रांची: झारखंड में राज्य सूचना आयुक्त, लोकायुक्त, उपभोक्ता संरक्षण आयोग समेत 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त होने से जनहित के कार्य प्रभावित हो रहे हैं. इस मामले में दायर जनहित याचिका पर आज झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ में सुनवाई हुई.
इस मसले पर महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से बताया गया कि इन रिक्त पदों को लेकर सरकार गंभीर है. पूरा मामला कैबिनेट के पास विचाराधीन है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि लोकसभा चुनाव की वजह से आदर्श आचार संहिता लागू था. अब चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. लिहाजा, बहुत जल्द सभी संवैधानिक संस्थाओं में रिक्त प्रमुख पदों को भर लिया जाएगा. हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 1 जुलाई की तारीख तय की है.
दरअसल, साल 2020 में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का मामले में राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को निष्पादित कर दिया था. तब सरकार की ओर से कोर्ट को भरोसा दिलाया गया था कि बहुत जल्द रिक्त पदों को भर लिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लिहाजा, सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं होने पर साल 2021 में राजुकमार नामक शख्स की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई थी. वहीं सूचना आयुक्त, लोकायुक्त समेत अन्य प्रमुख संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष और सदस्यों का पद रिक्त होने पर एडवोकेट एसोसिएशन की तरफ से भी जनहित याचिका दायर की गई है.
आपको बता दें कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी निकाला गया था लेकिन कई माह बीतने के बाद भी यह मामला पेंडिग पड़ा हुआ है. खास बात है कि चंद माह के भीतर झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी होना है. अब देखना है कि 1 जुलाई को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट का इस मसले पर क्या आदेश आता है.
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