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सुंदरखाल के लोगों को मूल सुविधाओं से वंचित रखने का मामला, 4 सप्ताह में वन सचिव HC में पेश करेंगे प्रगति रिपोर्ट

सुंदरखाल के लोगों को मूल सुविधाओं से वंचित रखने के मामले में HC में सुनवाई, वन सचिव 4 सप्ताह में पेश करेंगे प्रगति रिपोर्ट

NAINITAL HIGH COURT
नैनीताल हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 8, 2024, 6:17 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने साल 1975 के बाद से आज तक नैनीताल जिले के रामनगर से जुड़ा क्षेत्र सुंदरखाल में रह रहे लोगों को बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से राज्य सरकार द्वारा वंचित करने के मामले पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने वन सचिव से 4 सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है. कोर्ट ने वन सचिव से पूछा कि 2014 में क्षेत्र के लोगों के विस्थापन के लिए बनाई गई कमेटी के निर्णय पर राज्य सरकार ने अब तक क्या निर्णय लिया है.

मामले के अनुसार समाजसेवी संस्था इंडिपेंडेंट मीडिया सोसाइटी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नैनीताल जिले के सुंदरखाल में वर्ष 1975 से रह रहे ग्रामीणों को बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिसे लेकर पिछले कई वर्षों से सुंदरखाल के ग्रामीण लोग विस्थापन की मांग राज्य सरकार से करते आ आ रहे हैं.

इस संबंध में सरकार ने वर्ष 2014 में एक कमेटी बनाकर विस्थापन करने का निर्णय लिया गया था, इसके बावजूद आज तक उन्हें विस्थापित नहीं किया गया है और ना ही राज्य सरकार ने आज तक उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं दी. उनका यह क्षेत्र अति दुर्गम क्षेत्र में आता है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि या उन्हें विस्थापित किया जाए या उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराई जाें.

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मामले के अनुसार समाजसेवी संस्था इंडिपेंडेंट मीडिया सोसाइटी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नैनीताल जिले के सुंदरखाल में वर्ष 1975 से रह रहे ग्रामीणों को बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जिसे लेकर पिछले कई वर्षों से सुंदरखाल के ग्रामीण लोग विस्थापन की मांग राज्य सरकार से करते आ आ रहे हैं.

इस संबंध में सरकार ने वर्ष 2014 में एक कमेटी बनाकर विस्थापन करने का निर्णय लिया गया था, इसके बावजूद आज तक उन्हें विस्थापित नहीं किया गया है और ना ही राज्य सरकार ने आज तक उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं दी. उनका यह क्षेत्र अति दुर्गम क्षेत्र में आता है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि या उन्हें विस्थापित किया जाए या उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराई जाें.

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