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कुमाऊं के पावर सेंटर में रोचक नगर निगम की 'लड़ाई', कई दावेदार ठोक रहे ताल, देखें लिस्ट - HALDWANI MUNICIPAL ELECTION

हल्द्वानी नगर में मेयर की सीट पहले ओबीसी थी, जिसे फाइनल आरक्षण में सामान्य किया गया है.

HALDWANI MUNICIPAL ELECTION
हल्द्वानी नगर निगम चुनाव (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 12 hours ago

देहरादून: उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है. इसके साथ ही प्रदेश के सभी बड़े महानगरों में योद्धा अपनी अपीन सेनाओं के साथ तैयार हैं. प्रदेश में देहरादून के बाद कुमाऊं के नये पॉलीटिकल पावर हाउस के रूप में डेवलप हो रही हल्द्वानी सिटी की चर्चा हो रही है. पौने तीन लाख मतदाताओं वाली हल्द्वानी नगर निगम की सीट पर हर किसी की नजर है. हल्द्वानी में लगातार कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों से नीचे उतर रहे पहाड़ी मूल के लोगों की बड़ी संख्या निवास करती है. यहां पिछले कुछ समय में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी बढ़ी है.

हल्द्वानी शहर तकरीबन 10 साल पहले ही नगर निगम की श्रेणी में आया है. राज्य गठन के बाद 2001 की जनगणना में हल्द्वानी नगर पालिका परिषद थी. यहां की जनसंख्या 1 लाख 28 हजार के करीब थी. 21 में 2011 को हल्द्वानी काठगोदाम को मिलाकर नगर पालिका परिषद से नगर निगम में अपग्रेड कर दिया गया. नगर निगम बनने से पहले हल्द्वानी में कांग्रेस की नेता रेनू अधिकारी नगर पालिका परिषद की अध्यक्षता थी. उसके बाद लगातार दो बार हुए नगर पालिका चुनाव में भाजपा के नेता जोगेंद्र रौतेला मेयर बनते आ रहे हैं. वह अभी भी हल्द्वानी के निवर्तमान मेयर हैं. हल्द्वानी नगर निगम चुनाव को लेकर के कांग्रेस और भाजपा प्रदेश के दोनों मुख्य राजनीतिक दल तैयारी में जुटे हुये हैं.


भाजपा में दो दावेदारों के बीच कड़ी टक्कर: हल्द्वानी में भारतीय जनता पार्टी अपने मेयर प्रत्याशी को लेकर के होमवर्क में जुटी हुई है. मंगलवार को देहरादून में भाजपा मुख्यालय पर कुमाऊं मंडल के निकाय प्रत्याशियों को लेकर के खूब माथा-पच्ची की गई. एक तरफ जहां दो बार के मेयर जोगेंद्र रौतेला एक बार फिर से दावेदारी ठोक रहे हैं तो वहीं इस बार भाजपा संगठन से मजबूत चेहरा कौश्तुभानंद जोशी भी मैदान में हैं. कौश्तुभानंद जोशी आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं. वे वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में कार्यालय प्रबंधक की भूमिका में हैं. जोगेंद्र रौतेला पार्टी से दो बार विधायक का टिकट लेकर हार चुके हैं. दो बार मेयर का टिकट लेकर दोनों बार जीत हासिल कर चुके हैं. वहीं भाजपा नेता कौश्तुभानंद जोशी इस पर चुनावी मैदान में अरमानों से साथ उतरने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में सभी की निगाहें पार्टी संगठन पर टिकी हुई हैं. हल्द्वानी में भाजपा के वरिष्ठ नेता बंशीधर भगत का भी इस सीट पर पूरा असर है.

कभी कांग्रेसी नेता इंदिरा हृदयेश का गढ़ रहा हल्द्वानी: हल्द्वानी में मेयर की सीट के लिए कांग्रेस के दावेदारों की बात की जाए तो पिछले कुछ सालों में हल्द्वानी में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या बढ़ी है. वहीं इस बार दावेदारी कर रहे लोगों में राज्य आंदोलनकारी और छात्र नेता रहे ललित जोशी, दीपक वालिया कांग्रेस के कुछ प्रबल दावेदारों में से हैं. हल्द्वानी से अभी कांग्रेस के ही इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश विधायक हैं. निश्चित तौर से विधायक का असर प्रत्याशी चयन पर पर दिख सता है.

