पटना: बदलते समय के साथ कई नई बीमारियों ने भी असर दिखाना शुरू कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि महिलाओं में यूरोलॉजिकल समस्याओं को दूर करने के लिए उनके बीच जागरुकता जरूरी है. प्रदेश में स्वास्थ्य जगत में अब तक महिला यूरोलॉजी सबसे अपेक्षित क्षेत्र रहा है. स्वास्थ्य मंत्री ने यह बातें बिहार यूरोलॉजिकल सोसायटी और मेडिवर्सल मातृ की ओर से फीमेल यूरोलॉजी हाइब्रिड वीडियो वर्कशॉप के दौरान कहा है. इस वर्कशॉप में देश के कोने-कोने से यूरोलॉजी के एक्सपोर्ट चिकित्सक और गायनेकोलॉजी के एक्सपर्ट शामिल हुए.
जागरूकता से सामाजिक बाधाएं होंगी दूर: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि बिहार की महिलाओं और बच्चियों को भी शारीरिक और मानसिक परेशानी से निजात मिले, इसके लिए सरकार काम कर रही है. हालांकि इसके लिए सामाजिक बाधायें भी दूर करनी होगी. प्रसव के उपरांत संक्रमण और अन्य कारणों से महिलाओं को विभिन्न प्रकार की मूत्र रोग संबंधी जटिलता का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि थोड़ी भी छींक या खांसी आने पर मूत्र त्याग हो जाता है. कुछ दिनों तक महिलाएं इस परेशानी को छिपाये रखती हैं, पर इससे उनकी समस्या और बढ़ती जाती है.
45 से 50 वर्ष की महिलाओं में अधिक समस्या: बिहार यूरोलॉजिकल सोसायटी के चीफ पेट्रन और जाने-माने यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अजय कुमार ने बताया कि चिकित्सा जगत जैसे-जैसे एडवांस हो रहा है अलग-अलग फील्ड में स्पेसिफिकेशन सामने आ रहे हैं. फीमेल यूरोलॉजी एक अलग से विषय है और यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. 45 से 50 वर्ष की उम्र में महिलाओं को यूरोलॉजी से संबंधित काफी दिक्कतें सामने आती हैं.
सर्जरी से दूर हो सकती है समस्या: बता दें कि सब हार्मोनल चेंजेज के वजह से भी होता है और कई बार पूर्व की सर्जरी भी कारण होती है. ऐसे में इन परेशानियों को यदि फीमेल यूरोलॉजी एक्सपर्ट के पास लाया जाता है तो वह इसका निदान करते हैं और जरूरत पड़ने पर छोटी सर्जरी करते हैं. उन्होंने बताया कि यह जागरूकता का विषय है क्योंकि कई बार यूरोलॉजिकल इन्फेक्शन की वजह से महिलाओं को ईकोलाई का सामना करना पड़ता है. पुरुष वर्ग के लिए यूरिन करेक्ट करना आसान होता है लेकिन महिलाओं को सैंपल के लिए यूरिन निकालने में भी समस्या होती है क्योंकि कई बार यह निकालने के क्रम में ही इनफेक्टेड हो जाता है.
बिना एक्सपर्ट के बढ़ जाती है समस्या: उन्होंने बताया कि महिलाएं अक्सर फिजिशियन के पास जाकर अपनी समस्याओं को बताती हैं और डॉक्टर सिम्टम्स के आधार पर ट्रीटमेंट करते हैं जिससे समस्या बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि "यह चिकित्सकों को भी जानने की जरूरत है कि यूरिन से संबंध किस प्रकार की समस्या हो रही है तो महिलाओं को फीमेल यूरोलॉजी की एक्सपर्ट के पास भेजें. इस दो दिवसीय वर्कशॉप में यूरोलॉजिस्ट अपने अनुभवों को साझा करेंगे और 200 से अधिक मरीज के ट्रीटमेंट का जो रिसर्च है उसे पर चर्चा होगी."
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