ग्वालियर/श्योपुर : 13 नवंबर को मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीटें बुधनी और विजय पर में उपचुनाव के लिए वोटिंग हुई और 23 नवम्बर को इनके परिणाम आए. ये दोनों ही सीटों पर ही पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई थी. वजह थी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के केंद्र में जाने के बाद बुधनी सीट खाली हुई थी. वहीं, कांग्रेस छोड़कर जब रामनिवास रावत BJP में आए और मंत्री बने तो उनकी विधानसभा सीट विजयपुर में भी उपचुनाव हुआ है. लेकिन, मंत्री होने के बावजूद जनता ने उन्हें नकार दिया और 7000 से ज्यादा वोटों की जीत कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा के हिस्से में आयी. इस हार के तुरंत बाद ही चुनाव में BJP के प्रत्याशी रहे वन मंत्री रामनिवास रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
नैतिकता के आधार पर दिया पद से इस्तीफा
रामनिवास रावत के अचानक मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेजने के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में हलचल पैदा हो गई. कई लोग यह जानना चाहते थे कि अचानक मंत्री पद से उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया और आखिर में खुद रामनिवास रावत ने भी अपने दिल की बात साझा की. BJP प्रत्याशी रामनिवास रावत ने बताया कि, ''वे चुनाव हार गए उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी. लेकिन अपनी हार की जिम्मेदारी मानते हुए नैतिकता के आधार पर उन्होंने अपना इस्तीफा प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास भेज दिया है.''
कांग्रेस नहीं आदिवासी वोटर बने हार की वजह
जिस क्षेत्र को रामनिवास रावत का गढ़ कहा जाता था. जहां कांग्रेस में रहते कोई उन्हें सालों तक हरा नहीं पाया, अपने उसी क्षेत्र में मंत्री होने के बाद भी रावत की हार ने कई सवाल पैदा कर दिए. इसका जवाब भी खुद रामनिवास रावत ने दिया. रावत का कहना है कि, ''उनकी हार के पीछे कांग्रेस की कोई रणनीति नहीं रही बल्कि हार की मुख्य वजह सिर्फ जातिगत आधार रहा. क्योंकि विजयपुर विधानसभा में करीब 70 हजार आदिवासी वोटर हैं. इसी वजह से आदिवासी बेल्ट में हार हुई है.''
क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं
— Ramniwas Rawat (@rawat_ramniwas) November 24, 2024
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
“40 साल की राजनीति में जो भी सम्मान, प्रेम और विश्वास आपने मुझ पर जताया है, वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। इस बार भी आपने 93,000 से ज़्यादा वोट देकर मुझ पर जो भरोसा दिखाया है, उसके… pic.twitter.com/r9E341eeqh
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भितरघात पर रावत का झलका दर्द
रामनिवास रावत ने इसके साथ साथ एक चौंकाने वाला खुलासा भी किया. उनका कहना था कि आदिवासी वोटर के अलावा एक बड़ा फैक्टर उनके BJP में जाने से भी बना. उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि, ''लोगों को यह लगा कि जब रावत कांग्रेस में थे तो कांग्रेस के किसी अन्य व्यक्ति को क्षेत्र की राजनीति में पनपने नहीं दिया और अब जब BJP में आए हैं तो शायद यहां भी किसी को पनपने नहीं देंगे. ऐसे में लोगों ने अपने भविष्य की चिंता करते हुए भीतरघात किया.'' हालांकि आपको बता दें कि अब तक रामनिवास रावत के इस्तीफे को स्वीकार करने के संबंध में सरकार की ओर से किसी तरह का कोई अपडेट नहीं दिया गया है.
कांग्रेस बोली, जनता ने रावत को सिखाया सबक
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता के मुताबिक, ''विजयपुर के मतदाताओं ने रामनिवास रावत को दलबदल कर जनता से धोखा करने का सबक दे दिया है. जिस मंत्री पद की लालच में रामनिवास रावत बीजेपी में शामिल हुए थे अब वह मंत्री पद भी उनके पास नहीं रहेगा. विजयपुर की जनता ने बीजेपी और प्रदेश सरकार को करारा जवाब दिया है. विजयपुर की जीत वहां के जागरूक मतदाताओं और कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता की जीत है.''