गोरखपुर: गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी की (गीडा) अपने औद्योगिक क्षेत्र में अब लोगों के लिए आवासीय योजना (Gorakhpur Plot) भी लेकर आ रहा है. कालेसर फोरलेन चौक से नेपाल को जाने वाली फोर लेन सड़क के किनारे इस योजना को लांच किया जाना है. गीडा के द्वारा काफी लंबे समय बाद ऐसी योजना लांच की जानी है जिसके पीछे यह भी उद्देश्य है कि यहां के उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारियों को स्थानीय और पास में आवास की सुविधा मिल सके उन्हें शहर न भागना पड़े.
कितना क्षेत्रफल होगाः करीब 120 एकड़ क्षेत्र में यह योजना विकसित होगी. इस टाउनशिप पर 650 करोड़ खर्च का बजट प्रस्तावित है. इसमें लगभग 400 भूखंड होंगे. प्लॉट साइज की बात करें तो यह 90 वर्ग मीटर से लेकर 120,150,250,300 वर्ग मीटर के होंगे. इहालांकि इसे लेकर अभी गीडा ने कीमत नहीं घोषित की है. प्लॉटों का आवंटन ई लाटरी के आधार पर ही आवंटन होगा. कीमत भी दो से तीन हजार वर्ग फीट के बीच हो सकती है.
सीईओ ने दी यह जानकारीः गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी अनुज मलिक ने कहा है कि, कालेसर में स्थापित होने जा रही गीडा की आवासीय योजना को रेरा से पंजीकरण नंबर मिल गया है। नवरात्र में इस योजना में भूखंडों के आवंटन के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे. ई लाटरी के आधार पर भूखंडों का आवंटन किया जाएगा. लंबे समय बाद गीडा की ओर से कोई आवासीय योजना लॉन्च की जा रही है.
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फ्लैट भी बनाए जाएंगेः उन्होंने बताया कि भूखंडों के साथ ही गीडा की ओर से ईडब्ल्यूएस और एलआईसी फ्लैट भी बनाए जाएंगे. जिससे कम आय वर्ग के लोगों को भी आसानी से आवास उपलब्ध हो सके. नवरात्र के पावन अवसर पर इस आवासीय योजना के लिए भूखंडों के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे जो लोगों के लिए शुभ घड़ी के साथ अपने आवास के सपने के पूरा होने का भी सौभाग्य लेकर आएगा. इसकी शुरुआत भी सीएम के हाथों विजयदशमी से पहले संभव है.
बड़ी संख्या में लोगों को राहत मिलेगीः उन्होंने बताया की इस आवासीय और भूखंड से जुड़ी योजना के लांच हो जाने से, गीडा में संचालित उद्योगों में काम करने लोगों को भविष्य में स्थानीय स्तर पर आवास की सुविधा मिल सकेगी. अभी लोग शहर की तरफ करीब 20 से 22 किलोमीटर की दूरी तय करके रहने के लिये जाते हैं जिसमें कमी आयेगी. यह योजना नेपाल को कनेक्ट करने वाली सड़क पर है जिससे यह निवास और इन्वेस्ट का प्रिय स्थान बन सकता है. गोरखपुर-लखनऊ, गोरखपुर-नेपाल और गोरखपुर-बिहार तीनों रूट इससे कनेक्ट होते हैं, जिससे 120 एकड़ की इस परियोजना में लोगों का इंट्रेस्ट बना हुआ है. आवेदन पत्र की बिक्री से इसकी महत्ता का और पता चल जाएगा.
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