पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अज्ञात मानव शवों को मर्यादित तरीके से अंतिम संस्कार किये जाने का आदेश राज्य सरकार और उनके अधिकारियों को दिया है. चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव रॉय की खंडपीठ ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की. कोर्ट ने इस आदेश के साथ इस जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए यह निर्णय सुनाया है. हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि शवों के अंतिम संस्कार और संरक्षण में मानव अधिकार आयोग के नियमों का पालन किया जाना चाहिए.
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: जनहित मामले को हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर पुलिस द्वारा सड़क दुर्घटना में मरे एक शख्स के शव को बग़ैर अस्पताल पहुंचाए नदी में फेंक दिये जाने के वायरल हुई वीडियो पर स्वतः संज्ञान लिया था. राज्य सरकार की ओर से की गयी कार्रवाईयों का ब्यौरा देते हुए एक अंतरिम रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था. इस मामले में की गयी कार्रवाईयों के सम्बन्ध में दी रिपोर्ट में कोर्ट को जानकारी दी गई थी.
राज्य सरकार को दिशा निर्देश : पिछली सुनवाई में राज्य सरकार को दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहा था. इस मामले पर टिपण्णी करते हुए कहा था कि राज्य सरकार को राज्य की पुलिस को संवेदनशील बनाने हेतु आवश्यक कदम उठाने चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में सरकार द्वारा संज्ञान लिया जा चुका है और दोषी पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ कार्रवाई की जा रही है. गौरतलब है कि शव को सीधे नदी में फेंक कर ठिकाने लगा दिया गया. जिसका वीडियो रविवार (8 अक्टूबर) को वायरल हो गया. घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने न तो शव को अस्पताल पहुंचाया और न ही पोस्टमार्टम कराया.
पुलिस कर्मियों ने बेरहमी से शव नदी में फेंक दिया था: कुछ पुलिस कर्मियों ने बेरहमी से शव को सड़क से उठाया और बेहद अमानवीय तरीके से एक पुल के ऊपर से लाठियों का उपयोग करके उसे नदी में फेंक दिया. पुलिस की हरकतें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. वीडियो के व्यापक रूप से प्रसारित होने के बाद पुलिस की आलोचना बढ़ गई. वीडियो में साफ दिखा कि खून से लथपथ शव को पुलिसवालों ने लाठी से पुल से नदी में धकेल कर ठिकाने लगा दिया. हाईकोर्ट ने बिहार मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया. जिसमें कोविड के दौरान शवों को नदी में बहाए जाने की बात उजागर हुई थी.
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