पढे़ं-श्रीनगर: मेयर सीट आरक्षित होने पर कई दावेदारों के अरमानों पर फिरा पानी, अब महिलाओं पर टिकी नजर -

पढ़ें- उत्तराखंड के सबसे बड़े नगर निगम में हमेशा मेयर बना ब्राह्मण प्रत्याशी, जानें इस बार का सियासी समीकरण

देहरादून: उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है. इसके साथ ही प्रदेश के सभी बड़े महानगरों में योद्धा अपनी अपीन सेनाओं के साथ तैयार हैं. प्रदेश में देहरादून के बाद कुमाऊं के नये पॉलीटिकल पावर हाउस के रूप में डेवलप हो रही हल्द्वानी सिटी की चर्चा हो रही है. पौने तीन लाख मतदाताओं वाली हल्द्वानी नगर निगम की सीट पर हर किसी की नजर है. हल्द्वानी में लगातार कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों से नीचे उतर रहे पहाड़ी मूल के लोगों की बड़ी संख्या निवास करती है. यहां पिछले कुछ समय में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी बढ़ी है.

हल्द्वानी शहर तकरीबन 10 साल पहले ही नगर निगम की श्रेणी में आया है. राज्य गठन के बाद 2001 की जनगणना में हल्द्वानी नगर पालिका परिषद थी. यहां की जनसंख्या 1 लाख 28 हजार के करीब थी. 21 में 2011 को हल्द्वानी काठगोदाम को मिलाकर नगर पालिका परिषद से नगर निगम में अपग्रेड कर दिया गया. नगर निगम बनने से पहले हल्द्वानी में कांग्रेस की नेता रेनू अधिकारी नगर पालिका परिषद की अध्यक्षता थी. उसके बाद लगातार दो बार हुए नगर पालिका चुनाव में भाजपा के नेता जोगेंद्र रौतेला मेयर बनते आ रहे हैं. वह अभी भी हल्द्वानी के निवर्तमान मेयर हैं. हल्द्वानी नगर निगम चुनाव को लेकर के कांग्रेस और भाजपा प्रदेश के दोनों मुख्य राजनीतिक दल तैयारी में जुटे हुये हैं.


भाजपा में दो दावेदारों के बीच कड़ी टक्कर: हल्द्वानी में भारतीय जनता पार्टी अपने मेयर प्रत्याशी को लेकर के होमवर्क में जुटी हुई है. मंगलवार को देहरादून में भाजपा मुख्यालय पर कुमाऊं मंडल के निकाय प्रत्याशियों को लेकर के खूब माथा-पच्ची की गई. एक तरफ जहां दो बार के मेयर जोगेंद्र रौतेला एक बार फिर से दावेदारी ठोक रहे हैं तो वहीं इस बार भाजपा संगठन से मजबूत चेहरा कौश्तुभानंद जोशी भी मैदान में हैं. कौश्तुभानंद जोशी आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं. वे वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में कार्यालय प्रबंधक की भूमिका में हैं. जोगेंद्र रौतेला पार्टी से दो बार विधायक का टिकट लेकर हार चुके हैं. दो बार मेयर का टिकट लेकर दोनों बार जीत हासिल कर चुके हैं. वहीं भाजपा नेता कौश्तुभानंद जोशी इस पर चुनावी मैदान में अरमानों से साथ उतरने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में सभी की निगाहें पार्टी संगठन पर टिकी हुई हैं. हल्द्वानी में भाजपा के वरिष्ठ नेता बंशीधर भगत का भी इस सीट पर पूरा असर है.

कभी कांग्रेसी नेता इंदिरा हृदयेश का गढ़ रहा हल्द्वानी: हल्द्वानी में मेयर की सीट के लिए कांग्रेस के दावेदारों की बात की जाए तो पिछले कुछ सालों में हल्द्वानी में मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या बढ़ी है. वहीं इस बार दावेदारी कर रहे लोगों में राज्य आंदोलनकारी और छात्र नेता रहे ललित जोशी, दीपक वालिया कांग्रेस के कुछ प्रबल दावेदारों में से हैं. हल्द्वानी से अभी कांग्रेस के ही इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश विधायक हैं. निश्चित तौर से विधायक का असर प्रत्याशी चयन पर पर दिख सता है.

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