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बेटी बचाओ अभियान को लगे पंख, बीकानेर में लिंगानुपात में हुई बढ़ोतरी

बीकानेर जिले के लिंगानुपात में 14 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. मिशन शक्ति के सुखद परिणाम के रूप में ये बीकानेर प्रशासन की पहल के रूप में हैं. सुपोषण के लिए बेटी जन्म पर अब तक एक लाख से अधिक सहजन फली के पौधे वितरित किए जा चुके हैं. आई एम शक्ति कॉर्नर और शक्ति वॉल के जरिए बेटी बचाओ अभियान के प्रोत्साहन के रूप में यह एक सुखद खबर है.

Increase in sex ratio in Bikaner
बीकानेर में लिंगानुपात में हुई बढ़ोतरी
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 25, 2024, 9:21 AM IST

बीकानेर. बेटी बचाओ अभियान से जुड़ी एक सुखद खबर आई है. बीकानेर जिले में लिंगानुपात में 14 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. मिशन शक्ति के सुखद परिणाम के रूप में ये बीकानेर प्रशासन की भी सफलता है. सकारात्मक वातावरण बनाने में मिली मदद से वर्ष 2023-24 में जिले का लिंगानुपात बढ़कर 957 हो गया है. वर्ष 2022-23 की तुलना में इसमें 14 अंकों की बढ़ोतरी होना, घटते लिंगानुपात की चिंताओं के बीच सुखद परिणाम है. इन आंकड़ों के माध्यम से अब शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और एनीमिया मुक्त बीकाणा बनाने की दिशा में चलाए गए मिशन शक्ति के अब दूरगामी सकारात्मक परिणाम स्पष्टत: दिखने लगे हैं.

जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद की पहल पर प्रारम्भ किए गए शक्ति प्रोजेक्ट से न केवल बेटियों के स्वास्थ्य सूचकांकों में सकारात्मक बदलाव हुए हैं, बल्कि बेटियों के जन्म को एक उत्सव के रूप में मनाने, उनके शिक्षा स्वास्थ्य के साथ-साथ गत दो वर्षों से लिंगानुपात में हो रही गिरावट को रोकने और इसमें बढ़ोतरी की दिशा में अहम मदद मिल सकी है.

कम हुई लिंगानुपात के घटने की दर : इस अभियान से वर्ष 2022-23 में जहां लिंगानुपात के घटने की दर कम हुई. वहीं, वर्ष 2023-24 में इसमें 14 अंकों के उछाल के साथ बढ़ोतरी दर्ज की गई है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-20 में जिले में 1000 लड़कों के अनुपात में 976 लड़कियों का जन्म हुआ. वर्ष 2020-21 में यह घटकर 971 हो गया. वर्ष 2021-22 के दौरान लिंगानुपात में बड़ी गिरावट आई और जिले का लिंगानुपात मात्र 953 ही रह गया. जिला कलेक्टर की ओर से वर्ष 2022 में प्रारंभ किए गए शक्ति कार्यक्रम का उद्देश्य एनीमिया मुक्त बीकानेर के साथ-साथ मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करना और समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक माहौल का निर्माण करना है. इस अभियान में जिले के विभिन्न गांवों के राजकीय स्कूलों में ‘आई एम शक्ति कॉर्नर’ एवं ‘आई एम शक्ति वॉल’ बनाए गए और राजनीति, खेल, संगीत, शिक्षा, समाज सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाओं की जीवनी अंकित की गई.

