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सिंधिया के लिए अग्निपरीक्षा ये आम चुनाव, चंबल के नतीजे तय करेंगे BJP में बढ़ेगा कद, या कम होगी पूछ - Scindia Reputation At Stake

मध्य प्रदेश के सियासी रण में मंगलवार को अहम सीटों पर चुनाव है. जिसमें सबसे ज्यादा अग्निपरीक्षा की घड़ी केंद्रीय मंत्री व प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए हैं. सिंधिया को सिर्फ पुरानी हार का बदला नहीं लेना है, बल्कि चंबल-अंचल की सभी सीटों पर जीत ही बीजेपी में उनका कद तय करेगी. हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से ही यह तय हो पाएगी कि सिंधिया की स्थिति बीजेपी में भविष्य में क्या रहेगी...

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 6, 2024, 10:23 PM IST

Updated : May 6, 2024, 11:00 PM IST

ग्वालियर। भारत में 18वीं लोकसभा के लिए निर्वाचन प्रक्रिया जारी है, लेकिन सबकी निगाहें मध्य प्रदेश की गुना सीट पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह एक हाई प्रोफाइल सीट है. यहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद ना सिर्फ उन पर खुद जीतने का प्रेशर है, बल्कि अंचल की चारों सीटों पर उनकी साख दांव पर लगी हुई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस आम चुनाव के नतीजे पार्टी में उनका कद तय करेंगे.

मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट सिंधिया राजघराने की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस क्षेत्र पर सिंधिया राजपरिवार का हमेशा से वर्चस्व रहा है. बीते 37 वर्षों तक यहां सिंधिया घराने की तीन पीढ़ियां जीत का सेहरा बांधती आ रहीं हैं. पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया, फिर उनके बेटे माधवराव सिंधिया और फिर उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से सांसद बनते रहे हैं.

SCINDIA REPUTATION AT STAKE
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और सिंधिया (ETV Bharat)

भगवा रंग में रम गये सिंधिया

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति विश्लेषक देव श्रीमाली कहते हैं कि 'इस बार का लोकसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि यहीं से 2019 में पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद साल 2020 में वे अपने जीवन का एक बड़ा कदम उठाकर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गये. भारतीय जनता पार्टी ने भी उन्हें मान सम्मान के साथ आगे बढ़ाया. केंद्रीय मंत्री भी बनाया. आज सिंधिया पूरी तरह भगवा रंग में रम चुके हैं. एक बार फिर वे चुनाव मैदान में हैं, लेकिन झंडा अब बीजेपी का है, तो इस बार उनके सामने अपनी हार के दाग को मिटाने और अपना वर्चस्व फिर काबिज करने की चुनौती भी है.'

विधानसभा उपचुनाव में दिखाया था दम

वैसे तो साल 2002 से लेकर 2019 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना लोकसभा क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया, लेकिन मोदी लहर में 17वीं लोकसभा का आमचुनाव अपने ही पुराने समर्थक केपी सिंह जो कांग्रेस छोड़ बीजेपी से टिकट ले आये थे, सिंधिया उनसे हार गये थे. इसके बाद 2020 में बीजेपी में शामिल हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में सांसद मनोनीत किया. जब सिंधिया के साथ आये समर्थक विधायक उपचुनाव में बीजेपी से उतरे तो चंबल अंचल की 15 सीटों में 8 सीटें बीजेपी के खाते में बढ़ी. जिसने बता दिया कि चंबल में सिंधिया की पकड़ मजबूत है.

SCINDIA REPUTATION AT STAKE
शिवराज ने सिंधिया के लिए किया प्रचार (ETV Bharat)

चुनाव में सक्रिय पूरा सिंधिया राजपरिवार

जब 2023 के विधानसभा चुनाव आये तो नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, फग्गन सिंह कुलसते जैसे केंद्र के दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारा गया. कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी चंबल से सिंधिया को भी मैदान में उतार सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. साथ आये सिंधिया खेमे के समर्थक विधायक मंत्रियों में भी पांच टिकट मिले, जीत हुई लेकिन इस वजह से कहीं ना कहीं चंबल में उनके रुतबे में कमी देखी गई. इसी वजह से क्षेत्र में सिंधिया की सक्रियता और बढ़ी और उन्हें बीजेपी में लोकसभा 2024 के चुनाव में उनकी गुना लोकसभा सीट पर उतार दिया. सिंधिया ने पूरे परिवार के साथ जनता के बीच खुद को झोंक दिया. मध्य प्रदेश के चंबल अंचल में जब भी जरूरत हुई अपने प्रचार को छोड़ सिंधिया अंचल की हर सीट पर BJP के प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार के लिए पहुंचे.

SCINDIA REPUTATION AT STAKE
चुनावी सभा को संबोधित करते सिंधिया (ETV Bharat)

यहां पढ़ें...

