जयपुर. देश - दुनिया में इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में जहां किसी के पास समय नहीं है. वहीं समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो जानवरों के दर्द का एहसास कर न सिर्फ उनकी सेवा करते हैं, बल्कि उन्हें अपनों सा प्यार भी देते हैं. वैसे तो आज के दौर में कुत्ते पालने का शौक ज्यादातर सभी लोगों को है. कुत्ता एक वफादार जानवर भी है. कुछ कुत्ते ऐसे भी होते हैं, जो आवारा होते हैं और जिनका कोई ख्याल रखने वाला नहीं होता. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स रू-ब-रू कराएंगे जो स्ट्रीट डॉग्स के मसीहा बने हुए हैं.
आज विश्व आवारा पशु दिवस पर हम आप को मिलाते हैं जयपुर के 'भाटिया पनीर टिक्का' के नाम मशहूर गुलशन भाटिया से. आज हम गुलशन भाटिया का जिक्र उनके फेमस पनीर के लिए नहीं बल्कि उनके मन में बसे पशु प्रेम के लिए बात कर रहे हैं. गुलशन भाटिया पिछले कई सालों से आवारा कुत्तों के लिए मसीहा की तरह हैं. जहां आम तौर पर लोग आवारा जानवरों से नफरत करते हैं, उन्हें अपने आसपास आने तक नहीं देते, उन आवारा पशुओं के लिए भाटिया के मन में दया भाव , करुणा भरा हुआ है. भाटिया रोज करीब 500 से ज्यादा आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं. इतना ही नहीं शहर में कहीं भी किसी स्ट्रीट डॉग्स के घायल होने की सूचना मिलती है तो तत्काल उसकी मदद के लिए पहुंच जाते हैं. गुलशन भाटिया के इस सेवा भाव से लोग उन्हें "डॉग मैन" के नाम से भी पहचानते हैं .
पढ़ें: विश्व वन्यजीव दिवस: जयपुर के गोविंद बने बेजुबानों के मसीहा, जान जोखिम में डालकर करते रक्षा
विश्व आवारा पशु दिवस उद्देश्य : दुनियाभर में 4 अप्रैल विश्व आवारा पशु दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन विश्व स्तर पर लाखों आवारा जानवरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनकी मदद के लिए चर्चा होती है, साथ ही इनके लिए किए जा रहे कार्यों का जश्न मनाने का दिन है. राजस्थान भी उन प्रदेश में से एक है जहां आवारा पशुओं की संख्या बहुत ज्यादा है. ख़ास कर कुत्तों की, जिनको लेकर समाज में अच्छी धारणा भी नहीं है. ये दिन हमे याद दिलाता है कि हर व्यक्ति की तरह इन आवारा पशुओं के अपना जीवन जीने के अधिकार है. गली - मोहल्लों में आए दिन हम देखते हैं, इन आवारा कुत्तों पर कोई भी हमला कर देता है, पिछले दिनों बीकानेर में 6 कुत्तों के बच्चों को ज़िंदा जला दिया गया. ऐसे में ये दिन हमें बताता है कि हर व्यक्ति को इन आवारा पशुओं के प्रति दया - करुणा का भाव रखना चाहिए.
365 दिन इन बेजुबानों के लिए : गुलशन भाटिया जिनका दिल बेजुबानों के लिए हरदम धड़कता रहता है. साल के 365 दिन चाहे आंधी, तूफान, तेज बरसात और कड़ाके की सर्दी हो वह प्रतिदिन उनकी सेवा और भोजन देने के लिये तत्पर रहते हैं. गलियों में भटकने वाले आवारा कुत्तों को प्रतिदिन दूध-ब्रेड डिस्पोजल प्लेट में पूरे सम्मान के साथ खिलाते हुए रात को अक्सर राजापार्क और तिलक नगर की कई गलियों में नजर आ जाते हैं. अब हालात यह है कि उनकी स्कूटी की आवाज सुनते ही सभी स्ट्रीट डॉग्स इनके पास आ जाते है. भाटिया उन्हें दूध-ब्रेड के साथ उनकी सेहत का भी विशेष ध्यान रखते हैं. किसी डॉग के घाव होने या बीमार होने पर उसके इलाज की जिम्मेदारी भी गुलशन भाटिया निभाते हैं. गुलशन भाटिया बताते हैं कि उनकी इस मुहिम में उनकी पत्नी और बेटी भी भरपूर सहयोग करती है. वह भी मेरी गाड़ी के पीछे दूसरी कार में रहती है ताकि कोई कुत्ता मेरी नजर से बच कर भूखा नहीं रह जाए. गुलशन भाटिया ने आस पास के व्यापारियों की काउंसलिंग करके उन्हें भी इन बेजुबानों के प्रति दया भाव रखने के लिए प्रेरित कर चुके है. हालात यह है कि राजा पार्क की कमोबेस सभी दुकानों के बाहर इन अवारा कुत्तों के लिए कुछ खाने - पीने के बर्तन के साथ इनके बैठने के बिस्तर भी दिखाई देंगे. भाटिया चाहते हैं कि राजापार्क और आस-पास की हर गलियों में लोग अपने यहां के स्ट्रीट डॉग्स का पूरा ध्यान रखें. अभी हाल ही में भाटिया ने "एनीमल एंड बर्ड लवर" नाम से वॉट्सएप ग्रुप भी बनाया है, जिसमें कई लोग जुड़ गए हैं और वह भी गुलशन भाटिया के इस मुहिम में साथ दे रहे हैं.
