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छात्रसंघ चुनाव लड़ने के नियमों पर 'सुप्रीम' सुनवाई, लिंगदोह सिफारिशों पर हुई बहस, केंद्र और यूजीसी जवाब तलब - छात्रसंघ चुनाव याचिका

Student union elections, Lyngdoh Committee recommendations श्रीनगर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता नवीन प्रकाश ने SC में छात्रसंघ चुनाव लड़ने के नियमों को चुनौती दी है. जिससे 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और यूजीसी से जवाब मांगा है.

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छात्रसंघ चुनाव लड़ने के नियमों पर 'सुप्रीम' सुनवाई
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 15, 2024, 10:23 PM IST

श्रीनगर: देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में होने वाले छात्र संघ चुनाव में विभिन्न पदों पर एक बार से अधिक चुनाव लड़ने पर लगी पाबंदी हटाने की आवाज उठी है. दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता नवीन प्रकाश नौटियाल और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिस पर 12 फरवरी को सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने केंद्र और यूजीसी से इस संदर्भ में जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट अधिकांश पहलुओं पर प्रशंसनीय है,लेकिन इसमें छात्रों के चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाने का विवादित नियम लागू किया गया है.

छात्रसंघ चुनाव लड़ने के नियमों को SC में चुनौती: याचिकाकर्ता नवीन प्रकाश नौटियाल ने बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सितंबर 2023 में याचिका दायर की गई थी. मामले में 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. इस याचिका में मांग की गई है कि छात्रों के एक से ज्यादा बार छात्र संघ चुनाव लड़ने पर लगी पाबंदी को हटाया जाए. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी, कॉलेज और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में होने वाले छात्रसंघ चुनाव को लेकर लिंगदोह पैनल बनाया था. सिफारिशें देने के लिए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह को अध्यक्ष बनाया गया था. इस कमेटी ने 26 मई 2006 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

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छात्रसंघ चुनाव लड़ने के नियमों पर 'सुप्रीम' सुनवाई

छात्रसंघ चुनाव को लेकर बनाया गया लिंगदोह पैनल: नवीन प्रकाश नौटियाल ने बताया कि रिपोर्ट में कहा गया कि एक उम्मीदवार को पदाधिकारी पद के लिए चुनाव लड़ने का एक मौका मिलेगा और कार्यकारी सदस्य के पद के लिए चुनाव लड़ने के दो अवसर मिलेंगे. पैनल के गठन के पीछे का उद्देश्य छात्र राजनीति से आपराधिकता को दूर करना था, इसलिए रिपोर्ट में शामिल सिफारिशों को 22 सितंबर 2006 के बाद से होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लागू किया गया. उन्होंने कहा कि याचिका में यह भी कहा गया कि सिफारिश दोहरी शर्तों को पूरा नहीं करती हैं.

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श्रीनगर: देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में होने वाले छात्र संघ चुनाव में विभिन्न पदों पर एक बार से अधिक चुनाव लड़ने पर लगी पाबंदी हटाने की आवाज उठी है. दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता नवीन प्रकाश नौटियाल और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिस पर 12 फरवरी को सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने केंद्र और यूजीसी से इस संदर्भ में जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट अधिकांश पहलुओं पर प्रशंसनीय है,लेकिन इसमें छात्रों के चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाने का विवादित नियम लागू किया गया है.

छात्रसंघ चुनाव लड़ने के नियमों को SC में चुनौती: याचिकाकर्ता नवीन प्रकाश नौटियाल ने बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सितंबर 2023 में याचिका दायर की गई थी. मामले में 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. इस याचिका में मांग की गई है कि छात्रों के एक से ज्यादा बार छात्र संघ चुनाव लड़ने पर लगी पाबंदी को हटाया जाए. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी, कॉलेज और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में होने वाले छात्रसंघ चुनाव को लेकर लिंगदोह पैनल बनाया था. सिफारिशें देने के लिए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह को अध्यक्ष बनाया गया था. इस कमेटी ने 26 मई 2006 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.

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छात्रसंघ चुनाव को लेकर बनाया गया लिंगदोह पैनल: नवीन प्रकाश नौटियाल ने बताया कि रिपोर्ट में कहा गया कि एक उम्मीदवार को पदाधिकारी पद के लिए चुनाव लड़ने का एक मौका मिलेगा और कार्यकारी सदस्य के पद के लिए चुनाव लड़ने के दो अवसर मिलेंगे. पैनल के गठन के पीछे का उद्देश्य छात्र राजनीति से आपराधिकता को दूर करना था, इसलिए रिपोर्ट में शामिल सिफारिशों को 22 सितंबर 2006 के बाद से होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लागू किया गया. उन्होंने कहा कि याचिका में यह भी कहा गया कि सिफारिश दोहरी शर्तों को पूरा नहीं करती हैं.

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