ETV Bharat / state

ज्ञानवापी प्रकरण; फिर से ASI सर्वे की मांग वाली याचिका पर कोर्ट 25 को सुना सकता है फैसला, बहस पूरी

वाराणसी जिला जज न्यायालय में श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन प्रकरण में महिला वादी की याचिका पर भी सुनवाई हुई है.

Etv Bharat
ज्ञानवापी प्रकरण में फिर से ASI सर्वे की मांग वाली याचिका पर कोर्ट 25 को सुना सकता है फैसला. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 19, 2024, 4:02 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी में 1991 के मूलवाद को लेकर 33 सालों से चल रही लंबी सुनवाई अब तेजी से आगे बढ़ रही है. आज इस मामले में प्रतिवादी और वादी दोनों पक्ष की तरफ से बहस पूरी कर ली गई है. वादी पक्ष के अधिवक्ता और बाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने पूरे परिसर का पुनः एएसआई सर्वे कराए जाने की मांग की है, जिस पर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष की बहस आज पूरी हो गई. कोर्ट अब 25 अक्टूबर को इस मामले में अपना फैसला सुना सकता है.

इसके साथ ही आज वाराणसी जिला जज न्यायालय में श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन प्रकरण में वादी महिला सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की याचिका पर भी सुनवाई हुई है. इस मुकदमे में समेकित किए गए मुकदमों का शेड्यूल तय करने के साथ ही पिछले दिनों अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की तरफ से दायर की गई मूलवाद को जिला न्यायालय में ही सुनवाई के लिए शिफ्ट किए जाने की याचिका पर भी कोर्ट ने सुनवाई की है.

ज्ञानवापी प्रकरण में आज हुई सुनवाई के बारे में बताते वकील मदनमोहन. (Video Credit; ETV Bharat)

1991 से चल रहे मुकदमे को इन समेकित सात मुकदमों का मामला जनपद न्यायाधीश की कोर्ट के साथ ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में है. जिस मामले में जनपद न्यायाधीश ने कहा कि पांच वादिनी महिलाओं के केस में जो प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में पड़ा है, उसका नंबर इस अदालत को उपलब्ध कराएं, जिससे न्यायालय द्वारा किसी प्रकार का आदेश देने में विरोधाभास ना हो. अगली सुनवाई की तिथि 31 अक्टूबर निर्धारित की गई है.

वादी पक्ष की तरफ से यह दावा किया गया है कि मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे आदि विशेश्वर का शिवलिंग विराजमान है. इसलिए इस स्थान के साथ ही कमीशन कार्रवाई में मिले वजूखाने में कथित शिवलिंग के पूरे हिस्से की भी वैज्ञानिक विधि से जांच होनी चाहिए. पहले की गई जांच पूरी नहीं थी और खोदाई के साथ अंदर के तत्वों को भी बाहर लाना जरूरी है. फिलहाल इस मामले में कोर्ट 25 अक्टूबर को सुनवाई करेगा और माना जा रहा है कि कोर्ट अपना फैसला भी सुन सकता है.

बता दे की वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट युगुल शंभू की अदालत में इस पूरे मामले की सुनवाई हो रही है. इसमें पिछले सुनवाई में हिंदू पक्ष ने अपनी बातें रखी थी और मुस्लिम पक्ष ने अपनी बातों को रखने के लिए समय मांगा था. जिस पर आज दोनों पक्षों की तरफ से बहस की गई दोनों की जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने अब 25 अक्टूबर को अगली तिथि निर्धारित की है.

वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इस पूरे परिसर की पुनः सर्वे कराए जाने की याचिका दायर दी थी. हिंदू पक्ष के वकीलों का जवाब और जिला पूरी होने के बाद अब फैसला का इंतजार है वादमित्र ने दावा किया है कि पिछला एएसआई सर्वे अधूरा था. सर्वे में बिना खुदाई के सही रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकती है. इसलिए एएसआई से ज्ञानवापी में खुदाई कराई जानी आवश्यक है.

विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि जिस तरह से इस मामले के कनेक्टिंग मुकदमे श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन प्रकरण को लेकर ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई हुई है. उसकी रिपोर्ट में बहुत से स्थान अभी अछूते हैं. जिसमें केंद्रीय डम के नीचे और जो वजू खाने में करते थे शिवलिंग मिला है. वह स्थान इन जगहों पर जांच नहीं हुई है. इसके अलावा खुदाई नहीं हुई है जिसकी वजह से अंदर क्या चीज हैं, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है.

फिलहाल अंजुमन इंतजामियां की तरफ से इस पूरे मामले में विरोध दर्ज कराया गया है. उनका कहना है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए खुदाई से साफ इनकार किया था और सर्वे करने वाले पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि स्ट्रक्चर को बिना नुकसान पहुंचा बिना खुदाई के सर्वे के कार्रवाई होगी.

