिट्टी में दबी हुई है. इसके अलावा कई वाहन भी अभी तक मिट्टी में ही दबे हैं.
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स्थानीय निवासी छुट्टन यादव ने बताया कि ई-रिक्शा चला कर घर परिवार का गुजर बसर होता है, लेकिन इस बारिश के पानी के साथ बहकर आई मिट्टी में उनका रोजगार ही दब गया. वहीं, स्थानीय निवासी मोहम्मद शमीम ने बताया कि हर तेज बारिश में ऐसा लगता है मानो आज डूब ही जाएंगे. यहां पूरी कॉलोनी में मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं. रात को बारिश आती है तो जाग कर बैठे रहते हैं कि कहीं दबे न रह जाए. 14 अगस्त को भी काफी देर तक कॉलोनी के पीछे मिट्टी के टीलों की तरफ देखते रहे कि कहीं बारिश का पानी आ तो नहीं रहा है, लेकिन जब एकाएक बारिश का पानी आया, तो संभल भी नहीं पाए. किसी ने अपने साधनों को संभाला तो किसी ने दूसरे के वाहनों को बचाया, लेकिन फिर भी दर्जन भर वाहन अभी भी मिट्टी में दबे हुए हैं.
वहीं, स्थानीय पार्षद नरेश नागर ने बताया कि 14 अगस्त 2020 को भी इसी तरह की तस्वीर सामने आई थी. हालांकि, तब से अब तक यहां कुछ बदलाव जरूर आए हैं. इसी वजह से तबाही का वो मंजर नहीं है. इस बार यहां सड़क बनी हुई है, जिसकी वजह से पानी यहां रुका नहीं. वहीं, एक डायवर्सन बन गया है, जिसकी वजह से पानी भी दो भागों में डाइवर्ट हो गया. जहां तक निगम का क्षेत्र था वहां तक काम किया, लेकिन आगे वन विभाग की सीमा शुरू हो जाती है.
इस संबंध में डीएफओ को कई बार लिख कर दिया जा चुका है, लेकिन न तो वो खुद वहां डैम बनाते हैं और न ही निगम को एनओसी जारी कर रहे हैं. जिसका नतीजा ये है कि आज कई वाहन जमीन में दबे हुए हैं. उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर और वन विभाग के अधिकारियों से यही निवेदन है कि वो जल्द से जल्द से इस समस्या का निस्तारण करें, ताकि गणेशपुरी बस्ती, गंगेश्वर नगर, उत्तम नगर और सुंदर नगर में रहने वाले करीब 2500 लोगों को राहत मिले. उन्होंने ये स्पष्ट किया कि यहां लोग करीब 25 सालों से रह रहे हैं और ऐसे में इस बस्ती को गैरकानूनी कहना गलत होगा.
बहरहाल, स्थानीय लोगों में अब आसमान के बादलों की गड़गड़ाहट से ही दहशत पैदा हो रही है. अपने वाहनों को मिट्टी में दबा देख आंखे भी नम हो जाती हैं. ये दर्द भरे चेहरे, महज वोट बैंक नहीं हो सकता है. इनके पास पुख्ता कागज न हो, लेकिन इनकी तकलीफ में कोई खोट नहीं.