कवर्धा: कवर्धा के भोरमदेव को तितलियों का स्वर्ग कहा जाता है. यहां पहली बार तीन दिवसीय तितली सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह आयोजन 27 से 29 सितंबर तक चला. इस कार्यक्रम में 14 राज्यों के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और तितलियों पर शोधपरक चर्चाएं की. इस तरह के आयोजन से तितलियों के जानकारों को की नई जानकारियां मिली हैं.
कई प्रजातियों के तितलियों की हुई पहचान: यहां कई प्रजातियों के तितलियों की पहचान हुई है. तितलियों की पहचान और उनकी जीवनशैली को जानने के लिए अभयारण्य के अंदर 10 ट्रेल बनाए गए थे. यहां अलग अलग ग्रुप में प्रतिभागियों ने तीन दिनों तक सर्वे किया. भोरमदेव अभयारण्य में कुल 87 प्रजातियों के तितलियों की पहचान हुई है. इन प्रजातियों की तितलियों में कुल 6 नए प्रजाति की तितलियों की पहचान हुई है. इनमें पॉइंटेड सिलियेट ब्लू, कॉमन बुश हॉपर,मूरे ऐस,रिस्ट्रिक्टेड डिमोन,लॉन्ग ब्रांडेड बुश ब्राउन और डार्क वांडरर शामिल हैं.
कवर्धा के भोरमदेव अभ्यारण में पहली बार तीन दिवसीय तितली सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ. वन्यजीव अभयारण्य में विभिन्न प्रकार की तितलियां और पक्षी मौजूद हैं. इस आयोजन में कुल 87 प्रजातियों के तितलियों की पहचान हुई. इनमें 6 प्रजाति के नए तितलियों की पहचान हुई है. इस कार्यक्रम को हर वर्ष करने का प्रयास किया जाएगा. भोरमदेव अभयारण्य में तितलियों और अन्य वन्यप्राणियों का सर्वे होगा. इसके बाद इनकी गणना और संरक्षण का कार्य किया जाएगा: शशि कुमार, कवर्धा वन मंडल अधिकारी
तितलियों के सम्मेलन कार्यक्रम के समापन में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षण संजीता गुप्ता शामिल हुईं. भोरमदेव में तितलियों के सर्वे की उन्होंने खूब तारीफ की है. इस कार्य में हिस्सा लेने आए बटरफ्लाई लवर्स का उन्होंने आभार जताया है.