ग्वालियर। बीते 4 जून को देश के महापर्व लोकसभा के चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं. हार जीत का फैसला सबके सामने आ चुका है. लेकिन इस बीच मध्य प्रदेश में 23 लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस की हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. खासकर ग्वालियर में जो तथ्य सामने आए हैं वह गौर करने लायक हैं, क्योंकि एक और जहां देश में सबसे ज्यादा नोटा को वोट प्रदेश के ही इंदौर में मिले तो वही ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में 19 में से 17 अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. 13 प्रत्याशी ऐसे हैं जो लोकसभा क्षेत्र में नोटा से भी पिछड़ गए.
बीजेपी-कांग्रेस में सिमटा 19 उम्मीदवारों का मुकाबला
ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में 4 जून को जब नतीजे आए तो यह साफ हो गया की टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच थी. वर्चस्व और कुर्सी की इस लड़ाई में बीजेपी ने कांग्रेस को धूल चटा दी. लेकिन इस बीच बहुजन समाज पार्टी तक अपनी जमानत नहीं बचा पाई. ग्वालियर लोकसभा सीट पर बीजेपी के भारत सिंह ने कांग्रेस के प्रवीण पाठक के खिलाफ चुनाव लड़ा और पहले राउंड से ही अपनी बढ़त बनाते हुए आखिरी राउंड में उन्हें कुल 70210 वोटों से करारी हार दी.
ग्वालियर में 13 की जमानत जब्त
इस पूरे चुनाव में बड़ी बात यह रही कि इस ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के लिए हुए लोकसभा के चुनाव में 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, इनमें बसपा समेत 17 प्रत्याशी ऐसे रहे जिन्हें जमानत बचाने लायक भी वोट नहीं ला पाए और यही वजह रही कि उनकी जमानत जप्त हो गई. चौंकाने वाली बात तो यह है कि इन 19 प्रत्याशियों में 13 प्रत्याशी ऐसे हैं जिन्हें नोटा को मिले 3341 मतों से भी कम वोट मिले हैं.
लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कितनी है जमानत राशि
जब हम कहते हैं कि कोई प्रत्याशी चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया या उसकी जमानत जप्त हो गई तो इसका मतलब होता है की चुनाव लड़ने के एवज में उसे कुछ धनराशि जो निर्वाचन आयोग की ओर से निर्धारित है जमा करनी होती है. निर्वाचन संबंधी नियमों के तहत भारत में लोकसभा विधानसभा और राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए अलग-अलग राशि तय है. चूंकी यह दौर लोकसभा चुनाव का था, ऐसे में लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के लिए चुनाव आयोग की तरफ से जमानत के तौर पर ₹25,000 जमा कराए जाने का प्रावधान था. हालांकि एससी और एसटी वर्ग के लिए यह राशि 12,500 होती है.
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चुनाव में कैसे जप्त होती है जमानत
किसी भी प्रत्याशी को चुनाव में हिस्सा लेने के लिए जमानत राशि जमा करनी होती है. इस राशि के वापसी का भी नियम चुनाव आयोग की ओर से निर्धारित है. चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी को जमानत राशि सिर्फ तब ही वापस मिलती है जब वह चुनाव में क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों के 16.66 प्रतिशत वोट (1/6) हासिल कर लेता है. इस स्थिति में चुनाव हारने पर भी उसके द्वारा जमा की गई जमानत राशि निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद लौटा दी जाती है. लेकिन अगर इसके उलट प्रत्याशी चुनाव में डाले गए वैध मतों के 1/6 वोट हासिल करने में असफल होता है तो उसके द्वारा जमा कराई गई जमानत राशि को निर्वाचन आयोग द्वारा जप्त कर लिया जाता है. यही ग्वालियर में 19 में से 17 प्रत्याशियों के साथ हुआ है जो ग्वालियर में डाले गए 13,39,880 वोटों के छठवें भाग यानी 2,23,314 वोट अपने खाते में शामिल करना तो दूर इस आंकड़े के आसपास भी नहीं पहुंच सके.