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हाईकोर्ट ने कहा- सरकारी कर्मचारियों के तबादले का शासनादेश विद्युत वितरण निगम कर्मचारियों पर लागू नहीं - ALLAHABAD HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थानांतरण के खिलाफ विशेष अपील खारिज कर दी. कहा सरकारी कर्मचारियों के तबादले का शासनादेश विद्युत वितरण निगम कर्मचारियों पर लागू नहीं.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 28, 2024, 10:30 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थानांतरण के खिलाफ बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता की विशेष अपील को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों तबादले के लिए जारी शासनादेश विद्युत वितरण निगम कंपनी के कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एक कंपनी है. इस कारण सरकारी शासनादेश के प्रावधान का कंपनी के कर्मचारियों को लाभ नहीं मिल सकता.

यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने राहुल कुमार की अपील को खारिज करते हुए दिया है. एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध दाखिल अपील में कहा गया था कि दो लोगों का स्थानांतरण इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन सर्किल महाराजगंज में कर दिया गया है जबकि वहां अधिशासी अधिकारी का एक ही पद है. कोर्ट में यह भी बहस की गई थी कि शासनादेश से जारी स्थानांतरण नीति में कहा गया है कि यूनियन के पदाधिकारी का ट्रांसफर तैनाती स्थल से दो वर्ष के अंदर नहीं किया जा सकता है.

अपीलार्थी का वाराणसी से महाराजगंज स्थानांतरण किया गया था. इसे चुनौती देने वाली याचिका एकल पीठ ने खारिज कर दी थी. उसके बाद यह अपील दाखिल की गई. अपील में कहा गया कि दो व्यक्तियों को एक ही सर्कल में स्थानांतरित किया गया है, जो महाराजगंज का विद्युत वितरण सर्कल है और दोनों ही कार्यकारी अधिकारी हैं, जबकि महाराजगंज के विद्युत वितरण सर्कल में केवल एक ही कार्यकारी अधिकारी का पद है.

इस पहलू पर एकल पीठ ने विचार नहीं किया. यह भी कहा गया कि अपीलार्थी संघ का पदाधिकारी है और स्थानांतरण नीति के अनुसार ऐसे व्यक्ति को दो साल की अवधि समाप्त होने से पहले स्थानांतरण से नहीं हटाया जाना चाहिए. इसके लिए पेपर बुक के पेज 108 का उल्लेख किया है, जिसमें एक आदेश है जिसमें गोपीगंज में कार्यरत व्यक्ति के सोनभद्र में स्थानांतरण को उक्त नीति के कारण संशोधित किया गया था. उसे भदोही के विद्युत वितरण प्रभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था, जो उसी जिले में है.

कोर्ट ने कहा कि शासनादेश का लाभ अपीलार्थी को नहीं मिल सकता क्योंकि उसकी नौकरी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की है, जो एक कंपनी है. कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ ने अपीलार्थी की याचिका खारिज करते हुए जो आधार लिया है, वह सही है. उसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है.

ये भी पढ़ें- संभल जामा मस्जिद समिति सर्वेक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची, CJI की बेंच कल करेगी मामले की सुनवाई

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्थानांतरण के खिलाफ बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता की विशेष अपील को खारिज करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों तबादले के लिए जारी शासनादेश विद्युत वितरण निगम कंपनी के कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एक कंपनी है. इस कारण सरकारी शासनादेश के प्रावधान का कंपनी के कर्मचारियों को लाभ नहीं मिल सकता.

यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने राहुल कुमार की अपील को खारिज करते हुए दिया है. एकल पीठ के आदेश के विरुद्ध दाखिल अपील में कहा गया था कि दो लोगों का स्थानांतरण इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन सर्किल महाराजगंज में कर दिया गया है जबकि वहां अधिशासी अधिकारी का एक ही पद है. कोर्ट में यह भी बहस की गई थी कि शासनादेश से जारी स्थानांतरण नीति में कहा गया है कि यूनियन के पदाधिकारी का ट्रांसफर तैनाती स्थल से दो वर्ष के अंदर नहीं किया जा सकता है.

अपीलार्थी का वाराणसी से महाराजगंज स्थानांतरण किया गया था. इसे चुनौती देने वाली याचिका एकल पीठ ने खारिज कर दी थी. उसके बाद यह अपील दाखिल की गई. अपील में कहा गया कि दो व्यक्तियों को एक ही सर्कल में स्थानांतरित किया गया है, जो महाराजगंज का विद्युत वितरण सर्कल है और दोनों ही कार्यकारी अधिकारी हैं, जबकि महाराजगंज के विद्युत वितरण सर्कल में केवल एक ही कार्यकारी अधिकारी का पद है.

इस पहलू पर एकल पीठ ने विचार नहीं किया. यह भी कहा गया कि अपीलार्थी संघ का पदाधिकारी है और स्थानांतरण नीति के अनुसार ऐसे व्यक्ति को दो साल की अवधि समाप्त होने से पहले स्थानांतरण से नहीं हटाया जाना चाहिए. इसके लिए पेपर बुक के पेज 108 का उल्लेख किया है, जिसमें एक आदेश है जिसमें गोपीगंज में कार्यरत व्यक्ति के सोनभद्र में स्थानांतरण को उक्त नीति के कारण संशोधित किया गया था. उसे भदोही के विद्युत वितरण प्रभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था, जो उसी जिले में है.

कोर्ट ने कहा कि शासनादेश का लाभ अपीलार्थी को नहीं मिल सकता क्योंकि उसकी नौकरी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की है, जो एक कंपनी है. कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ ने अपीलार्थी की याचिका खारिज करते हुए जो आधार लिया है, वह सही है. उसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है.

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