ग्वालियर। एक समय था जब मध्य प्रदेश में डकैतों का बोलबाला था और इन डकैतों को खत्म करने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस साल भर प्रयास करती थी. तब जाने माने डकैतों के एनकाउंटर करने पर प्रमोशन भी मिला करते थे. ऐसे ही एक मामले में एनकाउंटर टीम में शामिल रहे पुलिसकर्मी अतुल सिंह चौहान को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन लेने के लिए हाई कोर्ट में 26 वर्षों तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी और आखिर में उन्हें उनका हक हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने दे दिया है. अतुल सिंह वर्तमान में गुना के आरोन पुलिस थाने में बतौर कार्यवाहक थाना प्रभारी पदस्थ हैं.
डकैत मेहरबान सिंह के एनकाउंटर में शामिल था फरियादी
असल में डकैत मेहरबान सिंह समेत कई इनामी डकैतों के एनकाउंटर में शामिल रहे अतुल सिंह चौहान ने आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का लाभ लेने के लिए याचिका लगाई थी. मामला 30 साल पुराना है. एडवोकेट अरुण कटारे ने बताया कि "अतुल सिंह चौहान 1995 में डकैत मेहरबान सिंह का एनकाउंटर करने वाली टीम में शामिल थे. उस दौरान वह पुलिस विभाग में बतौर प्रधान आरक्षक पदस्थ थे. एनकाउंटर के बाद एनकाउंटर टीम में शामिल थाना प्रभारी सतीश दुबे और आरक्षक तुलाराम को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया लेकिन अतुल सिंह चौहान को प्रमोशन का लाभ देने से यह कहकर मना कर दिया गया कि उन्होंने इस एनकाउंटर में कुछ एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी कार्य नहीं किया था."
हक से वंचित होने पर लड़ी लंबी कानूनी लड़ाई
एक बड़ी कार्रवाई के बावजूद प्रमोशन का लाभ नहीं मिलने पर तत्कालीन प्रधान आरक्षक अतुल सिंह चौहान ने 1998 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. जिसमें 2011 में हाई कोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया लेकिन विभाग ने 2012 में उसे आदेश को यह कहकर निरस्त कर दिया कि क्रम से पदोन्नति का प्रावधान खत्म कर दिया गया है और उनके द्वारा कोई विशेष पराक्रमी कार्य नहीं किया गया था. इसके बाद उन्होंने दूसरी बार और फिर तीसरी बार अपने हक की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. 30 साल लंबी इस लड़ाई में 26 साल कोर्ट के दरवाजे पहुंचते पहुंचते आखिरकार मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की सिंगल बेंच के न्यायाधीश ने उन्हें न्याय दिलाया और कोर्ट ने माना है कि "एनकाउंटर में मिले प्रमोशन के लिए अतुल सिंह चौहान भी समानता का अधिकार रखते हैं. जांच में यह बात सिद्ध हो चुकी है की एनकाउंटर उनकी टीम द्वारा किया गया फिर वह किसी की भी गोली से हुआ हो अधिकार सभी को बराबर मिलना चाहिए."
अब पुनर्विचार नहीं होगा सीधा प्रमोशन
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि "आरक्षक तुलाराम को उस एनकाउंटर के लिए जिस तरह प्रमोट किया गया इस तरह 1997 से तत्कालीन प्रधान आरक्षक और फरियादी अतुल सिंह चौहान को सहायक उप निरीक्षक के पद पर पदोन्नति के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने यह भी सीधे तौर पर कहा कि इस मामले में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाए क्योंकि यह मामला लगभग 30 साल पुराना है और अगर विभाग को एक बार फिर इस पर विचार करने के लिए कहा गया तो अब पुनर्विचार नहीं होगा, इसलिए अतुल सिंह चौहान को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाए."