सहरसा: बिहार के सहरसा में कोसी नदी के तेज धार की तस्वीर अपने जरूर देखी होगी. वह खौफनाक मंजर जहां दर्जनों के दर्जन घर कोसी नदी में समा रहे हैं. वहीं बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. इस बीच सबसे मुश्किल परिस्थितियों में शिक्षक फस गए हैं. तटबंध के अंदर स्थित सरकारी स्कूलों तक पहुंचने के लिए शिक्षकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वो अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को ज्ञान देने का काम कर रहे हैं.
शिक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल: सहरसा जिले से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे. यह तस्वीर शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर रही हैं. शिक्षक अपनी जान को जोखिम में डालकर स्कूल तक पहुंचते हैं, महिला शिक्षिका हो या पुरुष शिक्षक सभी इसी तरह कमर भर पानी में तैर कर स्कूल जाते हैं. इस बीच कैमरे के सामने शिक्षकों का दर्द निकल आया शिक्षकों ने कहा कि कैसे वो लोग जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं, अगर शिक्षा विभाग इस इलाके के लिए कोई व्यवस्था करती तो आज यह नौबत नहीं आती.
कमर तक पानी में तैर रहे शिक्षक: यह तस्वीर सहरसा जिले के नौहट्टा प्रखंड के तटबंध के अंदर स्थित रामपुर छतवन की है. जहां उत्क्रमित मध्य विद्यालय रामपुर छतवन में अपनी ड्यूटी देने जा रहे शिक्षक कमर से ऊपर तक पानी में तैर कर स्कूल तक पहुंच रहे हैं. इस दौरान उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षकों की माने तो कई बार इसकी शिकायत की गई, इसके बारे में जानकारी विभाग को दी गई लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
छलका शिक्षकों का दर्द: वहीं विद्यालय के शिक्षक रमेश कुमार, विजय कुमार, संतोष कुमार शाह समेत अन्य शिक्षकों को हर रोज गंदे पानी में तैर कर स्कूल जाना पड़ता है. शिक्षकों का कहना है कि विभाग को ऐसी परिस्थितियों में उन लोगों के लिए सुविधा देनी चाहिए. वो लोग जान जोखिम में डालकर कैसे स्कूल पहुंचेंगे इसके लिए शिक्षा विभाग को सोचना चाहिए.
"विभाग को ऐसी परिस्थितियों में हम लोगों के लिए सुविधा देनी चाहिए, कैसे हम लोग स्कूल पहुंचेंगे, जान जोखिम में डालकर हम लोग स्कूल तक जाते हैं. काफी डर बना रहता है. कमर से ऊपर तक पानी बहता रहता है और इसी पानी में तैर कर हम लोग स्कूल तक पहुंचते हैं."- रमेश कुमार, शिक्षक