जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश संवर्ग भर्ती 2020 में वकील कोटे के 85 पदों के मुकाबले केवल चार अभ्यर्थियों का चयन करने के मामले में विवाद का निस्तारण कर दिया है. अदालत ने हाईकोर्ट की परीक्षा सेल को कहा है कि वह मामले में प्रख्यात विधिवेत्ताओं और प्रोफेसरों की कमेटी का गठन करे. यह कमेटी अभ्यर्थियों की किन्हीं 20 कॉपियों का चयन कर उनके उत्तरों का परीक्षण करे. इसके साथ ही कमेटी उत्तर की लंबाई और उसे लिखने के लिए दिए गए समय को भी देखे. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश निशा गौड व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने परीक्षा सेल को कहा है कि अभ्यर्थियों को पूर्व में मिले अंक और विशेषज्ञ कमेटी की ओर से दिए गए अंकों की तुलना करे और प्रशासनिक स्तर पर यह निर्णय लें की क्या पूर्व में घोषित परिणाम में बदलाव किया जाए या सभी अभ्यर्थियों को बोनस अंक दे और क्या सभी की उत्तर पुस्तिकाओं की पुन: जांच की जाए. अदालत ने कहा कि इस प्रक्रिया का प्रभाव पूर्व में चयनित 4 अभ्यर्थियों के परिणाम पर नहीं पड़ेगा. वहीं अदालत ने खाली पदों को इस संबंध में की जाने वाली प्रक्रिया के अधीन रखा है. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि इस पूरी प्रक्रिया में गोपनीयता बनी रहे और किसी भी अभ्यर्थी को कार्रवाई की जानकारी नहीं दी जाए.
याचिका में कहा गया कि भर्ती परीक्षा के पेपर लंबे थे और साक्षात्कार के लिए पदों के चार गुणा अभ्यर्थियों को बुलाने के बजाए सिर्फ चार अभ्यर्थियों को ही बुलाया गया, जबकि मुख्य परीक्षा के लिए 779 अभ्यर्थियों को पात्र माना गया था. जिसके जवाब में हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय पद्धति से ही परीक्षा ली गई है. अदालत ने पूर्व में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व सीजे गोविन्द माथुर को कुछ कॉपियों का चयन कर उन्हें जांचने को कहा था. जस्टिस माथुर ने अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश की थी, लेकिन अदालत ने उसे नहीं माना.