पढ़ें: पैसे नहीं थे तब खाना पड़ा था फेंका समोसा, आज फूड मैन बनकर गरीबों का भर रहे पेट
500 डॉग्स की खाने की व्यवस्था : गुलशन का कहना है कि उन्हें इन स्ट्रीट डॉग्स को भोजन कराने के बाद वह स्वयं भोजन करते हैं और पिछले बीस वर्षों से वह ये सब कर रहे हैं. अभी हर दिन 500 से ज्यादा कुत्तों के खाने की व्यवस्था करते हैं. इसके लिए अपने खर्चे पर हर दिन 50 किलो दूध अलग से लेते हैं, इसके साथ दुकान में बनने वाला पनीर का पहला प्याला भी इन्हीं स्ट्रीट डॉग्स के लिए निकालते हैं. इन दिनों गर्मी के चलते उन्होंने कई जगह टाट की बोरियां रखवायी हैं, ताकि इन बेजुबानों को गर्मी से बचाया जा सके. भाटिया ने बताया कि उनके पापा से उन्हें इन बेजुबान की सेवा करने की प्रेरणा मिली है. भाटिया कहते हैं कि आज जो भी बरकत है वो सब इन इन बेजुबानों की सेवा से हो रही है, इन सबसे उन्हें सकून मिलता है. स्ट्रीट डॉग्स की सेवा को ही चुनने की पीछे गुलशन भाटिया ने बताया की गायों की सेवा तो सभी करते हैं, लेकिन डॉग्स की हर कोई नहीं करता जिस कारण यह भूखे प्यासे ही रहते थे. यही देखकर उनकी सेवा का रास्ता चुना और उन्हें खुशी है कि इसमें उन्हें अपने परिवारजनों और समाज का भरपूर सहयोग मिल रहा है. लावारिस कुत्तों की सेवा करते रहने की वजह से उन्हें कई लोग गुलशन को "डॉग मैन" भी कहते हैं.
इंसानियत का धर्म निभाना चाहिए: गुलशन भाटिया जयपुर के प्रसिद्ध राधे श्याम भाटिया पनीर टिक्का वाले के मालिक है. गुलशन कहते हैं नाम और पहचान तो ईश्वर की दी हुई है , लेकिन जब एक बार ईश्वर ने मनुष्य जीवन दिया है तो इससे कुछ सेवा भी करनी चाहिए. विश्व आवारा पशु दिवस के दिन मैं एक ही संदेश देना चाहूंगा कि भगवान ने हमें हर तरह से सक्षम बना का मनुष्य जीवन जीने के लिए दिया है. हर व्यक्ति को अपने मन में दया भाव रखना चाहिए और अपने आसपास स्ट्रीट डॉग्स या अन्य आवारा जानवर को जिनकी जितनी हो सके सेवा करनी चाहिए. ये सब बेजुबान है, बोल नहीं सकते हैं ,लेकिन भूख इन्हें भी लगती है, जख्म होता है तो दर्द इनको भी होता है. इसलिए इंसानियत का धर्म निभाना चाहिए. भाटिया कहते हैं स्ट्रीट डॉग्स के लिए समाज में गलत तरह की धारणा बनी हुई है, ये किसी को नहीं काटते है, इन्हे आप प्यार दीजिए बदले में आप को इनसे प्यार मिलेगा.