इसे भी पढ़ें- शिक्षा निदेशालय के आदेश, 30 जनवरी तक हर हाल में हो छात्राओं को साइकिलों का वितरण

पहला 'आईएम शक्ति कॉर्नर' राजकीय गंगा उच्च माध्यमिक विद्यालय में बनाया गया है. इसमें मदर टेरेसा, अरुणिमा सिन्हा, कल्पना चावला, इंदिरा गांधी, सिंधु ताई सपकाल, गुंजन सक्सेना, इंदिरा नुई, पी.वी. सिंधु, अवनि लेखरा, मेरीकॉम, लता मंगेशकर जैसी महिलाओं की जीवनी अंकित करवाई गई है. 'बुक कॉर्नर' में प्रेरणादायी पुस्तकें रखी गई हैं और बैठने-पढ़ने के लिए बेहतर माहौल तैयार किया गया है. कांउंसलिंग के लिए 'काउंसलिंग कॉर्नर' और माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरुकता के लिए ‘हाइजिन कॉर्नर’ भी बनाया गया है. अन्य स्कूलों में ‘आईएम शक्ति वॉल’ बनाए गए हैं. इनके माध्यम से न केवल बेटियों का आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि अभिभावकों में भी बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन देने उनके स्वास्थ्य व शिक्षा पर विशेष ध्यान देने जैसे बदलाव देखने को मिले हैं.

बेटी के जन्म पर दिया सहजन फली का पौधा : सुपोषण के लिए बेटी जन्म पर अब तक एक लाख से अधिक सहजन फली के पौधे वितरित किए गए हैं. जिला कलेक्टर ने बताया कि जिले में घटते लिंगानुपात के साथ-साथ बेटियों को कुपोषण का शिकार होने से बचाना भी उनके सर्वांगीण विकास की सबसे बड़ी बाधा दिखाई दी. ऐसे में कन्याजन्म को प्रोत्साहित करने के साथ उनके सुपोषण के उद्देश्य से बेटी जन्म उत्सव पर सहजन फली का पौधा वितरित किया गया. जिले के विभिन्न ब्लॉक में अब तक एक लाख से अधिक सहजन फली के पौधे वितरित किए जा चुके हैं. जिला कलेक्टर ने बताया कि ड्रमस्टिक या सहजन फली का पौधा सुपर फूड के रूप में प्रचलित है. इस पौधे में एंटी आक्सीडेंट्स, विटामिन सी, बीटा कैरोटीन सहित रिच न्यूट्रिशंस वैल्यू के संबंध में जानकारी को आंगनबाडी केंद्रों के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाने का कार्य भी किया गया है. इसका परिणाम भी एनीमिया मुक्ति के साथ-साथ लिंगानुपात बढ़ोतरी के रूप में नजर आ रहा है.

इसे भी पढ़ें- बेटी बचाओ अभियान में राजस्थान अब भी टॉप पर...झुंझुंनूं दूसरे स्थान पर फिसला

ढाई लाख बालिकाएं हुई एनीमिया मुक्त : इस मिशन में मिशन अगेंस्ट एनीमिया घटक के तहत गत दो वर्षों में ढाई लाख महिलाओं को एनीमिया मुक्त बनाया गया. वर्ष 2022 में प्रारम्भ किए गए इस अभियान के तहत पहले वर्ष में एक लाख 3 हजार 960 बालिकाएं मॉडरेट श्रेणी में चिह्नित की गई थी और 631 बालिकाओं में सीवियर एनीमिया पाया गया था. नियमित मॉनिटरिंग कर इन बालिकाओं को विशेष उपचार दिया गया, जिसके बाद तकरीबन सभी बालिकाओं को 11 से अधिक हीमोग्लोबिन श्रेणी में लाया जा सका. इन बालिकाओं को विशेष उपचार के रूप में आयरन सुक्रोज व फेरिक कार्बॉक्सी माल्टोस दवा दी गई.

दिखे सकारात्मक परिणाम : अभियान के दूसरे वर्ष और सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं. दूसरे वर्ष करीब ढाई लाख बालिकाओं की प्रथम जांच में मॉडरेट एनीमिक श्रेणी में 7 हजार 571 बालिकाएं पाई गई,‌ जबकि मात्र 13 बालिकाएं ही ऐसी चिन्हित हुईं जिनका हीमोग्लोबिन स्तर 7 से कम था. मिशन शक्ति के विभिन्न कॉम्पोनेंट्स के रूप में किए गए कार्यों से जिले से लिंगानुपात बढ़ोतरी, कुपोषण मुक्ति और एनीमिया मुक्त बीकानेर की दिशा में सुखद परिणाम मिल रहे हैं.

