चंडीगढ़: हरियाणा के बहुचर्चित 162 करोड़ के पेंशन घोटाले के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से सवाल किए हैं. हाईकोर्ट ने सीबीआई से पूछा है कि जिन अधिकारियों और पार्षदों ने मर चुके लोगों की पहचान कर उन्हें पेंशन बांटी, उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई क्यों ना की जाए. सीबीआई से यह भी पूछा गया कि क्या एक चपरासी या छोटे अधिकारी बड़े अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ऐसे बड़े घोटाले को अंजाम दे सकते हैं.
बड़े अधिकारियों को बचाया:
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि हरियाणा पुलिस ने बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए एक सेवानिवृत्त चपरासी को घोटाले का सूत्रधार बताते हुए उसे गिरफ्तार किया. चपरासी से करीब 14 लाख रुपए की बरामदगी कर उसके खिलाफ चालान भी पेश किया गया.
CBI ने पेश की थी स्टेटस रिपोर्ट:
इससे पहले मामले में CBI ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पेश की थी. इसमें सभी जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है. सीबीआई ने रिपोर्ट में कोर्ट को बताया था कि वर्ष 2012 में पेंशन वितरण अनियमितताओं के मामले में सरकार के हाईकोर्ट में दिए भरोसे के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में इसे कोर्ट की अवमानना का मामला बताया गया था. हाईकोर्ट ने सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव और महानिदेशक को कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस भी जारी किया था.
2012 से अभी तक सभी दोषी:
हाईकोर्ट द्वारा CBI रिपोर्ट के मद्देनजर प्रदेश सरकार को सभी अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए गए थे. कोर्ट द्वारा 2012 से लेकर अब तक समाज कल्याण विभाग के सभी प्रमुख सचिव और महानिदेशकों को प्रथम दृष्टया कोर्ट की अवमानना का दोषी माना गया था. हालांकि कोर्ट ने सामाजिक न्याय विभाग के प्रमुख सचिव और महानिदेशक को कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस जारी किया था. जबकि 15 मार्च तक कोर्ट को बताया जाना था कि क्यों न सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई की जाए.
कुरूक्षेत्र में दर्ज है एफआईआर:
याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप रापड़िया ने हाईकोर्ट को बताया था कि प्रदेश सरकार केवल जिला कुरूक्षेत्र में एक एफआईआर दर्ज कर एक सेवादार से 13 लाख 43 हजार 725 रुपए की बरामदगी कर जांच को जिला तक सीमित रखना चाहती है. जबकि CAG रिपोर्ट में यह घोटाला समूचे प्रदेश का उजागर हुआ था. फिर हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद भारद्वाज ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. सीबीआई द्वारा 29 फरवरी को हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर कर बताया था कि प्रदेश भर के जिला समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए.
2017 में सीबीआई जांच की हुई मांग:
2017 में आरटीआई कार्यकर्ता राकेश बैंस ने अपने वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से हरियाणा में हुए पेंशन घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी. समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने ऐसे व्यक्तियों को भी पेंशन बांट दी, जिनका देहांत हो चुका है या फिर वे पेंशन लेने की योग्यता पूरी नहीं करते थे. ऐसे में प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा.
40-50 वर्षीय लोगों ने भी ली पेंशन:
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाए कि हरियाणा में 40 और 50 वर्षीय उम्र के लोग भी पेंशन का लाभ ले रहे थे. इसके अलावा अयोग्य लोग भी पेंशन का लाभ ले रहे थे. सरकार ऐसे लोगों को दूसरे मद में पेंशन दे रही थी और इस मद में कई पूर्व सरपंच और पंच के शामिल होने की बात भी सामने आई थी.