ETV Bharat / state

यूपी में नदियों को प्रदूषण से बचाने का बन रहा प्लान; सीएम योगी ने की घोषणा - CM YOGI PLAN

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जल की शुद्धता से खेती-किसानी के साथ-साथ पशुओं को भी लाभ होगा. किसी जीव के लिए नुकसानदायक नहीं होगी.

Etv Bharat
गोरखपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ. (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 3, 2025, 3:18 PM IST

गोरखपुर: प्राकृतिक विधि से प्रदूषित जल के शोधन की प्रक्रिया का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर में उद्घाटन किया. इस प्रक्रिया के तहत शहर के 15 बड़े मोहल्लों का जो नालों से निकलते हुए गंदा पानी राप्ती नदी में गिरता था, अब वह शोधित होकर नदी में जाएगा. इस जल की मात्रा प्रतिदिन 200 एमएलडी है जो नदी में गिरता है. लेकिन, अब इसको "फाइटो रिमेडियेशन" पद्धति से शुद्ध करते हुए नदी तक पहुंचा जा रहा है.

इससे जल की शुद्धता खेती-किसानी के साथ-साथ पशुओं और किसी भी जीव के लिए नुकसानदायक नहीं होगी. यही वजह है कि जल के प्रदूषण के इस प्राकृतिक उपाय को लोकार्पित करने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूर्वांचल की जनता ने प्रदूषित जल से वर्ष 1977 से लेकर 2017 तक के 50 वर्षों में करीब 50 हजार से अधिक बच्चों को जान गंवाते देखा है.

इंस्फलाइटिस के नाम पर और अन्य वेक्टर बांड डिजीज के नाम पर बीमारियों के कारण होने वाली मौत का कारण प्रदूषित जल और गंदगी ही थी. ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि नदियों को प्रदूषण से तो मुक्त करने के लिए जुटे हीं, साथ ही यह प्रयास भी हो कि धरती के अंदर का जल प्रदूषित न होने पाए. इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इतने अधिक प्रदूषित जल के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लगाने पर जहां 72 करोड़ रुपए खर्च होते, वह इस प्राकृतिक विधि को अपनाने पर मात्र तीन करोड़ रुपए खर्च आया है. यह भी बड़ी उपलब्धि है और इसके लिए योजना बनाने और उस पर काम करते हुए उसे धरातल पर उतारकर, उसकी उपयोगिता सिद्ध करने के लिए गोरखपुर नगर निगम की टीम बधाई की पात्र है.

सीएम ने कहा, हम सब आभारी हैं प्रधानमंत्री मोदी जी के, जिनकी प्रेरणा से स्वच्छ भारत मिशन पूरे देश के अंदर लागू हुआ. हर व्यक्ति को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करनी है. इसके लिए भी शहरी क्षेत्र में अमृत मिशन और ग्रामीण क्षेत्र में जल जीवन मिशन प्रारंभ हुआ. इसके साथ ही अगर हमने नदियों पर ध्यान दिया, तालाब और पोखरों पर ध्यान दिया तो जल प्रदूषण को रोका जा सकता है.

नमामि गंगे परियोजना के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने नदी संस्कृति को बचाने की जो पहल प्रारंभ की है, उसका परिणाम है कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आध्यात्मिक समागम, उत्तर प्रदेश की धरती में मां गंगा और यमुना सरस्वती की त्रिवेणी में प्रयागराज की धरती पर 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच में होने जा रहा है.

योगी ने कहा, हमारी पूरी सभ्यता संस्कृति किसी न किसी नदी के तट पर बसी है. गोरखपुर, राप्ती नदी और रोहित नदी के तट पर बसा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश का बड़ा महानगर आज गोरखपुर हो गया है. उसकी सेहत के बारे में और राप्ती नदी को साफ रखने लिए पहले गोरखपुर नगर निगम ने 110 करोड़ रुपए की लागत से एसटीपी लगाने की प्लानिंग करनी थी. लेकिन, आज प्राकृतिक विधि से यह मात्र तीन करोड़ में ही संभव हो गया है.

इसके तहत प्राकृतिक पौधे लगाए गए हैं. सिटी के गिर रहे ड्रेनेज के पानी का BOD (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) लेवल 342 से लेकर 350 तक है. यानी यह पानी जहर से भी ज्यादा खतरनाक है. खेत में सिंचाई के लायक भी नहीं होगा. मोटा बालू और गिट्टी से इस पानी को आगे ले जाने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया तो नदी में आज शुद्ध पानी गिर रहा है.

