शिमला: सारी उम्र सेवा करने वाले कर्मचारी को रिटायरमेंट के समीप सुविधानुसार पोस्टिंग मिलनी चाहिए. यदि कोई नियोक्ता कर्मचारी के साथ उसके सेवाकाल के अंतिम दिनों में सौतेला व्यवहार करता है तो ऐसा कृत्य कानूनी नजर में उचित नहीं है. इन तीखी टिप्पणियों के साथ हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रिटायरमेंट के समीप पहुंचे कर्मचारी के तबादला आदेश को रद्द कर दिया. कर्मचारी बिजली बोर्ड में सेवारत है.
अदालत ने रिटायरमेंट के नजदीक पहुंचे कर्मचारी के तबादले को कानून की नजर में अनुचित ठहराया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने कहा कि नियोक्ता को इस मामले में संवेदनशील होना चाहिए जिस कर्मचारी ने अपने पूरे जीवन में उसकी यानी नियोक्ता की सेवा की है, उसे सेवाकाल के अंतिम चरण में पहुंचने पर सुविधा के स्थान पर तैनाती दी जाए.
कोर्ट ने कहा कि यदि नियोक्ता की तरफ से कर्मचारी के सेवाकाल के अंतिम समय में उसके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार किया जाता है, तो स्वाभाविक रूप से ये कृत्य कानून की दृष्टि में उचित नहीं ठहराया जा सकता. हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद कहा कि यह विवाद का विषय नहीं है कि याचिकाकर्ता को फरवरी, 2025 में प्रतिवादी बिजली बोर्ड से रिटायर होना है इसलिए सेवा के मात्र कुछ महीनों के शेष रहते उसका स्थानांतरण करना कुछ और नहीं, बल्कि शक्ति का दुरुपयोग है.
क्या है मामला?
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता ने 18 नवंबर 2024 को जारी तबादला आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. बिजली बोर्ड प्रबंधन की तरफ से प्रार्थी को विद्युत डिवीजन, धर्मपुर, जिला मंडी से विद्युत डिवीजन सुंदरनगर, जिला मंडी को तबादला कर भेजा गया था. प्रार्थी विद्युत डिवीजन, धर्मपुर में एएफएम-कम-ड्राइवर के रूप में सेवारत है. याचिकाकर्ता का कहना था कि चूंकि वह फरवरी, 2025 में रिटायर होने वाला है, इसलिए सेवाकाल के अंत में स्थानांतरण गलत है, क्योंकि यह उसकी पसंद का स्टेशन नहीं है. कोर्ट ने सेवाकाल के अंत में प्रार्थी के तबादले को शक्तियों का दुरुपयोग ठहराते हुए इसे रद्द कर दिया.
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