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स्टोन क्रशरों पर लगे 50 करोड़ के जुर्माने को माफ करने के खिलाफ याचिका पर हुई सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब - नैनीताल हाईकोर्ट समाचार

Hearing on PIL in Nainital High Court हाईकोर्ट में आज नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा स्टोन क्रशरों पर लगे 50 करोड़ के जुर्माने को माफ करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार से इस पर जवाब मांगा है. आइए आपको बताते हैं क्या है स्टोन क्रशरों पर लगे जुर्माने को माफ करने का मामला.

Hearing on PIL
फोटो- ईटीवी भारत
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 5, 2024, 4:21 PM IST

Updated : Mar 5, 2024, 4:50 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों के द्वारा अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाये गए करीब 50 करोड़ जुर्माने को माफ कर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 1 अप्रैल की तिथि नियत की गई है.

स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ करने का मामला: मामले के अनुसार समाजिक कार्यकर्ता चोरलगिया नैनीताल निवासी भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर की. याचिका में कहा है कि वर्ष 2016 -17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन और भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ रुपया माफ कर दिया. जिला अधिकारी ने उन्हीं स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया जिन पर जुर्माना करोड़ों में था और जिनका जुर्माना कम था उनका माफ नहीं किया. जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव, सचिव खनन से की गई तो उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ में यह कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है.

जुर्माना माफ करने के खिलाफ जनहित याचिका: जब याचिकाकर्ता द्वारा शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा गया तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब नहीं दिया गया. इसके बाद उनके द्वारा इसमें आरटीआई मांग कर कहा गया कि जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन और भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है, आरटीआई के माध्यम से अवगत कराएं. जिसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड द्वारा कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है.

डीएम को नहीं था जुर्माना माफ करने का अधिकार: जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नहीं है, तो जिलाधिकारी के द्वारा कैसे स्टोन क्रशरों पर लगे 50 करोड़ रुपये का जुर्माना माफ कर दिया गया. जबकि औद्योगिक विभाग के द्वारा 21 अक्टूबर 2020 को इस पर आख्या प्रस्तुत करने को कहा गया था, जो प्रस्तुत नहीं की गई. जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस पर कार्रवाई की जाए, क्योंकि यह प्रदेश राजस्व की हानि है.
ये भी पढ़ें: लक्सर में अवैध खनन पर लगेगी लगाम, आधा दर्जन से अधिक स्टोन क्रशर पर केस दर्ज करने की तैयारी

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रशरों के द्वारा अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाये गए करीब 50 करोड़ जुर्माने को माफ कर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 1 अप्रैल की तिथि नियत की गई है.

स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ करने का मामला: मामले के अनुसार समाजिक कार्यकर्ता चोरलगिया नैनीताल निवासी भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर की. याचिका में कहा है कि वर्ष 2016 -17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा कई स्टोन क्रशरों का अवैध खनन और भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ रुपया माफ कर दिया. जिला अधिकारी ने उन्हीं स्टोन क्रशरों का जुर्माना माफ किया जिन पर जुर्माना करोड़ों में था और जिनका जुर्माना कम था उनका माफ नहीं किया. जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव, सचिव खनन से की गई तो उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ में यह कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है.

जुर्माना माफ करने के खिलाफ जनहित याचिका: जब याचिकाकर्ता द्वारा शासन से इसका लिखित रूप में जवाब मांगा गया तो आज की तिथि तक उन्हें इसका लिखित जवाब नहीं दिया गया. इसके बाद उनके द्वारा इसमें आरटीआई मांग कर कहा गया कि जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन और भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है, आरटीआई के माध्यम से अवगत कराएं. जिसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड द्वारा कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नहीं है.

डीएम को नहीं था जुर्माना माफ करने का अधिकार: जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नहीं है, तो जिलाधिकारी के द्वारा कैसे स्टोन क्रशरों पर लगे 50 करोड़ रुपये का जुर्माना माफ कर दिया गया. जबकि औद्योगिक विभाग के द्वारा 21 अक्टूबर 2020 को इस पर आख्या प्रस्तुत करने को कहा गया था, जो प्रस्तुत नहीं की गई. जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस पर कार्रवाई की जाए, क्योंकि यह प्रदेश राजस्व की हानि है.
ये भी पढ़ें: लक्सर में अवैध खनन पर लगेगी लगाम, आधा दर्जन से अधिक स्टोन क्रशर पर केस दर्ज करने की तैयारी

Last Updated : Mar 5, 2024, 4:50 PM IST
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