ऑक्सीजन की मात्रा जो तत्वों की जानकारी ली गई थी कि वह अब शुद्ध स्थिति में है. अब इसका BOD लेवल 15 से 17 के बीच में वह आ गया. मतलब अब आप उसकी सिंचाई कर सकते हैं. सब्जी उत्पादन और अन्य उत्पादन में उसका उपयोग कर सकते हैं. जिस प्राकृतिक पद्धति को अपनाया गया है. उसका नाम फाइटो रेमेडिएशन तकनीक रखा गया, जिसमें एक बार में पैसा जो लगा है एक बार लग गया. बार-बार में पैसा नहीं लगना है और बिजली का खर्चा भी नहीं है.

वहीं इसके पहले सीएम योगी ने शुक्रवार को ट्रांसपोर्ट नगर में नगर निगम द्वारा 2 करोड़ 17 लाख रुपए की लागत से बनाए गए नवीन आश्रय गृह (रैन बसेरा) का लोकार्पण किया. इसके बाद गरीबों-असहायों के बीच कंबल व भोजन पैकेट भी वितरित किए. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि भीषण शीतलहर में आश्रयविहीन को आश्रय मिल जाए, यह सबसे बड़ा पुण्य है. ट्रांसपोर्ट नगर के रैन बसेरे से पहले शहर में कई आश्रय गृह पहले से संचालित हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशभर में जरूरतमंद लोगों को भीषण ठंड से बचाने के लिए राजस्व विभाग के माध्यम से सभी जिलों को कंबल वितरण के लिए पर्याप्त धनराशि जारी की गई है. हर जिले में जनप्रतिनिधियों के सहयोग से पर्याप्त संख्य में कंबल वितरण हो रहे हैं. इसमें धर्मार्थ संस्थाएं भी आगे आई हैं.

यह सबकी जिम्मेदारी होती है कि हम हर जरूरतमंद व्यक्ति की विपत्ति में उसके साथ खड़े रहें. सीएम योगी ने कहा कि कुछ दिन तक शीतलहर का यह दौर जारी रह सकता है. ऐसे में हमें स्वस्थ जीवन के लिए सबको सावधानी और बचाव के उपायों के प्रति लोगों को प्रेरित करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ेंः यूपी BJP को जल्द मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष; पीयूष गोयल को दी गई जिम्मेदारी, जानिए रेस में कौन-कौन

गोरखपुर: प्राकृतिक विधि से प्रदूषित जल के शोधन की प्रक्रिया का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर में उद्घाटन किया. इस प्रक्रिया के तहत शहर के 15 बड़े मोहल्लों का जो नालों से निकलते हुए गंदा पानी राप्ती नदी में गिरता था, अब वह शोधित होकर नदी में जाएगा. इस जल की मात्रा प्रतिदिन 200 एमएलडी है जो नदी में गिरता है. लेकिन, अब इसको "फाइटो रिमेडियेशन" पद्धति से शुद्ध करते हुए नदी तक पहुंचा जा रहा है.

इससे जल की शुद्धता खेती-किसानी के साथ-साथ पशुओं और किसी भी जीव के लिए नुकसानदायक नहीं होगी. यही वजह है कि जल के प्रदूषण के इस प्राकृतिक उपाय को लोकार्पित करने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूर्वांचल की जनता ने प्रदूषित जल से वर्ष 1977 से लेकर 2017 तक के 50 वर्षों में करीब 50 हजार से अधिक बच्चों को जान गंवाते देखा है.

इंस्फलाइटिस के नाम पर और अन्य वेक्टर बांड डिजीज के नाम पर बीमारियों के कारण होने वाली मौत का कारण प्रदूषित जल और गंदगी ही थी. ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि नदियों को प्रदूषण से तो मुक्त करने के लिए जुटे हीं, साथ ही यह प्रयास भी हो कि धरती के अंदर का जल प्रदूषित न होने पाए. इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इतने अधिक प्रदूषित जल के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को लगाने पर जहां 72 करोड़ रुपए खर्च होते, वह इस प्राकृतिक विधि को अपनाने पर मात्र तीन करोड़ रुपए खर्च आया है. यह भी बड़ी उपलब्धि है और इसके लिए योजना बनाने और उस पर काम करते हुए उसे धरातल पर उतारकर, उसकी उपयोगिता सिद्ध करने के लिए गोरखपुर नगर निगम की टीम बधाई की पात्र है.

