जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने डीएलबी निदेशक को 9 सितंबर को हाजिर होकर बताने को कहा है कि हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ एसीबी की ओर से पेश अभियोजन स्वीकृति के आवेदन पर अब तक निर्णय क्यों नहीं लिया गया है. अदालत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया है कि जब एसीबी ने अपनी जांच रिपोर्ट में मुनेश गुर्जर के खिलाफ जुर्म प्रमाणित मान लिया है तो अभियोजन की मंजूरी क्यों नहीं दी गई. जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश सुधांशु सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनुराग शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 19 में प्रावधान है कि अभियोजन स्वीकृति को लेकर तीन माह में निर्णय लेना होता है. वहीं जिन मामलों में कानूनी राय की आवश्यकता हो, तो एक माह अतिरिक्त लिया जा सकता है. एसीबी ने मुनेश गुर्जर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लेने के लिए एलबी निदेशक को लिखा है, लेकिन चार माह बीतने के बाद अब तक उस पर निर्णय नहीं लिया गया है. जबकि एसीबी अपने स्तर पर मुनेश गुर्जर और उनके पति सहित अन्य के खिलाफ जुर्म प्रमाणित मान चुकी है. ऐसे में राज्य सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह अभियोजन स्वीकृति से जुड़े प्रकरण को जल्दी तय करे. जिससे एसीबी आरोप पत्र कोर्ट में पेश कर सके. वहीं पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से भी प्रार्थना पत्र पेश कर मामले में पक्षकार बनने की गुहार की.
गौरतलब है कि हेरिटेज मेयर के पति सुशील गुर्जर की ओर से नगर निगम के पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में एसीबी की कार्रवाई के बाद राज्य सरकार ने मुनेश को निलंबित कर दिया था. इस निलंबन आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने निलंबन आदेश वापस ले लिया था, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने जांच के बाद मुनेश गुर्जर को 22 सितंबर को दोबारा निलंबित कर दिया था. हाईकोर्ट ने दिसंबर 2023 के आदेश से मुनेश का निलंबन रद्द कर दिया था.