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मसूरी में वोटर्स की संख्या बढ़ने का मामला, हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, 4 हफ्ते में निर्णय लेने के निर्देश - voters increasing in Mussoorie

Voters Increasing In Mussoorie मसूरी नगर पालिका में लोकसभा चुनाव के बाद मतदाताओं की संख्या बढ़ने के मामले में न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने सुनवाई की. एकलपीठ ने याचिका को निस्तारित कर दिया है और राज्य चुनाव आयोग को याचिकाकर्ता के प्रतावेदन पर चार सप्ताह के अंदर फैसला लेने का निर्देश दिया है.

Uttarakhand High Court
उतराखंड हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 3, 2024, 5:16 PM IST

नैनीताल: उतराखंड हाईकोर्ट ने मसूरी नगर पालिका में लोकसभा चुनाव के बाद अचानक मतदाताओं की संख्या बढ़ जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा है कि राज्य चुनाव आयोग याचिकाकर्ता के प्रतावेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय ले.

मामले के अनुसार मसूरी निवासी अनुराग थपलियाल ने याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया कि पूर्व में उच्च न्यायालय के आदेश पर निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी ने नगर पालिका के 13 वार्डों की मतदाता सूची का सत्यापन किया था. मतदाता सूची का सत्यापन करने के बाद 1,375 मतदाता फर्जी पाए गए और उनको मतदाता सूची से हटाने के निर्देश दिए गए.

सूची में कई मतदाता ऐसे पाए गए, जिनका मसूरी नगर पालिका से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. ये वे मतदाता हैं, जो मसूरी के आसपास की ग्राम पंचायतों के रहने वाले हैं. मतदाता सूची में कई ग्राम प्रधान भी शामिल हैं. याचिका में कहा गया कि 2022 के विधानसभा चुनाव के वक्त मसूरी नगरपालिका में 18 हजार से कम मतदाता थे और 2024 के लोकसभा चुनाव में 18,500 मतदाता थे. अब होने वाले नगर पालिका के चुनाव में मतदाता सूची में यह संख्या अचानक बढ़कर 24 हजार 500 पहुंच चुकी है.

शिकायत करने पर इनके दस्तावेजों की जांच की गई और 1,375 मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाया गया. अभी भी लिस्ट में 1000 से अधिक वोटर्स ऐसे हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सूची में शामिल किए गए हैं. याचिकाकर्ता ने इस संबंध में भी सभी अवैध मतदाताओं की आपत्तियां अलग-अलग आवेदन पत्र के साथ प्रस्तुत की. पालिका के विभिन्न वार्डों में अवैध मतदाताओं को बिना किसी आईडी, आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर पहचान पत्र के मतदाता सूची में शामिल किया गया है.

इससे यह साबित हो रहा है कि पालिका के चुनाव को प्रभावित करने की पूर्ण योजना बनाई जा रही है. आगे भी बिना आधार कार्ड और आईडी के मतदाता सूची में शामिल होने की संभावना है. याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इन फर्जी अवैध मतदाताओं की जांच करके मतदाता सूची से इनका नाम हटाने के आदेश राज्य निर्वाचन को दिए जाएं.

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नैनीताल: उतराखंड हाईकोर्ट ने मसूरी नगर पालिका में लोकसभा चुनाव के बाद अचानक मतदाताओं की संख्या बढ़ जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा है कि राज्य चुनाव आयोग याचिकाकर्ता के प्रतावेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय ले.

मामले के अनुसार मसूरी निवासी अनुराग थपलियाल ने याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया कि पूर्व में उच्च न्यायालय के आदेश पर निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी ने नगर पालिका के 13 वार्डों की मतदाता सूची का सत्यापन किया था. मतदाता सूची का सत्यापन करने के बाद 1,375 मतदाता फर्जी पाए गए और उनको मतदाता सूची से हटाने के निर्देश दिए गए.

सूची में कई मतदाता ऐसे पाए गए, जिनका मसूरी नगर पालिका से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. ये वे मतदाता हैं, जो मसूरी के आसपास की ग्राम पंचायतों के रहने वाले हैं. मतदाता सूची में कई ग्राम प्रधान भी शामिल हैं. याचिका में कहा गया कि 2022 के विधानसभा चुनाव के वक्त मसूरी नगरपालिका में 18 हजार से कम मतदाता थे और 2024 के लोकसभा चुनाव में 18,500 मतदाता थे. अब होने वाले नगर पालिका के चुनाव में मतदाता सूची में यह संख्या अचानक बढ़कर 24 हजार 500 पहुंच चुकी है.

शिकायत करने पर इनके दस्तावेजों की जांच की गई और 1,375 मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाया गया. अभी भी लिस्ट में 1000 से अधिक वोटर्स ऐसे हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सूची में शामिल किए गए हैं. याचिकाकर्ता ने इस संबंध में भी सभी अवैध मतदाताओं की आपत्तियां अलग-अलग आवेदन पत्र के साथ प्रस्तुत की. पालिका के विभिन्न वार्डों में अवैध मतदाताओं को बिना किसी आईडी, आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर पहचान पत्र के मतदाता सूची में शामिल किया गया है.

इससे यह साबित हो रहा है कि पालिका के चुनाव को प्रभावित करने की पूर्ण योजना बनाई जा रही है. आगे भी बिना आधार कार्ड और आईडी के मतदाता सूची में शामिल होने की संभावना है. याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इन फर्जी अवैध मतदाताओं की जांच करके मतदाता सूची से इनका नाम हटाने के आदेश राज्य निर्वाचन को दिए जाएं.

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