ETV Bharat / state

16 साल पहले पटवारी ने ली थी ₹1000 रिश्वत, अब हाई कोर्ट ने ठहराया दोषी, पलटा लोअर कोर्ट का फैसला - Himachal High Court

Hamirpur Patwari convicted in bribery case by High Court: 16 साल पहले एक हजार रुपये रिश्वत लेने के मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने पटवारी को दोषी ठहराया है. मामले में हाईकोर्ट ने निचली कोर्ट का फैसला पलट दिया है. अब 10 सितंबर को दोषी को सजा सुनाई जाएगा.

Himachal High Court
हिमाचल हाईकोर्ट (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 30, 2024, 9:04 PM IST

शिमला: हिमाचल के हमीरपुर जिला में एक पटवारी ने सोलह साल पहले एक हजार रुपये की रिश्वत ली थी. जमीन से जुड़े कागजात तैयार करने की एवज में ये रिश्वत ली गई थी. अब इस मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए पटवारी को दोषी ठहराया है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने इस मामले में दोषी पटवारी को 10 सितंबर को सजा सुनाए जाने के लिए अदालत में मौजूद रहने के लिए कहा है.

वर्ष 2008 में अक्टूबर महीने में पटवारी सीताराम ने आईटीबीपी के एक जवान से जमीन के कागज बनाने के लिए ये रकम रिश्वत के रूप में ली थी. न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के 17 अगस्त 2010 के फैसले को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया है. अभियोजन पक्ष के द्वारा न्यायालय के समक्ष रख तथ्यों के अनुसार शिकायतकर्ता होशियार सिंह आईटीबीपी में कार्यरत था.

वह 2 अक्टूबर 2008 को दो महीनों की वार्षिक छुट्टी पर अपने गांव दलचेहडा आया था। उस समय उसके गांव में बंदोबस्त का काम चल रहा था. इस दौरान उसकी भूमि की तकसीम नहीं की गई. उसने अपने वकील से इस बाबत बात की तो वकील ने कुछ जरूरी कागजात एकत्रित करने की सलाह दी ताकि तकसीम का मामला दायर किया जा सके. होशियार सिंह जमाबंदी, ततीमा जैसे कागजात बनवाने के लिए तत्कालीन पटवारी सीता राम से 22 अक्टूबर को मिला. पटवारी ने उसे कहा कि कागज तैयार करने का बहुत बड़ा काम है, जिसके लिए उसकी पूरी रात भी लग सकती है. वह अगले दिन दोपहर 12 से 1 बजे तक कागजात तैयार करके रखेगा. पटवारी ने कागज तैयार करने की एवज में 1000 रुपए रिश्वत की मांग भी की.

शिकायतकर्ता ने इसे बड़ी रकम बताते हुए इनकार किया तो पटवारी ने कहा कि 1000 रुपए दिए बगैर कागज तैयार करने का काम पूरा नहीं होगा. शिकायतकर्ता रिश्वत नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने इसकी शिकायत विजिलेंस के पास की. जिसके बाद पटवारी को अगले दिन रंगे हाथों 1000 रुपए की रिश्वत के साथ विजिलेंस टीम ने पकड़ लिया. मामला विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के समक्ष प्रस्तुत किया गया. अभियोजन पक्ष ने कुल 10 गवाह पेश किए. विशेष न्यायाधीश हमीरपुर ने शिकायतकर्ता को आरोपी का सहयोगी बताते हुए पटवारी को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के फैसले को त्रुटिपूर्ण पाते हुए उस फैसले को पलट दिया. अब 10 सितंबर को दोषी पटवारी को अदालत सजा सुनाएगी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल सरकार ने ऐसा क्या किया कि मीर बख्श ने मांगा 10 अरब का मुआवजा, जानें आज़ादी के पहले से चल रहे मामले की पूरी कहानी

शिमला: हिमाचल के हमीरपुर जिला में एक पटवारी ने सोलह साल पहले एक हजार रुपये की रिश्वत ली थी. जमीन से जुड़े कागजात तैयार करने की एवज में ये रिश्वत ली गई थी. अब इस मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए पटवारी को दोषी ठहराया है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने इस मामले में दोषी पटवारी को 10 सितंबर को सजा सुनाए जाने के लिए अदालत में मौजूद रहने के लिए कहा है.

वर्ष 2008 में अक्टूबर महीने में पटवारी सीताराम ने आईटीबीपी के एक जवान से जमीन के कागज बनाने के लिए ये रकम रिश्वत के रूप में ली थी. न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के 17 अगस्त 2010 के फैसले को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया है. अभियोजन पक्ष के द्वारा न्यायालय के समक्ष रख तथ्यों के अनुसार शिकायतकर्ता होशियार सिंह आईटीबीपी में कार्यरत था.

वह 2 अक्टूबर 2008 को दो महीनों की वार्षिक छुट्टी पर अपने गांव दलचेहडा आया था। उस समय उसके गांव में बंदोबस्त का काम चल रहा था. इस दौरान उसकी भूमि की तकसीम नहीं की गई. उसने अपने वकील से इस बाबत बात की तो वकील ने कुछ जरूरी कागजात एकत्रित करने की सलाह दी ताकि तकसीम का मामला दायर किया जा सके. होशियार सिंह जमाबंदी, ततीमा जैसे कागजात बनवाने के लिए तत्कालीन पटवारी सीता राम से 22 अक्टूबर को मिला. पटवारी ने उसे कहा कि कागज तैयार करने का बहुत बड़ा काम है, जिसके लिए उसकी पूरी रात भी लग सकती है. वह अगले दिन दोपहर 12 से 1 बजे तक कागजात तैयार करके रखेगा. पटवारी ने कागज तैयार करने की एवज में 1000 रुपए रिश्वत की मांग भी की.

शिकायतकर्ता ने इसे बड़ी रकम बताते हुए इनकार किया तो पटवारी ने कहा कि 1000 रुपए दिए बगैर कागज तैयार करने का काम पूरा नहीं होगा. शिकायतकर्ता रिश्वत नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने इसकी शिकायत विजिलेंस के पास की. जिसके बाद पटवारी को अगले दिन रंगे हाथों 1000 रुपए की रिश्वत के साथ विजिलेंस टीम ने पकड़ लिया. मामला विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के समक्ष प्रस्तुत किया गया. अभियोजन पक्ष ने कुल 10 गवाह पेश किए. विशेष न्यायाधीश हमीरपुर ने शिकायतकर्ता को आरोपी का सहयोगी बताते हुए पटवारी को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश हमीरपुर के फैसले को त्रुटिपूर्ण पाते हुए उस फैसले को पलट दिया. अब 10 सितंबर को दोषी पटवारी को अदालत सजा सुनाएगी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल सरकार ने ऐसा क्या किया कि मीर बख्श ने मांगा 10 अरब का मुआवजा, जानें आज़ादी के पहले से चल रहे मामले की पूरी कहानी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.