हल्द्वानी: अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अखिलेश कुमार पांडे की अदालत ने बाघ की खाल के साथ गिरफ्तार तीन आरोपियों को तीन- तीन साल की कठोर कारावास और दस- दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. वहीं अर्थदंड जमा नहीं करने की स्थिति में एक महीने में अतरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी.
बताया जा रहा है कि 15 दिसंबर 2015 को तराई केंद्रीय वन प्रभाग के वन विभाग की टीम ने बरहैनी रेंज में चेकिंग के दौरान वन गुर्जर गुलाम नबी पुत्र बदरुद्दीन निवासी हल्दू जगद्दा, मोहम्मद यामीन पुत्र फकीर अली व मोहम्मद शफीक पुत्र मोहम्मद युसूफ को बाघ की खाल के साथ गिरफ्तार किया था. इस मामले में वन विभाग की ओर से तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय वन्यजीव अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.
पुलिस के जांच पड़ताल में पाया गया कि पकड़े गए तीनों आरोपी जंगल से बाघ की हत्या कर उसकी खाल को बेचने के लिए ले जा रहे थे. तत्कालीन वन क्षेत्राधिकारी रूपनारायण गौतम ने अपनी टीम के साथ कार्रवाई की थी. टीम के छापेमारी के दौरान पकड़े गए तीनों आरोपी जंगल में भागने की कोशिश की, लेकिन वन विभाग की टीम ने उनको तीन बाघ के खाल के साथ मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया. बाघ की खाल की लंबाई 10 फीट के करीब थी.
पकड़ा गया आरोपी खाल को तस्करी करने को उद्देश्य से दूसरे राज्य में ले जाने की फिराक में थे, उससे पहले वन विभाग की टीम ने उनको गिरफ्तार कर लिया था.पूरे मामले में गवाहों व साक्ष्यों के आधार पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अखिलेश कुमार पांडे ने मामले को सुनने के बाद खाल के साथ पकड़े गए तीनों आरोपियों को दोषी पाते तीन-तीन साल के कठोर कारावास और दस- दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है. अर्थदंड जमा नहीं करने की स्थिति में एक महीने में अतरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी.
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