सिंधिया बनेंगे ग्वालियर चंबल की चार सीटों के असल महाराज, शर्त इतनी की बीजेपी की हो गुना-शिवपुरी में धमाकेदार जीत

सिंधिया का हिंदुत्व राग, हमारे पूवर्जों ने लाल किले पर गाड़ दिया था भगवा झंडा

महाआर्यमन को पापा ने दिए 2 गुरु मंत्र, विदेश से आ देसी छोरे ने बनाई स्पेशल टीम, इस दिन लगाएंगे पॉलिटिक्स में चौके छक्के

सिंधिया के लिए अहम चंबल में बीजेपी की जीत

ज्योतिरादित्य सिंधिया का चंबल पर वर्चस्व और राज घराने से नाता चंबल अंचल की जनता से जुड़ाव को दर्शाता है. ऐसे में अब सिंधिया के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह अच्छे मार्जिन से गुना लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करें, क्योंकि उनकी जीत या हार आने वाले समय में पार्टी में उनका कद तय करेगी. अगर अंचल की चारों सीटों पर बीजेपी काबिज हुई, तब सिंधिया का वर्चस्व बीजेपी में बढ़ने के साथ-साथ उनके बेहतर राजनीतिक भविष्य को तय करेगा, लेकिन अगर इनमें से कुछ सीटें बीजेपी के हाथ से फिसली तो इसका असर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के माथे आना संभव है. ऐसे में चंबल की अग्निपरीक्षा पर सिंधिया खरा उतरने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं.

ग्वालियर। भारत में 18वीं लोकसभा के लिए निर्वाचन प्रक्रिया जारी है, लेकिन सबकी निगाहें मध्य प्रदेश की गुना सीट पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह एक हाई प्रोफाइल सीट है. यहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद ना सिर्फ उन पर खुद जीतने का प्रेशर है, बल्कि अंचल की चारों सीटों पर उनकी साख दांव पर लगी हुई है. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस आम चुनाव के नतीजे पार्टी में उनका कद तय करेंगे.

मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट सिंधिया राजघराने की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस क्षेत्र पर सिंधिया राजपरिवार का हमेशा से वर्चस्व रहा है. बीते 37 वर्षों तक यहां सिंधिया घराने की तीन पीढ़ियां जीत का सेहरा बांधती आ रहीं हैं. पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया, फिर उनके बेटे माधवराव सिंधिया और फिर उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से सांसद बनते रहे हैं.

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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और सिंधिया (ETV Bharat)

भगवा रंग में रम गये सिंधिया

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति विश्लेषक देव श्रीमाली कहते हैं कि 'इस बार का लोकसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि यहीं से 2019 में पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद साल 2020 में वे अपने जीवन का एक बड़ा कदम उठाकर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गये. भारतीय जनता पार्टी ने भी उन्हें मान सम्मान के साथ आगे बढ़ाया. केंद्रीय मंत्री भी बनाया. आज सिंधिया पूरी तरह भगवा रंग में रम चुके हैं. एक बार फिर वे चुनाव मैदान में हैं, लेकिन झंडा अब बीजेपी का है, तो इस बार उनके सामने अपनी हार के दाग को मिटाने और अपना वर्चस्व फिर काबिज करने की चुनौती भी है.'

विधानसभा उपचुनाव में दिखाया था दम

वैसे तो साल 2002 से लेकर 2019 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना लोकसभा क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया, लेकिन मोदी लहर में 17वीं लोकसभा का आमचुनाव अपने ही पुराने समर्थक केपी सिंह जो कांग्रेस छोड़ बीजेपी से टिकट ले आये थे, सिंधिया उनसे हार गये थे. इसके बाद 2020 में बीजेपी में शामिल हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में सांसद मनोनीत किया. जब सिंधिया के साथ आये समर्थक विधायक उपचुनाव में बीजेपी से उतरे तो चंबल अंचल की 15 सीटों में 8 सीटें बीजेपी के खाते में बढ़ी. जिसने बता दिया कि चंबल में सिंधिया की पकड़ मजबूत है.

SCINDIA REPUTATION AT STAKE
शिवराज ने सिंधिया के लिए किया प्रचार (ETV Bharat)

चुनाव में सक्रिय पूरा सिंधिया राजपरिवार

जब 2023 के विधानसभा चुनाव आये तो नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, फग्गन सिंह कुलसते जैसे केंद्र के दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारा गया. कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी चंबल से सिंधिया को भी मैदान में उतार सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. साथ आये सिंधिया खेमे के समर्थक विधायक मंत्रियों में भी पांच टिकट मिले, जीत हुई लेकिन इस वजह से कहीं ना कहीं चंबल में उनके रुतबे में कमी देखी गई. इसी वजह से क्षेत्र में सिंधिया की सक्रियता और बढ़ी और उन्हें बीजेपी में लोकसभा 2024 के चुनाव में उनकी गुना लोकसभा सीट पर उतार दिया. सिंधिया ने पूरे परिवार के साथ जनता के बीच खुद को झोंक दिया. मध्य प्रदेश के चंबल अंचल में जब भी जरूरत हुई अपने प्रचार को छोड़ सिंधिया अंचल की हर सीट पर BJP के प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार के लिए पहुंचे.

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चुनावी सभा को संबोधित करते सिंधिया (ETV Bharat)

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सिंधिया के लिए अहम चंबल में बीजेपी की जीत

ज्योतिरादित्य सिंधिया का चंबल पर वर्चस्व और राज घराने से नाता चंबल अंचल की जनता से जुड़ाव को दर्शाता है. ऐसे में अब सिंधिया के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह अच्छे मार्जिन से गुना लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करें, क्योंकि उनकी जीत या हार आने वाले समय में पार्टी में उनका कद तय करेगी. अगर अंचल की चारों सीटों पर बीजेपी काबिज हुई, तब सिंधिया का वर्चस्व बीजेपी में बढ़ने के साथ-साथ उनके बेहतर राजनीतिक भविष्य को तय करेगा, लेकिन अगर इनमें से कुछ सीटें बीजेपी के हाथ से फिसली तो इसका असर भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के माथे आना संभव है. ऐसे में चंबल की अग्निपरीक्षा पर सिंधिया खरा उतरने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं.

Last Updated : May 6, 2024, 11:00 PM IST
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