बीकानेर. बेटी बचाओ अभियान से जुड़ी एक सुखद खबर आई है. बीकानेर जिले में लिंगानुपात में 14 अंकों की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. मिशन शक्ति के सुखद परिणाम के रूप में ये बीकानेर प्रशासन की भी सफलता है. सकारात्मक वातावरण बनाने में मिली मदद से वर्ष 2023-24 में जिले का लिंगानुपात बढ़कर 957 हो गया है. वर्ष 2022-23 की तुलना में इसमें 14 अंकों की बढ़ोतरी होना, घटते लिंगानुपात की चिंताओं के बीच सुखद परिणाम है. इन आंकड़ों के माध्यम से अब शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और एनीमिया मुक्त बीकाणा बनाने की दिशा में चलाए गए मिशन शक्ति के अब दूरगामी सकारात्मक परिणाम स्पष्टत: दिखने लगे हैं.

जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद की पहल पर प्रारम्भ किए गए शक्ति प्रोजेक्ट से न केवल बेटियों के स्वास्थ्य सूचकांकों में सकारात्मक बदलाव हुए हैं, बल्कि बेटियों के जन्म को एक उत्सव के रूप में मनाने, उनके शिक्षा स्वास्थ्य के साथ-साथ गत दो वर्षों से लिंगानुपात में हो रही गिरावट को रोकने और इसमें बढ़ोतरी की दिशा में अहम मदद मिल सकी है.

कम हुई लिंगानुपात के घटने की दर : इस अभियान से वर्ष 2022-23 में जहां लिंगानुपात के घटने की दर कम हुई. वहीं, वर्ष 2023-24 में इसमें 14 अंकों के उछाल के साथ बढ़ोतरी दर्ज की गई है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-20 में जिले में 1000 लड़कों के अनुपात में 976 लड़कियों का जन्म हुआ. वर्ष 2020-21 में यह घटकर 971 हो गया. वर्ष 2021-22 के दौरान लिंगानुपात में बड़ी गिरावट आई और जिले का लिंगानुपात मात्र 953 ही रह गया. जिला कलेक्टर की ओर से वर्ष 2022 में प्रारंभ किए गए शक्ति कार्यक्रम का उद्देश्य एनीमिया मुक्त बीकानेर के साथ-साथ मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करना और समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक माहौल का निर्माण करना है. इस अभियान में जिले के विभिन्न गांवों के राजकीय स्कूलों में ‘आई एम शक्ति कॉर्नर’ एवं ‘आई एम शक्ति वॉल’ बनाए गए और राजनीति, खेल, संगीत, शिक्षा, समाज सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाली महिलाओं की जीवनी अंकित की गई.

इसे भी पढ़ें- शिक्षा निदेशालय के आदेश, 30 जनवरी तक हर हाल में हो छात्राओं को साइकिलों का वितरण

पहला 'आईएम शक्ति कॉर्नर' राजकीय गंगा उच्च माध्यमिक विद्यालय में बनाया गया है. इसमें मदर टेरेसा, अरुणिमा सिन्हा, कल्पना चावला, इंदिरा गांधी, सिंधु ताई सपकाल, गुंजन सक्सेना, इंदिरा नुई, पी.वी. सिंधु, अवनि लेखरा, मेरीकॉम, लता मंगेशकर जैसी महिलाओं की जीवनी अंकित करवाई गई है. 'बुक कॉर्नर' में प्रेरणादायी पुस्तकें रखी गई हैं और बैठने-पढ़ने के लिए बेहतर माहौल तैयार किया गया है. कांउंसलिंग के लिए 'काउंसलिंग कॉर्नर' और माहवारी स्वच्छता के प्रति जागरुकता के लिए ‘हाइजिन कॉर्नर’ भी बनाया गया है. अन्य स्कूलों में ‘आईएम शक्ति वॉल’ बनाए गए हैं. इनके माध्यम से न केवल बेटियों का आत्मविश्वास बढ़ा बल्कि अभिभावकों में भी बेटियों के जन्म को प्रोत्साहन देने उनके स्वास्थ्य व शिक्षा पर विशेष ध्यान देने जैसे बदलाव देखने को मिले हैं.

