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Rajasthan: हमारे देश में धर्म अनेक, फिर भी सबका ध्येय एक : राज्यपाल

अजमेर पहुंचे राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े. महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती वर्ष कार्यक्रम में हुए शामिल.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

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महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती वर्ष कार्यक्रम (ETV BHARAT AJMER)

अजमेर : राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े शनिवार को अजमेर के दौरे पर रहे. यहां ऋषि उद्यान में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय ऋषि मेले शामिल हुए. साथ ही मौके पर समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने देश को रूढ़िवाद की जंजीरों से मुक्त कराया था. समाज सुधारक के रूप में महर्षि ने महिला शिक्षा का समर्थन और छुआछूत का विरोध किया था. महर्षि ने कहा था कि ईश्वर एक है और हम सब ईश्वर की संतान हैं. उनके सिद्धांत और जीवन आदर्श आज भी प्रासंगिक है.

उन्होंने कहा कि देश में कई धर्म हैं, जिनकी पूजा पद्धति अलग-अलग है. बावजूद इसके सबका ध्येय एक है और एक ही होना चाहिए और वो है भारत माता की जय. राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेज जब भारत आए तब उन्होंने लोगों को कपास से कपड़ा बनाते देखा. वो इसे देखकर दंग रह गए थे और उन्होंने माना कि भारत में लोग विद्वान है. उन्होंने कहा कि तक्षशिला विश्वविद्यालय को जलाए जाने के पीछे भारत की ज्ञान और संस्कृति को खत्म करना था, लेकिन उस दौरान विद्वानों ने अपने मस्तिष्क में रखें ज्ञान को पुनः लिखा.

राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े (ETV BHARAT AJMER)

इसे भी पढ़ें - बड़ा बयान : घनश्याम तिवाड़ी बोले- जनसंख्या असंतुलन बम से भी ज्यादा घातक और विस्फोटक

राज्यपाल ने कहा कि महर्षि के विचारों और उनके कार्यों को आगे बढ़ाना ही सही मायने में उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देना है. महर्षि दयानंद सरस्वती की राजस्थान कर्मभूमि रही है. भारतीय राष्ट्रवाद की पुनर्स्थापना के साथ स्वाधीनता का आंदोलन महर्षि ने शुरू किया था. वे सुराज से स्वराज को बेहतर मानते थे. महर्षि ने अपने आचरण से सत्याग्रह का मार्ग दिखाया. भेदभाव, ऊंच-नीच और छुआछूत के विरुद्ध अभियान चलाया. महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया. वो युगपुरुष थे. वहीं, राज्यपाल ने ऋषि उद्यान में बने गौशाला और महर्षि दयानंद सरस्वती संग्रहालय का अवलोकन भी लिया.

अजमेर : राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े शनिवार को अजमेर के दौरे पर रहे. यहां ऋषि उद्यान में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय ऋषि मेले शामिल हुए. साथ ही मौके पर समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने देश को रूढ़िवाद की जंजीरों से मुक्त कराया था. समाज सुधारक के रूप में महर्षि ने महिला शिक्षा का समर्थन और छुआछूत का विरोध किया था. महर्षि ने कहा था कि ईश्वर एक है और हम सब ईश्वर की संतान हैं. उनके सिद्धांत और जीवन आदर्श आज भी प्रासंगिक है.

उन्होंने कहा कि देश में कई धर्म हैं, जिनकी पूजा पद्धति अलग-अलग है. बावजूद इसके सबका ध्येय एक है और एक ही होना चाहिए और वो है भारत माता की जय. राज्यपाल ने कहा कि अंग्रेज जब भारत आए तब उन्होंने लोगों को कपास से कपड़ा बनाते देखा. वो इसे देखकर दंग रह गए थे और उन्होंने माना कि भारत में लोग विद्वान है. उन्होंने कहा कि तक्षशिला विश्वविद्यालय को जलाए जाने के पीछे भारत की ज्ञान और संस्कृति को खत्म करना था, लेकिन उस दौरान विद्वानों ने अपने मस्तिष्क में रखें ज्ञान को पुनः लिखा.

राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े (ETV BHARAT AJMER)

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राज्यपाल ने कहा कि महर्षि के विचारों और उनके कार्यों को आगे बढ़ाना ही सही मायने में उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देना है. महर्षि दयानंद सरस्वती की राजस्थान कर्मभूमि रही है. भारतीय राष्ट्रवाद की पुनर्स्थापना के साथ स्वाधीनता का आंदोलन महर्षि ने शुरू किया था. वे सुराज से स्वराज को बेहतर मानते थे. महर्षि ने अपने आचरण से सत्याग्रह का मार्ग दिखाया. भेदभाव, ऊंच-नीच और छुआछूत के विरुद्ध अभियान चलाया. महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया. वो युगपुरुष थे. वहीं, राज्यपाल ने ऋषि उद्यान में बने गौशाला और महर्षि दयानंद सरस्वती संग्रहालय का अवलोकन भी लिया.

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