जब यह आदेश पुराना है तो इसको बार-बार खुदाई के लिए कहा जाना उचित नहीं है. फिलहाल वादमित्र ने पिछली तारीख पर एएसआई से 9130 आराजी संख्या का सर्वे कराए जाने की मांग की है. परंतु विवादित वजूखाने और कमीशन की कार्रवाई में मिले शिवलिंग का निरीक्षण ना होने से इसके भी जांच की मांग उठाई है.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी विवाद; हिंदू पक्ष का दावा- पहले हुआ सर्वे अधूरा, वजूखाने और गुंबद के नीचे ASI सर्वे कराने की मांग

वाराणसी: ज्ञानवापी में 1991 के मूलवाद को लेकर 33 सालों से चल रही लंबी सुनवाई अब तेजी से आगे बढ़ रही है. आज इस मामले में प्रतिवादी और वादी दोनों पक्ष की तरफ से बहस पूरी कर ली गई है. वादी पक्ष के अधिवक्ता और बाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने पूरे परिसर का पुनः एएसआई सर्वे कराए जाने की मांग की है, जिस पर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष की बहस आज पूरी हो गई. कोर्ट अब 25 अक्टूबर को इस मामले में अपना फैसला सुना सकता है.

इसके साथ ही आज वाराणसी जिला जज न्यायालय में श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन प्रकरण में वादी महिला सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की याचिका पर भी सुनवाई हुई है. इस मुकदमे में समेकित किए गए मुकदमों का शेड्यूल तय करने के साथ ही पिछले दिनों अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की तरफ से दायर की गई मूलवाद को जिला न्यायालय में ही सुनवाई के लिए शिफ्ट किए जाने की याचिका पर भी कोर्ट ने सुनवाई की है.

ज्ञानवापी प्रकरण में आज हुई सुनवाई के बारे में बताते वकील मदनमोहन. (Video Credit; ETV Bharat)

1991 से चल रहे मुकदमे को इन समेकित सात मुकदमों का मामला जनपद न्यायाधीश की कोर्ट के साथ ही हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में है. जिस मामले में जनपद न्यायाधीश ने कहा कि पांच वादिनी महिलाओं के केस में जो प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में पड़ा है, उसका नंबर इस अदालत को उपलब्ध कराएं, जिससे न्यायालय द्वारा किसी प्रकार का आदेश देने में विरोधाभास ना हो. अगली सुनवाई की तिथि 31 अक्टूबर निर्धारित की गई है.

वादी पक्ष की तरफ से यह दावा किया गया है कि मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे आदि विशेश्वर का शिवलिंग विराजमान है. इसलिए इस स्थान के साथ ही कमीशन कार्रवाई में मिले वजूखाने में कथित शिवलिंग के पूरे हिस्से की भी वैज्ञानिक विधि से जांच होनी चाहिए. पहले की गई जांच पूरी नहीं थी और खोदाई के साथ अंदर के तत्वों को भी बाहर लाना जरूरी है. फिलहाल इस मामले में कोर्ट 25 अक्टूबर को सुनवाई करेगा और माना जा रहा है कि कोर्ट अपना फैसला भी सुन सकता है.

बता दे की वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट युगुल शंभू की अदालत में इस पूरे मामले की सुनवाई हो रही है. इसमें पिछले सुनवाई में हिंदू पक्ष ने अपनी बातें रखी थी और मुस्लिम पक्ष ने अपनी बातों को रखने के लिए समय मांगा था. जिस पर आज दोनों पक्षों की तरफ से बहस की गई दोनों की जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने अब 25 अक्टूबर को अगली तिथि निर्धारित की है.

वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से इस पूरे परिसर की पुनः सर्वे कराए जाने की याचिका दायर दी थी. हिंदू पक्ष के वकीलों का जवाब और जिला पूरी होने के बाद अब फैसला का इंतजार है वादमित्र ने दावा किया है कि पिछला एएसआई सर्वे अधूरा था. सर्वे में बिना खुदाई के सही रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकती है. इसलिए एएसआई से ज्ञानवापी में खुदाई कराई जानी आवश्यक है.

विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि जिस तरह से इस मामले के कनेक्टिंग मुकदमे श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन प्रकरण को लेकर ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई हुई है. उसकी रिपोर्ट में बहुत से स्थान अभी अछूते हैं. जिसमें केंद्रीय डम के नीचे और जो वजू खाने में करते थे शिवलिंग मिला है. वह स्थान इन जगहों पर जांच नहीं हुई है. इसके अलावा खुदाई नहीं हुई है जिसकी वजह से अंदर क्या चीज हैं, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है.

फिलहाल अंजुमन इंतजामियां की तरफ से इस पूरे मामले में विरोध दर्ज कराया गया है. उनका कहना है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए खुदाई से साफ इनकार किया था और सर्वे करने वाले पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि स्ट्रक्चर को बिना नुकसान पहुंचा बिना खुदाई के सर्वे के कार्रवाई होगी.

जब यह आदेश पुराना है तो इसको बार-बार खुदाई के लिए कहा जाना उचित नहीं है. फिलहाल वादमित्र ने पिछली तारीख पर एएसआई से 9130 आराजी संख्या का सर्वे कराए जाने की मांग की है. परंतु विवादित वजूखाने और कमीशन की कार्रवाई में मिले शिवलिंग का निरीक्षण ना होने से इसके भी जांच की मांग उठाई है.

ये भी पढ़ेंः ज्ञानवापी विवाद; हिंदू पक्ष का दावा- पहले हुआ सर्वे अधूरा, वजूखाने और गुंबद के नीचे ASI सर्वे कराने की मांग

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.