बेटी के जन्म पर दिया सहजन फली का पौधा : सुपोषण के लिए बेटी जन्म पर अब तक एक लाख से अधिक सहजन फली के पौधे वितरित किए गए हैं. जिला कलेक्टर ने बताया कि जिले में घटते लिंगानुपात के साथ-साथ बेटियों को कुपोषण का शिकार होने से बचाना भी उनके सर्वांगीण विकास की सबसे बड़ी बाधा दिखाई दी. ऐसे में कन्याजन्म को प्रोत्साहित करने के साथ उनके सुपोषण के उद्देश्य से बेटी जन्म उत्सव पर सहजन फली का पौधा वितरित किया गया. जिले के विभिन्न ब्लॉक में अब तक एक लाख से अधिक सहजन फली के पौधे वितरित किए जा चुके हैं. जिला कलेक्टर ने बताया कि ड्रमस्टिक या सहजन फली का पौधा सुपर फूड के रूप में प्रचलित है. इस पौधे में एंटी आक्सीडेंट्स, विटामिन सी, बीटा कैरोटीन सहित रिच न्यूट्रिशंस वैल्यू के संबंध में जानकारी को आंगनबाडी केंद्रों के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाने का कार्य भी किया गया है. इसका परिणाम भी एनीमिया मुक्ति के साथ-साथ लिंगानुपात बढ़ोतरी के रूप में नजर आ रहा है.

इसे भी पढ़ें- बेटी बचाओ अभियान में राजस्थान अब भी टॉप पर...झुंझुंनूं दूसरे स्थान पर फिसला

ढाई लाख बालिकाएं हुई एनीमिया मुक्त : इस मिशन में मिशन अगेंस्ट एनीमिया घटक के तहत गत दो वर्षों में ढाई लाख महिलाओं को एनीमिया मुक्त बनाया गया. वर्ष 2022 में प्रारम्भ किए गए इस अभियान के तहत पहले वर्ष में एक लाख 3 हजार 960 बालिकाएं मॉडरेट श्रेणी में चिह्नित की गई थी और 631 बालिकाओं में सीवियर एनीमिया पाया गया था. नियमित मॉनिटरिंग कर इन बालिकाओं को विशेष उपचार दिया गया, जिसके बाद तकरीबन सभी बालिकाओं को 11 से अधिक हीमोग्लोबिन श्रेणी में लाया जा सका. इन बालिकाओं को विशेष उपचार के रूप में आयरन सुक्रोज व फेरिक कार्बॉक्सी माल्टोस दवा दी गई.

दिखे सकारात्मक परिणाम : अभियान के दूसरे वर्ष और सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं. दूसरे वर्ष करीब ढाई लाख बालिकाओं की प्रथम जांच में मॉडरेट एनीमिक श्रेणी में 7 हजार 571 बालिकाएं पाई गई,‌ जबकि मात्र 13 बालिकाएं ही ऐसी चिन्हित हुईं जिनका हीमोग्लोबिन स्तर 7 से कम था. मिशन शक्ति के विभिन्न कॉम्पोनेंट्स के रूप में किए गए कार्यों से जिले से लिंगानुपात बढ़ोतरी, कुपोषण मुक्ति और एनीमिया मुक्त बीकानेर की दिशा में सुखद परिणाम मिल रहे हैं.

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