सीएम ने कहा, हम सब आभारी हैं प्रधानमंत्री मोदी जी के, जिनकी प्रेरणा से स्वच्छ भारत मिशन पूरे देश के अंदर लागू हुआ. हर व्यक्ति को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करनी है. इसके लिए भी शहरी क्षेत्र में अमृत मिशन और ग्रामीण क्षेत्र में जल जीवन मिशन प्रारंभ हुआ. इसके साथ ही अगर हमने नदियों पर ध्यान दिया, तालाब और पोखरों पर ध्यान दिया तो जल प्रदूषण को रोका जा सकता है.

नमामि गंगे परियोजना के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने नदी संस्कृति को बचाने की जो पहल प्रारंभ की है, उसका परिणाम है कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आध्यात्मिक समागम, उत्तर प्रदेश की धरती में मां गंगा और यमुना सरस्वती की त्रिवेणी में प्रयागराज की धरती पर 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच में होने जा रहा है.

योगी ने कहा, हमारी पूरी सभ्यता संस्कृति किसी न किसी नदी के तट पर बसी है. गोरखपुर, राप्ती नदी और रोहित नदी के तट पर बसा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश का बड़ा महानगर आज गोरखपुर हो गया है. उसकी सेहत के बारे में और राप्ती नदी को साफ रखने लिए पहले गोरखपुर नगर निगम ने 110 करोड़ रुपए की लागत से एसटीपी लगाने की प्लानिंग करनी थी. लेकिन, आज प्राकृतिक विधि से यह मात्र तीन करोड़ में ही संभव हो गया है.

इसके तहत प्राकृतिक पौधे लगाए गए हैं. सिटी के गिर रहे ड्रेनेज के पानी का BOD (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) लेवल 342 से लेकर 350 तक है. यानी यह पानी जहर से भी ज्यादा खतरनाक है. खेत में सिंचाई के लायक भी नहीं होगा. मोटा बालू और गिट्टी से इस पानी को आगे ले जाने की कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया तो नदी में आज शुद्ध पानी गिर रहा है.

ऑक्सीजन की मात्रा जो तत्वों की जानकारी ली गई थी कि वह अब शुद्ध स्थिति में है. अब इसका BOD लेवल 15 से 17 के बीच में वह आ गया. मतलब अब आप उसकी सिंचाई कर सकते हैं. सब्जी उत्पादन और अन्य उत्पादन में उसका उपयोग कर सकते हैं. जिस प्राकृतिक पद्धति को अपनाया गया है. उसका नाम फाइटो रेमेडिएशन तकनीक रखा गया, जिसमें एक बार में पैसा जो लगा है एक बार लग गया. बार-बार में पैसा नहीं लगना है और बिजली का खर्चा भी नहीं है.

वहीं इसके पहले सीएम योगी ने शुक्रवार को ट्रांसपोर्ट नगर में नगर निगम द्वारा 2 करोड़ 17 लाख रुपए की लागत से बनाए गए नवीन आश्रय गृह (रैन बसेरा) का लोकार्पण किया. इसके बाद गरीबों-असहायों के बीच कंबल व भोजन पैकेट भी वितरित किए. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि भीषण शीतलहर में आश्रयविहीन को आश्रय मिल जाए, यह सबसे बड़ा पुण्य है. ट्रांसपोर्ट नगर के रैन बसेरे से पहले शहर में कई आश्रय गृह पहले से संचालित हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशभर में जरूरतमंद लोगों को भीषण ठंड से बचाने के लिए राजस्व विभाग के माध्यम से सभी जिलों को कंबल वितरण के लिए पर्याप्त धनराशि जारी की गई है. हर जिले में जनप्रतिनिधियों के सहयोग से पर्याप्त संख्य में कंबल वितरण हो रहे हैं. इसमें धर्मार्थ संस्थाएं भी आगे आई हैं.

यह सबकी जिम्मेदारी होती है कि हम हर जरूरतमंद व्यक्ति की विपत्ति में उसके साथ खड़े रहें. सीएम योगी ने कहा कि कुछ दिन तक शीतलहर का यह दौर जारी रह सकता है. ऐसे में हमें स्वस्थ जीवन के लिए सबको सावधानी और बचाव के उपायों के प्रति लोगों को प्रेरित करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ेंः यूपी BJP को जल्द मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष; पीयूष गोयल को दी गई जिम्मेदारी, जानिए रेस में कौन-कौन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.