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जन्माष्टमी: यहां तैयार होती है हाथ से बनी भगवान श्रीकृष्ण की कांच की मूर्तियां, जानिये खासियत - janmashtami special

फिरोजाबाद में भगवान श्री कृष्ण 'ठाकुर जी' कांच की प्रतिमाएं तैयार की जातीं है. इन प्रतिमाओं की कीमत सौ से लेकर तीस हजार रुपये है.

श्रीकृष्ण की कांच की मूर्तियां
श्रीकृष्ण की कांच की मूर्तियां (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 26, 2024, 1:42 PM IST

फिरोजाबाद में तैयार होती है श्रीकृष्ण की कांच की मूर्तियां (Video Credit: ETV Bharat)

फिरोजाबाद: सोमवार यानी आज पूरे देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इसी उल्लास के बीच आज हम बात करेंगें एक ऐसे शहर की, जहां भगवान श्री कृष्ण 'ठाकुर जी' कांच की प्रतिमाएं तैयार की जातीं है. इन प्रतिमाओं की कीमत सौ से लेकर तीस हजार रुपये है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इन मूर्तियों की हुई बंपर बिक्री से मूर्तिकारों के चेहरे पर भी चमक देखने को मिल रही है.

फिरोजाबाद शहर दुनियां में कांच से निर्मित आइटमों के लिए जाना जाता है. यहां के तमाम आइटम तो विदेशों में भी एक्सपोर्ट होते है. इस कारोबार में यहां के हस्तशिल्पियों की भी अहम भूमिका है. देवी-देवताओं की तमाम मूर्तियां और अन्य खेल खिलोने यहां के हस्तशिल्पियों द्वारा तैयार किये जाते है. देवी देवताओं की मूर्तियां त्यौहार और डिमांड के हिसाब से तैयार किये जाते है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जहां भगवान श्री कृष्ण,राधा कृष्ण की मूर्तियां तैयार की जाती है.

राम नवमीं के मौके पर राम दरवार, गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणेश और दुर्गा महोत्सव के मौके पर दुर्गा माता की मूर्तियां ऑन डिमांड तैयार की जातीं है. एक आंकड़े के अनुसार यहां हस्तशिल्पियों को न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश के विभिन्न कौनों से ऑर्डर आते है. विदेशों में भी इसकी डिमांड रहती है. आंकड़े के अनुसार, यहां का हस्तशिल्प कारोवार पांच करोड़ रुपया प्रति साल रहता है.

हस्तशिल्प कारीगर प्रतीश शर्मा कहते है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा किशन की मूर्तियां तैयार की गई है, जो छह इंच से लेकर 18 इंच तक ऊंची और बेहद आकर्षक है. इन मूर्तियों की कीमत सौ रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक है.

उन्होंने बताया कि इन मूर्तियों का साइज और कलर मांग के हिसाब से किया जाता है. प्रतीश कुमार ने बताया कि गोल्ड पॉलिस वाली मूर्तियों की डिमांड ज्यादा रहती है. इन मूर्तियों की डिमांड मथुरा,वृंदावन के अलावा, दिल्ली, लखनऊ के अलावा तमाम शहरों से मिल रहे है.

यह भी पढ़ें : मीराबाई करती थीं इस मंदिर में पूजा, जन्माष्टमी पर जानें गिरधर गोपाल की अनसुनी कहानी

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फिरोजाबाद में तैयार होती है श्रीकृष्ण की कांच की मूर्तियां (Video Credit: ETV Bharat)

फिरोजाबाद: सोमवार यानी आज पूरे देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इसी उल्लास के बीच आज हम बात करेंगें एक ऐसे शहर की, जहां भगवान श्री कृष्ण 'ठाकुर जी' कांच की प्रतिमाएं तैयार की जातीं है. इन प्रतिमाओं की कीमत सौ से लेकर तीस हजार रुपये है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इन मूर्तियों की हुई बंपर बिक्री से मूर्तिकारों के चेहरे पर भी चमक देखने को मिल रही है.

फिरोजाबाद शहर दुनियां में कांच से निर्मित आइटमों के लिए जाना जाता है. यहां के तमाम आइटम तो विदेशों में भी एक्सपोर्ट होते है. इस कारोबार में यहां के हस्तशिल्पियों की भी अहम भूमिका है. देवी-देवताओं की तमाम मूर्तियां और अन्य खेल खिलोने यहां के हस्तशिल्पियों द्वारा तैयार किये जाते है. देवी देवताओं की मूर्तियां त्यौहार और डिमांड के हिसाब से तैयार किये जाते है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जहां भगवान श्री कृष्ण,राधा कृष्ण की मूर्तियां तैयार की जाती है.

राम नवमीं के मौके पर राम दरवार, गणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणेश और दुर्गा महोत्सव के मौके पर दुर्गा माता की मूर्तियां ऑन डिमांड तैयार की जातीं है. एक आंकड़े के अनुसार यहां हस्तशिल्पियों को न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश के विभिन्न कौनों से ऑर्डर आते है. विदेशों में भी इसकी डिमांड रहती है. आंकड़े के अनुसार, यहां का हस्तशिल्प कारोवार पांच करोड़ रुपया प्रति साल रहता है.

हस्तशिल्प कारीगर प्रतीश शर्मा कहते है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा किशन की मूर्तियां तैयार की गई है, जो छह इंच से लेकर 18 इंच तक ऊंची और बेहद आकर्षक है. इन मूर्तियों की कीमत सौ रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक है.

उन्होंने बताया कि इन मूर्तियों का साइज और कलर मांग के हिसाब से किया जाता है. प्रतीश कुमार ने बताया कि गोल्ड पॉलिस वाली मूर्तियों की डिमांड ज्यादा रहती है. इन मूर्तियों की डिमांड मथुरा,वृंदावन के अलावा, दिल्ली, लखनऊ के अलावा तमाम शहरों से मिल रहे है.

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