नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में उधमसिंह नगर के सितारगंज तहसील में कई ग्राम सभाओं की सरकारी जमीन पर कई लोगों द्वारा अतिक्रमण करने के मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ती आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित किया और जिला अधिकारी उधमसिंह नगर को निर्देश दिए कि इस मामले में अपनी अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति का गठन करें.
जिला अधिकारी उधमसिंह नगर द्वारा गठित कमेटी जिले में हुए इस तरह के अतिक्रमण का चिन्हीकरण कर अपनी रिपोर्ट पेश करे. मामले के अनुसार सितारगंज निवासी सुनील यादव ने जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया कि सितारगंज तहसील के कई ग्राम सभाओं में कई लोगों द्वारा सरकारी, नहर, गुलों और एनएच की भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया गया है.
अतिक्रमण होने से नहरों और गुलों की आवाजाही अवरुद्ध हो गई है. बारिश के समय इस आवाजाही के अवरुद्ध होने के कारण नहरों का मार्ग अवरुद्ध हो रहा है और भूमि कटान भी हो रहा है, जिसकी वजह से किसानों और चारा खाने वाले पशुओं को पानी तक नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा जिन लोगों द्वारा इसको अवरुद्ध कराया गया है, उन्हें हटाया जाए.
इसके अलावा आज हाईकोर्ट ने राज्य में सरकार द्वारा घरेलू कूड़ा बीनने वाले लोगों और उनके बच्चों को सरकार द्वारा जारी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं देने के मामले पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ती आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने निदेशक शहरी विकास से 27 दिसंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश होने को कहा. साथ ही निदेशक शहरी विकास कोर्ट को बताएं कि इनकी सुरक्षा और इनके बच्चों की शिक्षाऔर स्वास्थ्य के लिए राज्य सरकार की क्या योजनाएं हैं.
मामले के अनुसार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने अपनी एक सर्वे रिपोर्ट में पाया था कि उच्च न्यायालय व अन्य जिला विधिक प्राधिकरणों की रिपोर्ट के अनुसार कूड़ा बीनने वालों को जरूरी सामान और उनके बच्चों को राज्य व केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का सहारा नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से उनके बच्चे वही काम करते आ रहे हैं, जिससे उनका मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है, इसलिए उन्हें भी सरकार की तरफ से जारी सभी योजनाओं का लाभ दिया जाए, ताकि उनके बच्चों को वही कार्य नहीं करना पड़े. उनके बच्चों का विकास होना भी अति आवशयक है, क्योंकि वे हमारे समाज का अहम हिस्से से जुड़े हुए हैं. कम से कम सरकार द्वारा जारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल सके.
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