गोरखपुर : पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) भारतीय इतिहास और आजादी के आंदोलन से जुड़े हुए तथ्यों को लोगों के बीच लाने का बड़ा माध्यम बनने जा रहा है. लोग अभी तक तमाम तरह की ऐतिहासिक तथ्यों से अछूते हैं. 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 108वीं जयंती पर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) दिल्ली के द्वारा दिल्ली के बाहर देश में पहली बार आयोजित होने जा रहे हैं.
इस आयोजन के माध्यम से वर्ष 1757 से लेकर आजादी मिलने तक देश में क्रांति की ज्वाला में कूदने वाले, ऐसे रणबान्कुरों भी यहां पहचान और वीरगति देखने और जानने को मिलेगी. जिनकी पहचान अभी तक छुपी हुई है. यही नहीं ऐसे वीर जिनकी उम्र अधिकतम 20 वर्ष थी और वह भी अंग्रेजों की गोलियों के शिकार हुए थे, जिन्हें आज तक कोई नहीं जानता वह भी इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में लगाई जाने वाली इतिहास एवं संकलन परिषद की चित्र और अभिलेखीय प्रदर्शनी में प्रस्तुत किए जाएंगे. यह जानकारी सोमवार को मीडिया को विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन और भारतीय इतिहास संकलन परिषद के सदस्य प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी ने देते हुए बताया कि यह आयोजन इतिहास के ऐसे पन्नों को लोगों के सामने प्रस्तुत करने का कार्य करेगा जो लोगों की सोच में बड़ा बदलाव लाने में सहायक होगा.
आयोजन में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष, पद्मश्री राघवेंद्र तंवर भी शिरकत करेंगे. आयोजन के विशेष वक्ता के रूप में डॉ. केके मोहम्मद शामिल होंगे. डॉ. केके मोहम्मद ने आर्कियोलॉजी ऑफ रामायण और महाभारत पर विशेष कार्य किया है. यह सन 1972 से लेकर राम मंदिर निर्माण तक इसकी खुदाई और पुरातत्व प्रमाणिकता पर भी महत्वपूर्ण सुझाव और प्रमाण, राम मंदिर मसले को सुलझाने में अपनी भूमिका निभाई हैं. इसके अलावा हिमाचल दिल्ली गैंग कुरुक्षेत्र छपरा और आइजोल से भी तमाम इतिहास के विद्वान शामिल हो रहे हैं.
सबसे खास बात इस आयोजन की यह है कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद अपने सभी क्रियाकलापों, प्रदर्शनियों को दिल्ली तक ही सीमित रखता था, लेकिन पहली बार देश के अगर किसी हिस्से में वह इतिहास से जुड़ी हुई तमाम जानकारियां को लोगों तक पहुंचाने के लिए बाहर निकाला है तो उसका केंद्र गोरखपुर और विश्वविद्यालय दीनदयाल उपाध्याय बना है. इतिहास में बदलाव और नई जानकारी के संबंध में प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि यह पाठ्यक्रम का हिस्सा बने इस पर भी इतिहास अनुसंधान परिषद कार्य कर रहा है और सरकार तक अपनी बातें पहुंचने में लगा है.