चंडीगढ़: हरियाणा की विधानसभा पर अब किस राजनीतिक दल का कब्जा होगा, यह कल यानी 8 अक्टूबर 2024 को साफ हो जाएगा. दोपहर 2 बजे तक अधिकांश सीटों पर रुझान स्पष्ट हो जाएंगे कि किस विधानसभा क्षेत्र पर किस राजनीतिक दल के उम्मीदवार जीत हासिल करने के नजदीक होंगे. लेकिन मतगणना से पहले इस रिपोर्ट के जरिए समझेंगे कि पंचकूला और अंबाला की सभी विधानसभा सीटों के समीकरण क्या हैं और किन प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है.
पंचकूला विधानसभा सीट: वर्ष 2014 और 2019 से पंचकूला विधानसभा सीट पर बीजेपी काबिज रही है. वर्ष 2019 में भाजपा प्रत्याशी ज्ञानचंद गुप्ता ने कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रमोहन को करीब 5300 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी. इस बार भी हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष एवं भाजपा प्रत्याशी ज्ञानचंद गुप्ता और हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रमोहन के बीच मुकाबला है. जो काफी नजदीकी माना जा रहा है. दोनों उम्मीदवार उन्हें पूर्ण बहुमत मिलने का दावा कर रहे हैं. जबकि दोनों के बीच कांटे की टक्कर तय मानी जा रही है. यहां गौर करने वाली यह बात भी है कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार जिला पंचकूला में 65.23 प्रतिशत मतदान हुआ है. जबकि केवल पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में महज 59.37 प्रतिशत मतदान ही हो सका.
कालका में मुकाबला रोचक: कालका विधानसभा सीट पर वर्ष 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप चौधरी ने भाजपा प्रत्याशी लतिका शर्मा को हराकर जीत दर्ज की. इस बार प्रदीप चौधरी का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी शक्ति रानी शर्मा से है. दोनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला रोचक माना जा रहा है. हालांकि यदि कौन प्रत्याशी स्थानीय है, यह कार्ड चला तो इसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप चौधरी को मिल सकता है. हालांकि दोनों उम्मीदवारों ने अपने अपने जीत के दावे किए हैं. इस बार कालका विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 72.07% मतदान हुआ है.
यमुनानगर में भाजपा को कड़ी टक्कर: यमुनानगर सीट पर भाजपा के उम्मीदवार घनश्याम दास अरोड़ा का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी रमन त्यागी और इनेलो के उम्मीदवार दिलबाग सिंह से है. यहां भाजपा को जीत की संभावना है. लेकिन मुकाबला काफी नजदीक माना जा रहा है. यमुनानगर में इस बार 67.24% मतदान हुआ.
जगाधरी-रादौर सीट पर आप को उम्मीद: जगाधरी विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी कंवरपाल गुर्जर का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार अकरम खान और आप के प्रत्याशी आदर्श पाल से है. कंवरपाल को आप प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना जताई जा रही है. माना जा रहा है कि यदि आप पहली बार हरियाणा में स्पष्ट तौर पर कोई सीट निकालने की स्थिति में है तो वह यही सीट हो सकती है. इस सीट पर 78.34% वोटिंग हुई. वहीं, रादौर सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार श्याम सिंह राणा का सीधा मुकाबला कांग्रेस के बिशन लाल सैनी से है. इस सीट पर बीजेपी को अपनी जीत की संभावना अधिक दिखाई दे रही है. इस सीट पर 72.97% वोटिंग हुई.
साढ़ौरा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला: इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला भाजपा प्रत्याशी बलवंत सिंह, कांग्रेस की रेनू बाला और इनेलो-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार बृज पाल छप्पर के बीच है. तीनों प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. इस सीट पर 78.65% मतदान हुआ. लेकिन 8 अक्टूबर को स्पष्ट हो सकेगा कि जीत का ताज किसके सिर सजेगा.
अंबाला सिटी वोटिंग: अंबाला शहरी सीट पर भाजपा के मंत्री एवं प्रत्याशी असीम गोयल और कांग्रेस के उम्मीदवार निर्मल चौधरी के बीच मुकाबला है. इस सीट के लिए महज 63.02% मतदान हुआ. पूर्वानुमान के अनुसार इस सीट पर कांग्रेस के निर्मल चौधरी लीड लेते दिखाई दिए हैं. हालांकि 8 अक्टूबर को दोपहर तक इस सीट के विजयी उम्मीदवार का चेहरा सामने आ सकता है.
विज की विजय या नया चेहरा लेगा कुर्सी: अंबाला कैंट विधानसभा सीट पर भाजपा के पूर्व मंत्री एवं प्रत्याशी अनिल विज का नजदीकी मुकाबला निर्दलीय उम्मीदवार चित्रा सरवारा से माना जा रहा है. इस सीट पर लगभग 64.45% वोटिंग हुई. दोनों उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर है. नतीजतन चित्रा विज के लिए कड़ी चुनौती बनती दिख रही हैं.
नारायणगढ़ सीट पर कड़ा मुकाबला: इस सीट पर 73.33% मतदान हुआ और यहां कांग्रेस प्रत्याशी शैली चौधरी और भाजपा के उम्मीदवार डॉ. पवन कुमार के बीच मुकाबला नजदीकी माना जा रहा है. लेकिन पूर्वानुमान के अनुसार इस सीट पर जीत का मजबूत दावेदार शैली चौधरी को माना जा रहा है.
मुलाना सीट का मुकाबला: मुलाना विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी संतोष सारवान और कांग्रेस की उम्मीदवार पूजा चौधरी के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. इस सीट पर 71.04% वोटिंग हुई. लेकिन यहां जीत का मजबूत दावेदार कौन है, इस बारे पूर्वानुमान बराबर-बराबर है. क्योंकि यहां जीत-हार का अंतर काफी कम होने के आसार हैं.
वोट प्रतिशत कम होने का भाजपा को नुकसान: हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 41 सीट ऐसी हैं, जिन पर कांग्रेस और भाजपा दोनों को नुकसान हो सकने का डर है. इसका सबसे बड़ा कारण इन सीटों पर कम मतदान होना है. कांग्रेस के 22 पूर्व विधायकों और भाजपा के 11 पूर्व मंत्रियों की सीट पर मतदान घटा है. वहीं, भाजपा के 8 पूर्व विधायकों के इलाकों में भी मतदान प्रतिशत में गिरावट आई है. हरियाणा में विधानसभा की सभी 90 सीटों पर कुल 67.90% वोटिंग हुई. जबकि वर्ष 2019 में यह वोटिंग प्रतिशत 67.92% था, जो इस बार 0.02% कम रहा है.
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