बीकानेर. सनातन धर्म-शास्त्रों में अमावस्या का बड़ा महत्व है. आषाढ़ मास में पड़ने वाली अमावस्या को आषाढ़ी अमावस्या के अलावा हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं. आषाढ़ अमावस्या शुक्रवार को है. माना जाता है कि इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाना श्रेष्ठ होता है. पवित्र नदी तीर्थ या फिर इस दिन गंगा में स्नान के बाद दान का भी विशेष महत्व है. अमावस्या के दिन दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन पितृ के निमित्त तर्पण करना चाहिए.
इसलिए हलहारिणी पड़ा नाम : मानसून भी इस समय ही आता है और मानसून से पहले खेतों में बुवाई के लिए किसान अपनी तैयारी करता है और इस दिन किसान अपने हल या अन्य कृषि उपकरणों की भी पूजा करते हैं. साथ ही भगवान से अच्छी फसल होने की प्रार्थना करते हैं. इसलिए इस अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं.
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करें ये काम : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि अमावस्या का बहुत बड़ा महत्व है. अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन हवन पूजन और तर्पण करना चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न रहते हैं. इसलिए इसे पितृकार्य अमावस्या भी कहते हैं. इस दिन अपने पितरों के निमित्त भोजन अर्पित करना चाहिए और सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए. गंगा में स्नान का इस दिन विशेष महत्व है, अगर गंगा स्नान मुमकिन ना हो तो पानी में गंगा जल मिलाकर घर पर ही स्नान करें. स्नान के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य भी दिया जाता है.