कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी चार दिवसीय रत्नावली महोत्सव का आगाज हो चुका है. रत्नावली महोत्सव में हरयाणवी कल्चर को बखूबी दर्शाया गया है. यहां पर जो आज से करीब 40 से 50 साल पहले हरियाणा में वेशभूषा, आभूषण , अन्य कामों में इस्तेमाल होने वाले सामान, महिलाओं के द्वारा बनाई गई सजावट की चीज आदि की स्टॉल लगाई गई है. हरियाणवी व्यंजनों की भी यहां पर स्टाल बनाई गई है. इसके साथ-साथ हरियाणा और किसी भी परिवार के बड़े सदस्य का मान कहे जाने वाली पगड़ी की भी यहां पर स्टाल लगाई गई है. जहां पर छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग पगड़ी बंधवा रहे हैं.
रत्नावली महोत्सव में पगड़ी का क्रेज: ईटीवी भारत से बात करते हुए हरिकेश पपोसा ने कहा कि रत्नावली महोत्सव पिछले काफी सालों से बहुत अच्छे और बड़े स्तर पर मनाया जा रहा है. जहां हरियाणा के कल्चर को यहां पर दर्शाया जाता है. तो वहीं हरियाणा की पहचान हरियाणा का मान कहे जाने वाली पगड़ी का भी यहां पर एक हट लगाया गया है. उन्होंने कहा कि हमारे युवा पीढ़ी अब मॉडर्न होती होती जा रही है. लेकिन कहीं ना कहीं हमारी जो सभ्यता, पहनावा, हमारी संस्कृति है. उसको भी हमें अपने युवाओं को उन सब से अवगत कराना जरूरी है. ताकि हमारी संस्कृति बची रहे और बनी रहे.
संस्कृति बरकरार रखनने का प्रयास: इसी कड़ी में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रत्नावली महोत्सव में विशेष तौर पर पिछले कई सालों से पगड़ी को भी शामिल किया गया है. जहां पर युवाओं, छोटे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों हर किसी के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनी हुई है और हर कोई यहां पर आकर पगड़ी बंधवाकर अपने आप को गौरवान्ति महसूस करते हैं. और फोटो भी लेते हैं. हमारा प्रयास है कि हमारे युवा पीढ़ी अपनी पगड़ी के संस्कृति को बरकरार रखें और इसकी अहमियत समझ और अपने पहनावे की वेशभूषा में शामिल करें.
कई सालों से पहना रहे पगड़ी: आपको बता दें हरिकेश पपोसा पगड़ी बांधने में काफी माहिर है. वह पूरे हरियाणा में सबसे कम समय में पगड़ी बांधने का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि वह 25 सालों से पगड़ी बांधने का काम कर रहे हैं. रत्नावली महोत्सव में उनका पगड़ी बांधने का काफी अवसर प्राप्त हुआ और इसके साथ-साथ उन्होंने पगड़ी बांधने की सभ्यता को यहां से बढ़ावा दिया. वह चाहते हैं कि हरियाणा के हर बच्चे को पगड़ी बंधनी आनी चाहिए. पगड़ी बांधते हैं, ताकि युवा भी उनको देखकर पगड़ी बांधना शुरू करें और हमारी हरियाणवी संस्कृति को बरकरार रखें.
ये भी पढ़ें: दिवाली पर सजे फरीदाबाद के बाजार, आर्टिफिशियल फूलों की डिमांड बढ़ी, जानें इनकी खासियत
ये भी पढ़ें: धनतेरस पर बर्तन खरीदना क्यों माना जाता है शुभ? फरीदाबाद में बढ़ी ग्राहकों की संख्या, मिल रहा 50 प्रतिशत तक डिस्काउंट